स्टेट हाईवे को नेशनल हाईवे में बदलने की प्रक्रिया होगी धीमी, केंद्र सरकार लाएगी नई रणनीति

भारत में सड़क नेटवर्क के विस्तार की दिशा में अब एक नया मोड़ आने वाला है। केंद्र सरकार अब राज्य राजमार्गों को नेशनल हाईवे घोषित करने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है। यानी आने वाले समय में स्टेट हाईवे को एनएच में तब्दील करने की गति

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Sunday, June 22, 2025

स्टेट हाईवे को नेशनल हाईवे

भारत में सड़क नेटवर्क के विस्तार की दिशा में अब एक नया मोड़ आने वाला है। केंद्र सरकार अब राज्य राजमार्गों को नेशनल हाईवे घोषित करने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है। यानी आने वाले समय में स्टेट हाईवे को एनएच में तब्दील करने की गति कम होगी।

इसके पीछे सरकार की रणनीति यह है कि अब राज्यों को उनके स्टेट हाईवे को बेहतर बनाने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी, लेकिन उन्हें नेशनल हाईवे में बदले बिना।

राज्य सरकारों को स्टेट हाईवे सुधारने के लिए मिलेगा फंड, केंद्र करेगा मदद

केंद्र सरकार अब राज्य सरकारों को उनके स्टेट हाईवे को आधुनिक और बेहतर बनाने के लिए आर्थिक सहायता देने की योजना बना रही है।

इसका उद्देश्य यह है कि राज्य सरकारें अपनी सड़कों की मरम्मत और चौड़ीकरण का कार्य खुद करें, ताकि क्षेत्रीय स्तर पर सड़क नेटवर्क की स्थिति सुधरे और उसकी देखरेख में भी स्थानीय प्राथमिकताओं को महत्व मिल सके।

मोदी सरकार की नई प्राथमिकता ग्रीनफील्ड हाईवे और एक्सप्रेसवे का निर्माण

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय अब अपने संसाधनों का अधिक हिस्सा नए ग्रीनफील्ड हाईवे और एक्सप्रेसवे परियोजनाओं में लगाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में मंत्रालय को निर्देश दिए हैं कि वे जुलाई के अंत तक एक ठोस योजना प्रस्तुत करें, जिसके अंतर्गत राज्यों के हाईवे प्रोजेक्ट्स और तटीय क्षेत्रों के छोटे बंदरगाहों को बेहतर कनेक्टिविटी दी जा सके।

इसका मकसद है ट्रैफिक दबाव को कम करते हुए देश के प्रमुख क्षेत्रों को आधुनिक सड़कों से जोड़ना।

55,000 किलोमीटर स्टेट हाईवे अब तक घोषित हो चुके हैं नेशनल हाईवे

पिछले एक दशक में केंद्र सरकार ने स्टेट हाईवे को नेशनल हाईवे में परिवर्तित करने पर बड़ा जोर दिया था। आंकड़ों के अनुसार, पिछले 11 वर्षों में लगभग 55,000 किलोमीटर राज्य राजमार्गों को राष्ट्रीय राजमार्गों में बदला जा चुका है।

इसके चलते भारत में नेशनल हाईवे नेटवर्क की कुल लंबाई बढ़कर 1.46 लाख किलोमीटर हो गई है। केंद्र सरकार इस आंकड़े को अपनी एक बड़ी बुनियादी उपलब्धि मानती है, लेकिन अब इस विस्तार के बाद फोकस उसके रखरखाव और गुणवत्ता सुधार पर जा रहा है।

भारत में सड़क नेटवर्क 63 लाख किलोमीटर से अधिक, अब होगा सुधार पर ध्यान

भारत में कुल सड़क नेटवर्क मार्च 2025 तक 63 लाख किलोमीटर से अधिक हो चुका है। इनमें राष्ट्रीय, राज्य, जिला और ग्रामीण सड़कें शामिल हैं। इस पूरे नेटवर्क का एक बड़ा हिस्सा राज्य सरकारों की जिम्मेदारी में आता है।

अब जब राष्ट्रीय राजमार्गों का विस्तार एक संतुलन तक पहुंच चुका है, तो सरकार का उद्देश्य इनकी गुणवत्ता, चौड़ाई, यातायात नियंत्रण और स्थायित्व को मजबूत करना है।

नए नियमों के तहत नहीं बदले जाएंगे स्टेट हाईवे का दर्जा

अब तक यह व्यवस्था थी कि अगर किसी राज्य सरकार ने केंद्र से अनुरोध किया, तो उसके स्टेट हाईवे को नेशनल हाईवे घोषित किया जा सकता था। इससे उनकी देखभाल की जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर आ जाती थी।

लेकिन अब यह प्रणाली बदली जाएगी। नए नियमों के तहत स्टेट हाईवे को एनएच घोषित करने की प्रक्रिया सीमित होगी और राज्यों को कहा जाएगा कि वे खुद ही अपने हाईवे की स्थिति सुधारें, जिसमें केंद्र सरकार उन्हें वित्तीय सहयोग देगी।

राज्यों को अपने क्षेत्रीय मार्गों के विकास का मिलेगा अवसर

नई नीति के तहत राज्यों को अब अपने सड़कों की योजना, डिज़ाइन, चौड़ीकरण और मरम्मत के लिए ज्यादा जिम्मेदारी निभानी होगी। हालांकि केंद्र सरकार उन्हें आवश्यक फंड उपलब्ध कराएगी, लेकिन सड़क का दर्जा एनएच में नहीं बदला जाएगा।

इससे राज्यों को अपने परिवहन नेटवर्क को अपने अनुसार सुधारने और क्षेत्रीय विकास को प्राथमिकता देने का अवसर मिलेगा।

ग्रीनफील्ड हाईवे से बढ़ेगी कनेक्टिविटी, यात्रा में लगेगा कम समय

केंद्र सरकार अब पूरी तरह से नए ग्रीनफील्ड हाईवे और एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट्स पर ध्यान केंद्रित कर रही है। ग्रीनफील्ड हाईवे का तात्पर्य ऐसी सड़कों से है जिन्हें बिलकुल नई जगह पर बिना किसी पूर्ववर्ती सड़क के बनाया जाता है।

इससे नए शहरों, कस्बों और गांवों के बीच सीधी और आधुनिक कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी। साथ ही यह ट्रैफिक दबाव को कम करेगा और लॉजिस्टिक्स सेक्टर को गति देगा। लोगों को भी यात्रा में कम समय लगेगा और ईंधन की बचत होगी।

सड़कों की गुणवत्ता पर बढ़ेगा जोर, नीति से राज्यों को भी लाभ

राज्य राजमार्गों को एनएच में बदलने की गति को धीमा करने का निर्णय न केवल एक रणनीतिक बदलाव है, बल्कि यह सड़क बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में केंद्र और राज्य के बीच सहयोग को भी प्रोत्साहित करता है।

इससे केंद्र सरकार को नए और बड़े प्रोजेक्ट्स पर ध्यान केंद्रित करने की छूट मिलेगी, वहीं राज्य सरकारें अपने क्षेत्रीय मार्गों को स्थानीय जरूरतों के अनुसार विकसित कर सकेंगी। आने वाले समय में यह नीति सड़क नेटवर्क की गुणवत्ता, सुरक्षा और समावेशी विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।