पेपर लीक रिपोर्ट ने मचाया बवाल: क्या युवाओं को बना दिया गया ‘बलि का बकरा’? विपक्ष ने सरकार को घेरा

राजस्थान में लंबे समय से भर्ती परीक्षाओं में धांधली और पेपर लीक के मामलों को लेकर उठ रहे सवालों के बीच राज्य सरकार ने पहली बार इन मामलों पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में पारदर्शिता, कठोर कार्रवाई और युवाओं को न्याय दिलाने के प्रयासों

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Sunday, July 13, 2025

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राजस्थान में लंबे समय से भर्ती परीक्षाओं में धांधली और पेपर लीक के मामलों को लेकर उठ रहे सवालों के बीच राज्य सरकार ने पहली बार इन मामलों पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में पारदर्शिता, कठोर कार्रवाई और युवाओं को न्याय दिलाने के प्रयासों का उल्लेख किया गया है।

हालांकि, विपक्ष ने इस रिपोर्ट को “आंखों में धूल झोंकने वाला” करार देते हुए सरकार पर लीकेज सिस्टम को बचाने का आरोप लगाया है। सरकार और विपक्ष के बीच इस मुद्दे को लेकर जुबानी जंग और तेज हो गई है।


सरकार का दावा: पारदर्शी कार्यवाही और सख्त कदम


सरकार ने चार प्रमुख भर्ती परीक्षाओं—पीटीआई, एसआई, सीएचओ और अधिशासी अधिकारी—को लेकर की गई कार्रवाइयों का ब्यौरा रिपोर्ट में दिया है। सरकार का दावा है कि भाजपा शासन में इन परीक्षाओं में हुए फर्जीवाड़े को बेनकाब करते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई की गई और पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है।


पीटीआई भर्ती 2022: मेरिट में छलांग और 185 बर्खास्तगी


25 सितंबर 2022 को हुई पीटीआई परीक्षा में 5564 अभ्यर्थी सफल हुए थे, लेकिन मेरिट सूची में अचानक 56 अंकों की अप्रत्याशित उछाल ने संदेह खड़ा कर दिया। करीब 900 संदिग्धों की सूची पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को सौंपी गई थी, लेकिन तब कोई कदम नहीं उठाया गया।

भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद इस मामले में 200 एफआईआर दर्ज हुईं और 185 चयनित अभ्यर्थियों को बर्खास्त कर दिया गया। मामले में ओपीजेएस और जेएस यूनिवर्सिटी के मालिकों समेत शिक्षा निदेशालय के दो कर्मचारियों की गिरफ्तारी भी हुई।

इसके अलावा, फर्जी डिग्री के मामले में 30 छात्रों पर केस दर्ज किया गया और दस्तावेजों की जांच के लिए समिति बनाई गई।

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एसआई भर्ती 2021: 60 गिरफ्तार और 50 बर्खास्त


कांग्रेस शासन में आयोजित एसआई परीक्षा में पेपर लीक की शिकायतें मिली थीं। भाजपा सरकार ने इस पर एसआईटी का गठन कर जांच शुरू की। अब तक 53 प्रशिक्षु उपनिरीक्षक और 6 अन्य अभ्यर्थियों को गिरफ्तार किया गया है।

इसके अलावा, 50 अभ्यर्थियों को बर्खास्त कर दिया गया है और तीन पर विभागीय कार्रवाई चल रही है। रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि आने वाले दिनों में छह और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।


सीएचओ भर्ती 2022: पेपर वायरल के बाद दोबारा परीक्षा


19 फरवरी 2023 को आयोजित सीएचओ परीक्षा में पेपर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। कांग्रेस सरकार ने तब कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया। भाजपा सरकार ने इस परीक्षा को रद्द कर दिसंबर 2023 में फिर से आयोजन की घोषणा की और मार्च 2024 में परीक्षा दोबारा कराई गई।


अधिशासी और राजस्व अधिकारी परीक्षा: रद्द कर फिर परीक्षा


14 मई 2022 को 111 पदों के लिए आयोजित यह परीक्षा भी विवादों में रही। शिकायतों के बावजूद कांग्रेस सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया। भाजपा सरकार ने प्रक्रिया को रद्द किया और दोबारा परीक्षा आयोजित की। अब 25 जुलाई 2025 को रोजगार मेले के जरिए चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाएगी।


सरकार की 10 बड़ी पहलें: रोजगार और पारदर्शिता पर फोकस


सरकार ने दावा किया है कि पिछले डेढ़ साल में युवाओं को लेकर 10 बड़ी पहलें की गई हैं। इन पहलों में सबसे प्रमुख है रोजगार मेलों के माध्यम से 69 हजार सरकारी नौकरियों का वितरण।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 1.88 लाख पदों पर बिना किसी पेपर लीक के भर्ती प्रक्रिया जारी है। इसके अलावा आरपीएससी और आरएसएसबी का परीक्षा कैलेंडर पहली बार जारी किया गया है।


दस्तावेजों के सत्यापन की जिम्मेदारी विभागों को सौंपी गई है, सीईटी में पाई गई विसंगतियों को दूर किया गया है, और पशुपालन व चतुर्थ श्रेणी की भर्तियों में सुधार लागू किए गए हैं। शिक्षा विभाग में नियमित नियुक्ति कार्यक्रम शुरू किया गया है।

वहीं, लंबित भर्तियों की न्यायालय में प्रभावी पैरवी के दावे किए गए हैं। सरकार ने यह भी कहा है कि विवादित प्रश्नों की समीक्षा के बाद नई उत्तर कुंजी जारी की गई और पाठ्यक्रम से बाहर के सवालों पर जवाबदेही तय की गई है।


विपक्ष का आरोप: लीकेज सिस्टम को बचाने की कोशिश


विपक्ष ने सरकार की रिपोर्ट को “मेकअप रिपोर्ट” बताया है। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार लीकेज सिस्टम को खत्म करने की बजाय उसे छिपाने की कोशिश कर रही है। उनका आरोप है कि सरकार एक-एक भर्ती को अलग तरीके से देख रही है, जबकि पूरी भर्ती प्रणाली की निष्पक्ष ऑडिट की जरूरत है।

विपक्ष यह सवाल भी उठा रहा है कि जो परीक्षाएं कांग्रेस शासन में हुई थीं और जिनमें गड़बड़ी सामने आई, उनके लिए क्या केवल कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराना ही पर्याप्त है, या फिर वे अधिकारी और सिस्टम भी जांच के घेरे में आने चाहिए जिनकी निगरानी में यह सब हुआ।


राजनीतिक तापमान चढ़ा, युवा अब भी असमंजस में


इस रिपोर्ट के बाद जहां सरकार अपने कड़े फैसलों और पारदर्शी प्रक्रिया का गुणगान कर रही है, वहीं विपक्ष इसे “युवाओं से छल” बता रहा है। दोनों पक्षों के बीच चल रही इस राजनीतिक खींचतान के बीच बेरोजगार युवा अब भी इस असमंजस में हैं कि उन्हें वाकई निष्पक्ष और पारदर्शी सिस्टम मिलेगा या नहीं।

स्पष्ट है कि पेपर लीक जैसे गंभीर मामलों को लेकर पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत अब पहले से कहीं ज्यादा है। क्योंकि जब सवाल युवाओं के भविष्य का हो, तो सिर्फ दावे नहीं, निष्पक्ष नतीजे चाहिए।