राजस्थान में मचा सियासी घमासान: अभिमन्यु पूनिया और निर्मल चौधरी की गिरफ्तारी पर कांग्रेस का हमला, बीजेपी घिरी

राजस्थान विश्वविद्यालय में परीक्षा दे रहे कांग्रेस विधायक और यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया और छात्र नेता निर्मल चौधरी को पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद राज्य की राजनीति गरमा गई है। शनिवार को हुई इस कार्रवाई ने जहां विपक्षी नेताओं को सरकार पर

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Saturday, June 21, 2025

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राजस्थान विश्वविद्यालय में परीक्षा दे रहे कांग्रेस विधायक और यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया और छात्र नेता निर्मल चौधरी को पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद राज्य की राजनीति गरमा गई है। शनिवार को हुई इस कार्रवाई ने जहां विपक्षी नेताओं को सरकार पर हमला करने का मौका दिया, वहीं भाजपा सरकार और पुलिस प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

परीक्षा देते वक्त हिरासत! वीडियो से खुलासा

घटना के वक्त राजस्थान विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर सेमेस्टर की परीक्षाएं चल रही थीं। अभिमन्यु पूनिया परीक्षा हॉल में पेपर दे रहे थे, तभी पुलिस की एक टीम परिसर में पहुंची और कथित रूप से उन्हें परीक्षा कक्ष से बाहर बुलाकर हिरासत में ले लिया गया। उनके साथ छात्र नेता निर्मल चौधरी को भी पुलिस ने पकड़ा। इस घटना की पुष्टि पूनिया के आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर साझा किए गए एक वीडियो से हुई, जिसमें पूनिया ने इसे ‘लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया।

अभिमन्यु पूनिया ने पुलिस पर लगाया ‘कायरता’ का आरोप

“मुझे और मेरे भाई निर्मल चौधरी को राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर से गिरफ्तार करके पुलिस ने कायरता दिखाई है। क्या भाजपा के क्रूर शासन में आम आदमी की आवाज उठाना अपराध हो गया है? हम अन्याय के खिलाफ लड़ाई नहीं छोड़ेंगे।”

कांग्रेस नेताओं ने जताई कड़ी आपत्ति

घटना के बाद कांग्रेस नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि “विधायक अभिमन्यु पूनिया और छात्र नेता निर्मल चौधरी को परीक्षा के दौरान हिरासत में लेना न केवल अन्याय है, बल्कि लोकतंत्र का खुला उल्लंघन है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार डॉ. राकेश विश्नोई के परिजनों को न्याय नहीं दे सकी और अब जब जनप्रतिनिधि उनके पक्ष में आवाज उठा रहे हैं तो उन्हें दबाया जा रहा है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि “भाजपा सरकार युवाओं और छात्रों की आवाज को अलोकतांत्रिक तरीकों से कुचलने की कोशिश कर रही है। यह अस्वीकार्य है।”

डोटासरा बोले – कांग्रेस करेगी राज्यव्यापी आंदोलन

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी इस गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि परीक्षा केंद्र से छात्रों और जनप्रतिनिधियों को उठाया जा रहा है। डोटासरा ने चेतावनी दी कि “अगर सरकार ने तुरंत पूनिया और चौधरी को रिहा नहीं किया तो कांग्रेस सड़कों पर उतरकर विरोध करेगी।”

पुलिस की सफाई : 2022 के मुकदमे में की गई कार्रवाई

घटना को लेकर पुलिस प्रशासन की ओर से भी सफाई आई है। जयपुर ईस्ट की डीसीपी तेजस्विनी गौतम ने कहा कि यह मामला वर्ष 2022 का है, जब निर्मल चौधरी और उनके साथियों ने पुलिस के साथ बदसलूकी की थी और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था। इस मामले में जांच के बाद उनके खिलाफ अपराध प्रमाणित हुआ और उसी के तहत कार्रवाई की गई। तेजस्विनी गौतम ने यह भी स्पष्ट किया कि “निर्मल चौधरी परीक्षा दे चुके थे। उन्हें परीक्षा केंद्र से बाहर निकलने के बाद गिरफ्तार किया गया। परीक्षा में किसी प्रकार की बाधा नहीं पहुंचाई गई।”

कांग्रेस का आरोप, सत्ता में बैठे लोग असहाय, अफसरशाही हावी

सचिन पायलट ने राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि “राजस्थान में यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार चला कौन रहा है। सत्ता में बैठे लोग विवश महसूस कर रहे हैं और प्रशासनिक अफसरशाही पूरी तरह हावी हो चुकी है। जनता की जवाबदेही खत्म हो गई है और हर जिले में अपराध की घटनाएं बढ़ रही हैं।”

क्या है मामला?

विधायक अभिमन्यु पूनिया और छात्र नेता निर्मल चौधरी पिछले कुछ समय से राजस्थान में विभिन्न जनहित मुद्दों को लेकर सक्रिय रहे हैं। वे हाल ही में डॉ. राकेश विश्नोई के परिजनों को न्याय दिलाने की मांग को लेकर धरने-प्रदर्शनों में शामिल थे। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार इस विरोध को दबाने के लिए उन पर झूठे मुकदमे दर्ज करवा रही है। वहीं पुलिस का कहना है कि गिरफ्तारी पूरी तरह कानून सम्मत है और इसमें राजनीतिक दबाव या बदले की भावना शामिल नहीं है।

परीक्षा स्थल पर गिरफ्तारी कितनी उचित!

इस घटना ने न केवल राजस्थान की राजनीति को गरमा दिया है, बल्कि छात्र समुदाय और आम नागरिकों में भी चिंता पैदा कर दी है। क्या परीक्षा जैसे गंभीर मौके पर राजनीतिक कारणों से गिरफ्तारी करना उचित है? क्या यह लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों की आवाज को दबाने का प्रयास है? या फिर यह कानून के अनुसार की गई एक कार्रवाई है जिसे राजनीतिक रंग दिया जा रहा है? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों ही स्तर पर स्पष्ट होंगे। फिलहाल इतना तय है कि इस घटना ने प्रदेश की राजनीति में हलचल जरूर मचा दी है।