राजधानी जयपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल में मरीजों के लिए तय डाइट पर खुलकर लापरवाही और अनियमितताओं के आरोप सामने आए हैं। सरकार हर मरीज पर प्रतिदिन 78 रुपए खर्च कर संतुलित और पोषणयुक्त डाइट देने का दावा करती है
लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। मरीजों के हिस्से का दूध, फल और नाश्ता तक गायब है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि वार्ड बॉय खुद भगोनों से दूध निकालकर पीते देखे गए हैं और यह पूरा घटनाक्रम कैमरे में रिकॉर्ड भी हुआ है।
मरीजों को नहीं मिल रहा निर्धारित नाश्ता
अस्पताल में भर्ती मरीजों को सुबह के नाश्ते में तय मात्रा के अनुसार 200 एमएल दूध और इसके साथ उपमा, दलिया, कॉर्नफ्लेक्स या पोहा दिया जाना चाहिए। लेकिन कई मरीजों को महज 70 से 80 एमएल दूध ही परोसा गया, जबकि उपमा या अन्य सामग्री देना तो जैसे मेस कर्मियों ने जरूरी ही नहीं समझा।
नाश्ता बांटने वाले कर्मचारी धीरे से “नाश्ता नाश्ता” कहकर ट्रॉली लेकर आगे बढ़ जाते हैं, जिससे केवल वे ही मरीज खाना ले पाते हैं, जो सुनने और चलने की स्थिति में होते हैं।
वार्ड बॉय पीते दिखे मरीजों का दूध
सबसे गंभीर मामला यह है कि कुछ वार्ड बॉय बड़े भगोनों में से मरीजों के हिस्से का दूध निकालकर खुद पीते देखे गए। यह पूरी घटना कैमरे में रिकॉर्ड हुई है, जो अस्पताल प्रबंधन के लिए एक शर्मनाक स्थिति उत्पन्न करती है।
सवाल यह भी उठता है कि जब अस्पताल प्रशासन और नर्सिंग इंचार्ज की जिम्मेदारी तय है, तो ऐसे मामले कैसे हो रहे हैं? क्या ये सब ठेकेदार और स्टाफ की मिलीभगत से हो रहा है?
दोपहर और शाम के भोजन में भी गड़बड़ी
मरीजों को दोपहर के भोजन में दाल, रोटी, सब्जी, चावल और फल दिए जाने का नियम है। लेकिन कई मरीजों ने शिकायत की कि उनके हिस्से के फल उन्हें नहीं दिए गए।
वहीं शाम को चाय या टमाटर सूप देने की व्यवस्था है, पर कई वार्डों में मेस की चाय पहुंचने से पहले ही बाहरी लोग पैसे लेकर चाय बेचते दिखाई दिए। मरीजों के परिजनों को मजबूरी में उन्हीं से चाय खरीदनी पड़ी।
78 रुपए की डाइट कहां जा रही है?
राज्य सरकार SMS अस्पताल के हर मरीज पर रोजाना 78 रुपए की डाइट का बजट जारी करती है। इसका संचालन एक निजी कंपनी के हाथों में है, जिसे टेंडर के जरिए यह जिम्मेदारी दी गई है। कंपनी को एक हजार मरीजों की रोजाना डाइट तैयार कर पहुंचानी होती है।
इसके तहत हर मरीज को उनकी बीमारी के अनुसार संतुलित डाइट देने की जिम्मेदारी तय की गई है। लेकिन व्यवहार में न तो यह डाइट सभी तक पहुंच रही है और जो पहुंच भी रही है वह बेहद कम और अपूर्ण है।
अस्पताल प्रशासन का पल्ला झाड़ना
SMS अस्पताल के इंचार्ज डॉ. सतीश वर्मा का कहना है कि हर वार्ड के नर्सिंग इंचार्ज की जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि सभी मरीजों को समय पर खाना मिल रहा है या नहीं। उन्होंने कहा कि अगर इस प्रक्रिया में लापरवाही सामने आती है, तो जांच की जाएगी।
हालांकि यह बयान फिलहाल इस मामले में सिर्फ औपचारिकता भर लगता है, क्योंकि रिकॉर्डिंग सामने आने के बावजूद किसी पर कार्रवाई की बात नहीं की गई।
क्या है लापरवाही की असली वजह?
इस पूरे मामले में एक बड़ा सवाल यह भी है कि जब सरकार, बजट, टेंडर और डाइट प्लान सब मौजूद है, तो मरीजों तक पूरा भोजन क्यों नहीं पहुंच रहा? क्या यह अस्पताल प्रबंधन और ठेकेदार के बीच मिलीभगत का मामला है? क्या इसमें स्टाफ की हिस्सेदारी है? या फिर यह पूरी व्यवस्था ही लचर हो चुकी है?
लापरवाही नहीं, ये अमानवीयता है
अस्पताल में भर्ती मरीज पहले ही बीमारियों से जूझ रहे होते हैं। ऐसे में पोषणयुक्त भोजन उनके इलाज का अहम हिस्सा होता है। अगर वही भोजन चोरी हो रहा है, या आधा-अधूरा दिया जा रहा है, तो यह सिर्फ लापरवाही नहीं बल्कि अमानवीयता है।
अब जरूरी है कि अस्पताल प्रशासन न केवल इस मामले की निष्पक्ष जांच कराए, बल्कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी करे, ताकि भविष्य में किसी भी मरीज को अपने हिस्से के दूध और फल के लिए मोहताज न होना पड़े।