‘कांटा लगा गर्ल’ शेफाली जरीवाला की हार्ट अटैक से मौत: कम उम्र में क्यों बढ़ रहा है हृदयाघात का खतरा?

मशहूर एक्ट्रेस और ‘कांटा लगा’ गर्ल के नाम से लोकप्रिय शेफाली जरीवाला की 42 साल की उम्र में अचानक मौत हो गई। इस घटना ने एक बार फिर दिल दहलाने वाला सवाल खड़ा कर दिया है क्या अब दिल इतनी जल्दी साथ छोड़ देता है? फिटनेस के

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Sunday, June 29, 2025

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मशहूर एक्ट्रेस और ‘कांटा लगा’ गर्ल के नाम से लोकप्रिय शेफाली जरीवाला की 42 साल की उम्र में अचानक मौत हो गई। इस घटना ने एक बार फिर दिल दहलाने वाला सवाल खड़ा कर दिया है

क्या अब दिल इतनी जल्दी साथ छोड़ देता है? फिटनेस के लिए पहचानी जाने वाली शेफाली के अचानक कार्डियक अरेस्ट से निधन की खबर ने इंडस्ट्री ही नहीं, आम लोगों को भी झकझोर कर रख दिया है।

हाल के वर्षों में इस तरह के मामलों की बाढ़ आ गई है, जब एकदम से, बिना किसी चेतावनी के, पूरी तरह स्वस्थ नजर आने वाले लोग कुछ मिनटों में दुनिया से विदा हो जाते हैं। शेफाली की मौत इस कड़ी में एक और नाम बन गई है

जिसने बताया कि कार्डियक अरेस्ट अब केवल बुजुर्गों की बीमारी नहीं रही। यह युवाओं को भी शिकार बना रहा है, और वह भी चलते-फिरते, जिम में, स्टेज पर, ऑफिस में।


शेफाली की मौत से इंडस्ट्री में शोक की लहर


शेफाली जरीवाला की तबीयत शुक्रवार देर रात अचानक बिगड़ी। उन्हें फौरन मुंबई के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट बताया गया है।

हालांकि, पोस्टमार्टम के बाद ही स्पष्ट पुष्टि होगी। शेफाली के पति और अभिनेता पराग त्यागी इस हादसे से बेहद सदमे में हैं। ये घटना इसलिए भी चौंकाने वाली है क्योंकि शेफाली हमेशा अपनी फिटनेस और एक्टिव लाइफस्टाइल के लिए पहचानी जाती थीं। फिर क्या वजह रही कि ऐसा हृदयाघात हुआ जो उन्हें कुछ ही पलों में मौत के करीब ले गया?


हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट—क्यों जानलेवा बन रहे हैं ये दौरे?


कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक एक जैसे दिख सकते हैं लेकिन दोनों में फर्क है। हार्ट अटैक में हृदय को रक्त पहुंचाने वाली नसें अवरुद्ध हो जाती हैं, जबकि कार्डियक अरेस्ट एक इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी है जिसमें दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है।

यह स्थिति इतनी गंभीर होती है कि अगर कुछ ही मिनटों में चिकित्सा सहायता न मिले तो मरीज की जान जा सकती है। यही वजह है कि अक्सर कार्डियक अरेस्ट के शिकार लोग, जो दिखने में पूरी तरह स्वस्थ लगते हैं, कुछ ही सेकंड्स में गिरकर दम तोड़ देते हैं।


युवाओं को क्यों घेर रहा है कार्डियक खतरा?


पिछले कुछ वर्षों में 40 साल से कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार इसके पीछे कई वजहें हैं—जिनमें प्रमुख हैं तनाव, हाई ब्लड प्रेशर, मधुमेह, स्मोकिंग, एल्कोहल, मोटापा, नींद की कमी और खराब खानपान।

कोविड के बाद यह खतरा और बढ़ा है। रिसर्च बताती है कि कोविड-19 संक्रमण के बाद हृदय की धमनियों में सूजन और क्लॉटिंग की आशंका बढ़ जाती है, जो हार्ट फेलियर और अरेस्ट का कारण बन सकती है। विशेष रूप से 26 से 40 वर्ष की उम्र के युवा इस खतरे के उच्चतम दायरे में आ चुके हैं।


मौत की लिस्ट लंबी होती जा रही है


शेफाली से पहले भी कई नामी चेहरे कार्डियक अरेस्ट का शिकार हो चुके हैं। सिद्धार्थ शुक्ला की 2021 में अचानक हार्ट अटैक से मौत हुई थी। सिंगर केके भी कोलकाता में एक परफॉर्मेंस के बाद गिर पड़े थे और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई थी।

कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव भी जिम में ट्रेडमिल पर रनिंग करते वक्त कार्डियक अरेस्ट का शिकार हो गए थे। इन सभी उदाहरणों ने यह साफ कर दिया है कि केवल उम्र नहीं, बल्कि जीवनशैली भी अब हार्ट हेल्थ का सबसे बड़ा निर्धारक बन गई है।


क्या है इस बढ़ती समस्या का समाधान?


कार्डियक अरेस्ट से बचने का सबसे बेहतर तरीका है—जागरूकता और जीवनशैली में बदलाव। सबसे पहले जरूरी है कि शरीर के संकेतों को नजरअंदाज न किया जाए। अगर कोई थकान, सीने में भारीपन, सांस फूलना या दिल की धड़कन असामान्य महसूस करता है, तो तुरंत जांच कराना जरूरी है।

एक्सपर्ट्स मानते हैं कि कार्डियक हेल्थ के लिए नियमित व्यायाम, कम वसा और कम नमक वाला आहार, स्मोकिंग और ड्रिंकिंग से दूरी, नींद पूरी करना और स्ट्रेस को कम करना सबसे जरूरी है। नियमित जांच, खासकर ईसीजी, ईको और ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग भी युवाओं को शुरू कर देनी चाहिए।


क्यों जरूरी है CPR की जानकारी?


कार्डियक अरेस्ट एक मेडिकल इमरजेंसी है और अगर सही समय पर CPR (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) दी जाए तो व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। इसके लिए जरूरी है कि आम लोग भी CPR देना सीखें। कई देशों में स्कूल स्तर से ही इसकी ट्रेनिंग दी जाती है, भारत में भी अब इसके लिए जागरूकता की जरूरत है।


बदलते दौर में दिल की सेहत सबसे जरूरी


शेफाली जरीवाला की असमय मौत ने एक बार फिर ये सच्चाई सामने रख दी है कि दिल की बीमारियां अब उम्र देखकर शिकार नहीं चुनतीं। युवाओं में हृदयाघात की घटनाएं केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि एक सामाजिक और राष्ट्रीय चिंता बन चुकी हैं।

अगर समय रहते हमने अपनी जीवनशैली में जरूरी बदलाव नहीं किए तो यह समस्या आने वाले सालों में और भी गंभीर रूप ले सकती है। फिटनेस के नाम पर ओवरएक्सरसाइज भी खतरा बन रही है और स्ट्रेस तो जैसे हर दिन का हिस्सा बन गया है।

इसलिए वक्त आ गया है जब हम ‘दिल’ को केवल इमोशन नहीं, हेल्थ का सबसे संवेदनशील केंद्र मानें और उसकी देखभाल में कोई कसर न छोड़ें। शेफाली की यादें रहेंगी, लेकिन उनकी मौत से मिली चेतावनी को नज़रअंदाज़ करना अब खुद के साथ अन्याय होगा।