Starlink और Kuiper लाएंगे आसमान से इंटरनेट – भारत में शुरू होने जा रही है डिजिटल क्रांति

भारत में इंटरनेट सेवा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब इंटरनेट सीधे आकाश से आएगा, वो भी बिना फाइबर या टॉवर के सहारे। एलन मस्क की कंपनी Starlink और अमेजन की Kuiper ने भारत में सैटेलाइट आधारित ब्रॉडबैंड सेवा देने के लिए बड़ी

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Monday, June 30, 2025

starlink-kuiper-satellite-internet-india-digital-revolution-2025


भारत में इंटरनेट सेवा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब इंटरनेट सीधे आकाश से आएगा, वो भी बिना फाइबर या टॉवर के सहारे। एलन मस्क की कंपनी Starlink और अमेजन की Kuiper ने भारत में सैटेलाइट आधारित ब्रॉडबैंड सेवा देने के लिए बड़ी पहल की है।

इन दोनों वैश्विक टेक दिग्गजों ने देश की प्रमुख VSAT कंपनियों के साथ व्यावसायिक साझेदारियाँ कर ली हैं और जल्द ही भारत के हर कोने में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं।


Starlink और Kuiper का भारत में पहला वाणिज्यिक समझौता


Starlink और Amazon Kuiper ने भारत में Hughes Communications, Nelco और Inmarsat जैसी VSAT सेवा प्रदाता कंपनियों के साथ साझेदारी की है। ये समझौते उस समय हुए हैं जब भारत सरकार की ओर से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का आधिकारिक आवंटन अभी बाकी है। लेकिन दोनों कंपनियां इस बाज़ार में तेजी से उतरने के लिए पहले ही तैयारी में जुट गई हैं।

Starlink तो पहले ही Reliance Jio और Airtel के साथ अपनी साझेदारी का एलान कर चुका है। इस साझेदारी मॉडल को “सेल-थ्रू” कहा जा रहा है, जिसमें विदेशी कंपनियां अपनी सेवाएं भारतीय साझेदारों के ज़रिए उपभोक्ताओं तक पहुंचाएंगी।

Amazon Kuiper भी Starlink की तरह एक हाइब्रिड मॉडल पर काम करेगा, जिसमें वह B2B (बिजनेस टू बिजनेस), B2G (बिजनेस टू गवर्नमेंट) और रिटेल उपभोक्ताओं को सेवाएं प्रदान करेगा।


VSAT के ज़रिए बदलेगा दूर-दराज़ इलाकों का भविष्य


भारत जैसे विशाल और भौगोलिक रूप से विविध देश में कनेक्टिविटी आज भी एक बड़ी चुनौती है। विशेषकर दूरदराज़ के गांव, पर्वतीय क्षेत्र और रेगिस्तानी इलाकों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट की उपलब्धता आज भी नाममात्र है।

VSAT (Very Small Aperture Terminal) तकनीक बैंकों, एटीएम, पेट्रोल पंप, वेयरहाउस, रिटेल चेन, समुद्री क्षेत्रों और रक्षा क्षेत्रों में पहले से इस्तेमाल हो रही है। अब लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) आधारित सैटेलाइट इंटरनेट की मदद से इस तकनीक को उच्च गति और बेहतर बैंडविड्थ मिल सकेगी।

Hughes Communications के सीईओ शिवाजी चटर्जी ने कहा है कि भारत में सभी LEO आधारित कंपनियों से बातचीत चल रही है और उनकी कंपनी B2B और B2G सेगमेंट में इनकी प्रमुख भागीदार बनेगी।


Starlink को GMPCS लाइसेंस, Amazon भी कतार में


भारत सरकार ने Starlink को GMPCS (Global Mobile Personal Communication by Satellite) लाइसेंस पहले ही दे दिया है, जिससे कंपनी को भारत में सैटेलाइट आधारित सेवाएं देने की वैधानिक अनुमति मिल चुकी है।

हालांकि, उसे IN-SPACe (Indian National Space Promotion and Authorization Center) से अंतिम मंजूरी मिलना बाकी है। दूरसंचार मंत्रालय ने कंपनी को ट्रायल स्पेक्ट्रम देने की तैयारी कर ली है ताकि आवश्यक सुरक्षा परीक्षण किए जा सकें।

हाल ही में दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने Starlink के अधिकारियों से बैठक भी की थी। दूसरी ओर Amazon Kuiper की फाइलें संचार मंत्रालय में समीक्षा के लिए पेंडिंग हैं। लेकिन कंपनी ने भारत में सेवाएं देने की ठोस योजना बना ली है और वह भी Starlink की तरह कई स्थानीय साझेदारों के माध्यम से सेवाएं देने की रणनीति पर काम कर रही है।


रिटेल ग्राहकों तक पहुंचेगा सीधा सैटेलाइट इंटरनेट


Starlink जल्द ही अपनी वेबसाइट के माध्यम से भारत में सीधे उपभोक्ताओं को सेवाएं देना शुरू करेगा। कंपनी के पास एक ऐसा मॉडल है जिसमें मास्टर डिस्ट्रीब्यूटर पर पूरी तरह निर्भर न रहकर वह खुद भी बिक्री कर सकेगी।

इसी प्रकार, Amazon Kuiper भी भारत में खुदरा बाजार के लिए विशेष प्लानिंग कर रहा है। माना जा रहा है कि भारत की विविधता और जटिल बाज़ार व्यवस्था को देखते हुए यह मॉडल ज्यादा प्रभावशाली साबित हो सकता है।


सरकार तैयार कर रही सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीतियाँ


Telecom Regulatory Authority of India (TRAI) की सिफारिशों के आधार पर सरकार जल्द ही सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन के नियमों और शुल्क को अंतिम रूप देने जा रही है। इससे कंपनियों को अधिक स्पष्टता मिलेगी और भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं के संचालन में गति आएगी।


डिजिटल इंडिया का नया अध्याय


Starlink और Amazon Kuiper की भारत में एंट्री इंटरनेट कनेक्टिविटी के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है। जहां अभी तक फाइबर और मोबाइल टॉवर के जरिए इंटरनेट की सीमित पहुंच थी, वहीं अब सीधा आसमान से इंटरनेट मिलना संभव होगा।

इससे देश के करोड़ों ऐसे लोग भी डिजिटल दुनिया से जुड़ सकेंगे जो आज तक नेटवर्क की सीमाओं में बंधे हुए थे। यह पहल न केवल सरकार की डिजिटल इंडिया योजना को मजबूती देगी, बल्कि ग्रामीण भारत में शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापार के नए अवसर भी खोलेगी।