राजस्थान में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हजारों अभ्यर्थियों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। राजस्थान हाईकोर्ट ने सूचना सहायक भर्ती 2023 पर लगी रोक को हटा दिया है। न्यायमूर्ति सुदेश बंसल की एकल पीठ ने यह निर्णय सुनाते हुए स्पष्ट किया कि न्यायालय का कार्य विशेषज्ञ की भूमिका निभाना नहीं है
और महज कुछ सवालों को लेकर पूरी भर्ती प्रक्रिया को स्थगित करना न्यायसंगत नहीं होगा। कोर्ट ने यह भी माना कि यह विवाद केवल तकनीकी प्रश्नों तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे हजारों युवाओं का करियर जुड़ा है, इसलिए प्रक्रिया को बाधित करना अनुचित होगा।
पांच प्रश्नों पर विवाद बना आधार, कोर्ट ने खारिज की आपत्ति
इस मामले की शुरुआत उस समय हुई जब सूचना सहायक भर्ती परीक्षा के परिणाम घोषित होने के बाद कुछ उम्मीदवारों ने राजस्थान हाईकोर्ट का रुख किया। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि परीक्षा में पूछे गए पांच सवालों के उत्तरों में त्रुटियां थीं और इससे उनकी मेरिट पर असर पड़ा।
हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं ने न तो परीक्षा की पारदर्शिता को चुनौती दी और न ही प्रश्न तैयार करने वाली विशेषज्ञ समिति की निष्पक्षता पर कोई संदेह जताया। इसलिए केवल उत्तरों की सटीकता को लेकर उठाई गई आपत्ति, चयन प्रक्रिया को रोकने का पर्याप्त आधार नहीं बनती।
सात प्रश्न हटाए गए, दो में संशोधन, फिर भी जारी रही आपत्तियां
उल्लेखनीय है कि भर्ती परीक्षा के बाद राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड को कुल 89 प्रश्नों पर आपत्तियां प्राप्त हुई थीं। बोर्ड ने इन आपत्तियों का गहन मूल्यांकन किया और विशेषज्ञों की राय के बाद 7 प्रश्नों को हटा दिया जबकि 2 प्रश्नों के उत्तरों में संशोधन किया गया।
इसके बाद बोर्ड ने 1 जुलाई 2024 को अंतिम उत्तर कुंजी जारी की और परिणाम प्रकाशित कर दिए। इसके बावजूद कुछ उम्मीदवार संतुष्ट नहीं हुए और अदालत का दरवाजा खटखटाया।
अदालत ने कहा—हम विशेषज्ञ नहीं, न्यायिक दायरे की है सीमा
न्यायमूर्ति सुदेश बंसल ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि न्यायालय किसी प्रश्न के उत्तर की शुद्धता का मूल्यांकन करने वाला विशेषज्ञ नहीं है। इस प्रकार के मामलों में अदालत की भूमिका सीमित होती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि प्रक्रिया में कोई मूलभूत त्रुटि या कानून का घोर उल्लंघन नहीं हुआ है, तो न्यायिक हस्तक्षेप उचित नहीं माना जा सकता।
ऐसे में जब परीक्षा प्रक्रिया पारदर्शी रही है और बोर्ड ने आपत्तियों का उत्तरदायित्व के साथ निस्तारण किया है, तो केवल पांच प्रश्नों पर विवाद के आधार पर चयन को रोकना न्यायसंगत नहीं होगा।
नियुक्ति प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब नहीं उचित: अदालत
कोर्ट ने कहा कि सूचना सहायक भर्ती प्रक्रिया में जिन पांच प्रश्नों पर आपत्ति दर्ज की गई है, वे समग्र प्रक्रिया के अनुपात में बहुत कम हैं। नियुक्तियों की प्रक्रिया सार्वजनिक रोजगार से जुड़ी हुई है और इसमें अनावश्यक विलंब न केवल चयनित अभ्यर्थियों के भविष्य को प्रभावित करता है
बल्कि सरकारी तंत्र की कार्यक्षमता पर भी प्रभाव डालता है। न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि परीक्षा की वैधता पर संदेह न होने की स्थिति में प्रक्रिया को जारी रखना ज़रूरी है।
3415 पदों पर अटका था भविष्य, अब फिर खुले अवसर
यह मामला तब उठा था जब हाईकोर्ट ने सितंबर 2024 में सूचना सहायक भर्ती पर अस्थायी रोक लगा दी थी। इस रोक के चलते 3415 पदों पर होने वाली नियुक्तियां अटक गई थीं, जिससे हजारों अभ्यर्थी मानसिक दबाव में आ गए थे। अब इस रोक को हटाए जाने के बाद नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है और उम्मीदवारों को राहत मिली है।
भविष्य की परीक्षाओं के लिए भी स्पष्ट संदेश
इस फैसले ने भविष्य की प्रतियोगी परीक्षाओं के संदर्भ में भी एक स्पष्ट संदेश दिया है कि तकनीकी आपत्तियों को विशेषज्ञ संस्थाओं के स्तर पर ही निस्तारित किया जाना चाहिए। न्यायालय का यह रुख यह भी दर्शाता है कि वह चयन प्रक्रिया में हस्तक्षेप तभी करेगा जब गंभीर कानूनी त्रुटि या धोखाधड़ी साबित हो।
परीक्षा देने वाले लाखों युवाओं के करियर को लेकर अदालत का यह व्यावहारिक और संतुलित दृष्टिकोण सराहनीय माना जा रहा है। अब राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड पर जिम्मेदारी है कि वह नियुक्ति प्रक्रिया को शीघ्र गति दे और योग्य अभ्यर्थियों को उनके पद पर नियुक्त किया जाए, जिससे वर्षों से प्रतीक्षित रोजगार अवसर साकार हो सके।