जय हिंद! शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास, राकेश शर्मा के 41 साल बाद अंतरिक्ष में पहुंचे दूसरे भारतीय

भारत के लिए 25 जून 2025 का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरी। 1984 में राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा के बाद पहली बार कोई भारतीय अंतरिक्ष अभियान पर

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Wednesday, June 25, 2025

शुभांशु शुक्ला


भारत के लिए 25 जून 2025 का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरी। 1984 में राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा के बाद पहली बार कोई भारतीय अंतरिक्ष अभियान पर रवाना हुआ है।

यह क्षण न केवल भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गौरव और गर्व से भरा रहा। एक्सिओम स्पेस के चौथे अंतरिक्ष अभियान (Axiom Mission 4) का हिस्सा बने शुभांशु शुक्ला ने इतिहास रचते हुए भारत को मानव अंतरिक्ष मिशनों की अग्रिम पंक्ति में ला खड़ा किया है।


कैनेडी स्पेस सेंटर से ऐतिहासिक उड़ान


स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट ने जैसे ही आसमान की ओर रफ्तार पकड़ी, वहां मौजूद हर आंख गर्व और उम्मीद से चमक उठी। यह वही मिशन है जिसे खराब मौसम और तकनीकी कारणों से छह बार टालना पड़ा था, लेकिन 25 जून की सुबह यह सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ।

इस अभियान के तहत ड्रैगन अंतरिक्ष यान इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) तक करीब 28 घंटे की यात्रा करेगा। मिशन की कुल अवधि 14 दिनों की है, जिसमें अंतरिक्ष यात्री कुल 60 वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे।


मिशन में अंतरराष्ट्रीय भागीदारी


इस मिशन की खास बात यह है कि यह पूरी तरह एक अंतरराष्ट्रीय अभियान है, जिसमें भारत सहित अमेरिका, हंगरी और पोलैंड के अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। शुभांशु शुक्ला इस मिशन के पायलट हैं और उनके साथ अमेरिका की सबसे अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन मिशन कमांडर के रूप में शामिल हैं।

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) की ओर से पोलैंड के अंतरिक्ष यात्री स्लावोज उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू भी इस अभियान का हिस्सा हैं।


अंतरिक्ष यान से हिंदी में संदेश: “मैं आप सभी के साथ हूँ”


मिशन लॉन्च के कुछ ही घंटों बाद, अंतरिक्ष यान से शुभांशु शुक्ला ने एक वीडियो संदेश जारी किया, जो देशवासियों के लिए गर्व और प्रेरणा का प्रतीक बन गया। उन्होंने हिंदी में कहा, “मेरे प्यारे देशवासियों! क्या सफ़र है! हम 41 साल बाद वापस अंतरिक्ष में पहुंच गए हैं। यह एक अद्भुत सफ़र है।

हम 7.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ़्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं। मेरे कंधों पर मेरा तिरंगा मुझे बताता है कि मैं आप सभी के साथ हूँ। यह मेरी यात्रा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की शुरुआत नहीं है, ये भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत है।”

शुभांशु के इस संदेश ने देशभर के नागरिकों में नया जोश भर दिया। यह पहली बार है जब किसी भारतीय अंतरिक्ष यात्री ने अंतरिक्ष से राष्ट्र के लिए इस तरह का भावुक और प्रेरणादायक संदेश भेजा है।


लखनऊ में उत्सव जैसा माहौल


लखनऊ के ‘सिटी मोंटेसरी स्कूल’ में जहां शुभांशु ने पढ़ाई की थी, वहां मिशन की लॉन्चिंग के अवसर पर विशेष आयोजन किया गया था। शुभांशु के माता-पिता, परिवार के सदस्य और स्कूल स्टाफ की आंखों में गर्व और खुशी झलक रही थी।

रॉकेट लॉन्च होते ही पूरा परिसर तालियों और भारत माता की जय के नारों से गूंज उठा। उनके पिता शंभू शुक्ला ने कहा, “यह क्षण हमारे लिए नहीं, पूरे देश के लिए गर्व का है। मैं क्या कहूं, बस मेरा आशीर्वाद हमेशा मेरे बेटे के साथ है।”

शुभांशु की मां आशा शुक्ला ने भावुक होते हुए कहा, “मैं बहुत खुश हूं और जानती हूं कि वह सफल होगा। अब मुझे उसके सकुशल लौटने का इंतजार है।”


एक जांबाज़ पायलट की उड़ान


10 अक्टूबर 1985 को जन्मे शुभांशु शुक्ला का सफर बेहद प्रेरणादायक रहा है। 2006 में वे भारतीय वायुसेना में शामिल हुए और सुखोई-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डॉर्निए और एएन-32 जैसे कई आधुनिक युद्धक और परिवहन विमानों को उड़ाने का अनुभव हासिल किया।

वर्ष 2019 में उन्हें भारत के गगनयान मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम के लिए चुना गया और बाद में उन्हें Axiom-4 मिशन में पायलट की जिम्मेदारी दी गई। उनकी यह उड़ान न केवल उनके अपने जीवन का, बल्कि भारत के अंतरिक्ष इतिहास का एक नया अध्याय है।

वह भारत के पहले ऐसे अंतरिक्ष यात्री हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय कमर्शियल मिशन में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।


नासा और अंतरिक्ष समुदाय की प्रतिक्रिया


नासा ने भी शुभांशु और उनके साथियों की उड़ान को लेकर उत्साह जताया। लॉन्च के कुछ देर बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “आज थोड़ी सी और मानवता अंतरिक्ष की ओर रवाना हो गई।

एक्सिओम का चौथा अभियान 26 जून को अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंच जाएगा।” यह संदेश अंतरिक्ष मिशनों में हो रहे वैश्विक सहयोग को भी दर्शाता है।


भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नई शुरुआत


शुभांशु शुक्ला की यह ऐतिहासिक उड़ान केवल एक मिशन नहीं, बल्कि भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव है। उनकी उड़ान गगनयान जैसे स्वदेशी अभियानों की राह आसान बनाएगी और आने वाले वर्षों में भारत अंतरिक्ष में दीर्घकालिक उपस्थिति दर्ज कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाएगा।


भारत के भविष्य का संकेत


शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा भारत के लिए एक प्रेरणा है। यह मिशन न केवल वैज्ञानिक प्रयोगों की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत के आत्मविश्वास और तकनीकी क्षमता का भी प्रतीक है। 41 वर्षों बाद, जब एक भारतीय फिर से अंतरिक्ष में पहुंचा है, तो यह केवल एक गिनती नहीं है — यह भारत के भविष्य का संकेत है। जय हिंद!