हजारों युवाओं की किस्मत अधर में! SI पेपर लीक पर अब हाईकोर्ट का फैसला तय करेगा भविष्य

राजस्थान की बहुप्रतीक्षित एसआई भर्ती 2021 एक बार फिर न्यायिक कसौटी पर है। पेपर लीक और डमी कैंडिडेट जैसे संगीन आरोपों में घिरी इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर आज राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है। इस मामले में जहां याचिकाकर्ता परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल उठाते

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Monday, July 7, 2025

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राजस्थान की बहुप्रतीक्षित एसआई भर्ती 2021 एक बार फिर न्यायिक कसौटी पर है। पेपर लीक और डमी कैंडिडेट जैसे संगीन आरोपों में घिरी इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर आज राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है।

इस मामले में जहां याचिकाकर्ता परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए पूरी भर्ती को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, वहीं सरकार का पक्ष है कि चंद लोगों की गड़बड़ियों के आधार पर हजारों ईमानदार परीक्षार्थियों का भविष्य दांव पर नहीं लगाया जा सकता।


सरकार ने हाईकोर्ट में किया भर्ती रद्द करने का विरोध


राज्य सरकार ने कोर्ट में दायर अपने जवाब में स्पष्ट किया है कि पूरी प्रक्रिया को रद्द करना उन हजारों अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होगा जिन्होंने मेहनत और ईमानदारी से परीक्षा पास की। सरकार का कहना है कि याचिका में ही भर्ती को निरस्त करने की मांग की गई है, इसलिए इसे चुनौती देने के लिए अलग से कोई याचिका आवश्यक नहीं।

उन्होंने मूल याचिका को “सारहीन” बताते हुए खारिज करने की गुहार लगाई है। सरकार की इस दलील का आधार यह है कि परीक्षा में कुछ लोगों द्वारा की गई अनियमितताएं पूरी व्यवस्था की वैधता को निष्प्रभावी नहीं कर सकतीं। यदि किसी स्तर पर दोष सिद्ध होते हैं, तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से दंडित किया जाना चाहिए, न कि पूरी भर्ती प्रक्रिया को शून्य घोषित किया जाए।


जांच में बड़े खुलासे, कई गिरफ्तारियां


एसआईटी और एसओजी की जांच में अब तक करीब 50 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें कई प्रशिक्षु एसआई, दलाल और शिक्षा माफिया शामिल हैं। जांच के अनुसार, परीक्षा में डमी कैंडिडेट बैठाने, पेपर लीक करने और आर्थिक लेन-देन के जरिए चयन सुनिश्चित कराने जैसी कई गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं।

इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य भर में चयनित अभ्यर्थियों के बीच चिंता और असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है।


याचिकाकर्ताओं की दलील – परीक्षा प्रक्रिया थी पक्षपातपूर्ण


याचिका दायर करने वाले उम्मीदवारों का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया न केवल अनियमित थी, बल्कि इससे योग्य और मेहनती अभ्यर्थियों का हक छीना गया। उनके अनुसार, ऐसे घोटालों से चयन प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि यह भर्ती पूरी तरह रद्द कर दोबारा निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित की जाए। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यदि न्यायालय इस परीक्षा को वैध ठहराता है, तो इससे गलत परंपरा को बढ़ावा मिलेगा और भविष्य में परीक्षाएं और भी संदिग्ध होंगी।


न्याय की दो राहों पर खड़ी है भर्ती प्रक्रिया


इस मामले में एक ओर उन अभ्यर्थियों की भावनाएं हैं जिन्होंने कठिन परिश्रम और निष्ठा से परीक्षा दी और चयनित हुए। दूसरी ओर, वे युवा हैं जो खुद को इस प्रक्रिया का शिकार मानते हैं और न्याय के लिए कोर्ट का रुख किया है।

अब यह न्यायालय के विवेक पर निर्भर करता है कि वह किस दिशा में निर्णय देता है अगर भर्ती रद्द होती है, तो हजारों युवाओं को दोबारा परीक्षा की प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा, जिसमें समय और मनोबल दोनों की क्षति होगी। वहीं, यदि भर्ती को वैध माना जाता है, तो उन अभ्यर्थियों की आवाज को अनसुना करना होगा जिन्होंने अनियमितताओं की शिकायत की है।


भविष्य की भर्तियों के लिए भी अहम है यह फैसला


एसआई भर्ती 2021 के इस मामले में कोर्ट का फैसला न केवल इस विशेष प्रक्रिया का भविष्य तय करेगा, बल्कि यह राजस्थान में प्रतियोगी परीक्षाओं की पारदर्शिता, विश्वसनीयता और प्रशासनिक प्रतिबद्धता की दिशा भी तय करेगा। यह निर्णय एक मिसाल के रूप में आने वाली भर्तियों के संचालन में ईमानदारी और जवाबदेही का मापदंड बन सकता है।


हजारों युवा टकटकी लगाए देख रहे हैं अदालत की तरफ


राजस्थान के कोने-कोने से आए युवाओं ने इस भर्ती को लेकर वर्षों तक तैयारी की थी। ऐसे में इस कानूनी लड़ाई का हर पड़ाव उनके भविष्य से जुड़ा है। हाईकोर्ट की आज की सुनवाई इस संपूर्ण विवाद का अहम मोड़ हो सकती है। न्यायालय का फैसला यह तय करेगा कि भर्ती प्रक्रिया अपनी निष्पक्षता के साथ आगे बढ़ेगी या दोबारा परीक्षा की राह पर लौटेगी।


हाईकोर्ट कल भी करेगा सुनवाई


एसआई भर्ती 2021 अब केवल एक परीक्षा नहीं, बल्कि राजस्थान की भर्ती व्यवस्था की विश्वसनीयता की परीक्षा बन चुकी है। जहां एक ओर सरकार ईमानदार अभ्यर्थियों के भविष्य की बात कर रही है, वहीं याचिकाकर्ता प्रक्रिया की पवित्रता पर सवाल उठा रहे हैं।

हाईकोर्ट का कल का निर्णय न केवल हजारों युवाओं की किस्मत तय करेगा, बल्कि प्रशासन और न्यायपालिका के दृष्टिकोण और संतुलन को भी सामने लाएगा।

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