सरकारी अफसरों के लिए चेतावनी: फाइल खुलेगी तो पेंशन बंद होगी!

राजस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार ने अब निर्णायक कार्रवाई की राह पकड़ ली है। भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे रिटायर्ड और मौजूदा अफसरों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की शुरुआत हो गई है। कई वर्षों से लंबित मामलों में अब राज्य सरकार न केवल कानूनी कार्रवाई

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Monday, July 7, 2025

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राजस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार ने अब निर्णायक कार्रवाई की राह पकड़ ली है। भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे रिटायर्ड और मौजूदा अफसरों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की शुरुआत हो गई है।

कई वर्षों से लंबित मामलों में अब राज्य सरकार न केवल कानूनी कार्रवाई की मंजूरी दे रही है, बल्कि दोषी पाए गए अफसरों की पेंशन रोकने तक की सिफारिश कर रही है। इसका सबसे ताजा उदाहरण हैं रिटायर्ड IAS निर्मला मीणा, जिनकी पेंशन रोकने की प्रक्रिया सरकार ने शुरू कर दी है।


निर्मला मीणा का गेहूं घोटाला और पेंशन रोकने की कार्रवाई


वर्ष 2017 में करीब 8 करोड़ रुपये के गेहूं घोटाले में रिटायर्ड IAS निर्मला मीणा के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने केस दर्ज किया था। एक साल बाद ACB ने चालान पेश किया और राज्य सरकार को अभियोजन स्वीकृति के लिए फाइल भेजी।

तत्कालीन भाजपा और कांग्रेस सरकारों ने कोई निर्णय नहीं लिया, लेकिन अब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में बनी सरकार ने न केवल अभियोजन की मंजूरी दे दी है, बल्कि उनकी पेंशन रोकने के लिए कार्मिक विभाग को निर्देश भी जारी कर दिए हैं। इसके लिए डीओपीटी द्वारा UPSC से अनुमति मांगी जाएगी।


पिंकी मीणा और पुष्कर मित्तल पर केस को मिली मंजूरी


2021 में दौसा जिले में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के निर्माण के दौरान घूसकांड उजागर हुआ था, जिसमें RAS अधिकारी पिंकी मीणा और पुष्कर मित्तल को ACB ने रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था।

ये दोनों अधिकारी तब से निलंबित हैं। अब सरकार ने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की अनुमति दे दी है। इससे यह साफ है कि सरकार अब भ्रष्ट अफसरों को छोड़ने के मूड में नहीं है।


पुराने घूसकांड में फंसे अफसर भी रडार पर


निर्मला मीणा पर हुई कार्रवाई के बाद अब ऐसे कई रिटायर्ड अफसरों की धड़कनें तेज हो गई हैं, जो वर्षों पहले भ्रष्टाचार के मामलों में पकड़े गए थे लेकिन अब तक कार्रवाई से बचते रहे हैं। इनमें शामिल हैं अशोक सिंघवी, इंद्र सिंह राव, प्रेमसुख बिश्नोई, जीएस संधू जैसे वरिष्ठ अधिकारी।


अशोक सिंघवी : 22 करोड़ के घूसकांड में आरोपी


खनन विभाग में 2015 में उजागर हुए महाघोटाले में पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी मुख्य आरोपी रहे। चित्तौड़गढ़ की खानों को चालू करने के बदले करोड़ों की डील पकड़ी गई थी। सिंघवी को ACB ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में भी घेरा है। वह 2018 में रिटायर हो गए थे, लेकिन मामला अब भी अदालत में लंबित है।


इंद्र सिंह राव : कलेक्टर रहते रिश्वत प्रकरण में गिरफ्तारी


2019 में बारां जिले के तत्कालीन कलेक्टर इंद्र सिंह राव के पीए को ACB ने रिश्वत लेते ट्रैप किया था। जांच में खुद राव की संलिप्तता पाई गई और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। चार्जशीट दाखिल हो चुकी है और केस न्यायिक प्रक्रिया में है।


जीएस संधू और प्रेमसुख बिश्नोई भी लपेटे में


जयपुर के पट्टा प्रकरण में जीएस संधू समेत कई अधिकारियों को आरोपी बनाया गया। वहीं, मत्स्य विभाग में डायरेक्टर रहे प्रेमसुख बिश्नोई को 2024 में रिश्वत लेते पकड़ा गया था। बिश्नोई के खिलाफ अब भी अदालत में मामला चल रहा है, लेकिन ACB ने उनके खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति नहीं मांगी है और एफआर की तैयारी में है।


ढाका को क्लीन चिट की तैयारी, लेकिन सवाल बरकरार


भ्रष्टाचार के मामलों में जहां एक ओर सरकार सख्ती दिखा रही है, वहीं कुछ मामलों में नरमी भी देखी जा रही है। भूमि कन्वर्जन मामले में आरोपी आईएएस हनुमान मल ढाका को एसीबी अब तक कानूनी कार्रवाई के लिए नहीं पकड़ सकी। सूत्रों के मुताबिक, उन्हें रंगे हाथ पकड़ने की कोशिश नाकाम रही और अब मामला ठंडे बस्ते की ओर बढ़ रहा है।


मंजूरी नहीं मिले तो कानूनी कार्रवाई नहीं संभव


सीआरपीसी की धारा 197 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 के तहत अभियोजन स्वीकृति आवश्यक है। यह एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसके तहत किसी लोकसेवक पर कार्रवाई करने से पहले सरकार की मंजूरी जरूरी होती है।

कई बार दस्तावेजों की कमी या साक्ष्यों में अस्पष्टता के चलते मंजूरी लंबित रहती है। सामान्यतः यह प्रक्रिया तीन महीने में पूरी होनी चाहिए, लेकिन कई मामलों में सालों लग जाते हैं।


सबसे अधिक लंबित केस किन विभागों में?


31 मई 2025 तक की स्थिति के अनुसार, विभिन्न विभागों में ACB द्वारा कानूनी कार्रवाई की मंजूरी के लिए लंबित मामलों की संख्या चिंता का विषय है। स्वायत्त शासन विभाग में सर्वाधिक 146 केस लंबित हैं।

इसके अलावा पंचायत (55), राजस्व (60), ग्रामीण विकास (32), पुलिस (39), ऊर्जा (30), शिक्षा (15), सार्वजनिक निर्माण (पीडब्ल्यूडी – 8), परिवहन (13), सहकारिता (22) और वन विभाग (20) में भी कई मामले पेंडिंग हैं।


भ्रष्टाचार पर सख्ती या सिर्फ दिखावा?


सरकार द्वारा हाल ही में जिन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत हुई है, वह निश्चित रूप से एक मजबूत संकेत है कि अब भ्रष्टाचार पर सख्ती होगी। लेकिन वहीं, कुछ मामलों में ढील बरतना यह भी सवाल उठाता है कि क्या कार्रवाई सभी पर समान रूप से होगी या कुछ को राजनीतिक या प्रशासनिक रसूख के चलते राहत मिलती रहेगी?


भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई


राजस्थान में वर्षों से भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई टलती रही है, लेकिन अब भजनलाल शर्मा सरकार ने गंभीरता दिखाई है। रिटायर्ड अफसरों की पेंशन रोकने से लेकर अभियोजन मंजूरी तक के कदम आने वाले समय में भ्रष्टाचारियों के लिए चेतावनी बन सकते हैं।

अगर यह सिलसिला निष्पक्ष और सतत रहा, तो यह व्यवस्था में पारदर्शिता और जनविश्वास दोनों को मज़बूती देगा।

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