राजस्थान की सियासत एक बार फिर गर्मा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बीजेपी पर लगातार तीखी बयानबाज़ी के बीच अब भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के पार्टी प्रभारी डॉ. सतीश पूनिया ने पलटवार करते हुए कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला है।
पूनिया ने कहा कि कांग्रेस का अस्तित्व ही अब खतरे में है और वह संविधान की दुहाई देकर केवल अपने राजनीतिक वजूद को बचाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने गहलोत को उन्हीं की भाषा में जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस अब सिर्फ बयानों के सहारे जिंदा रहने की जद्दोजहद कर रही है।
जोधपुर दौरे में बोले पूनिया – कांग्रेस भ्रम फैलाने में माहिर
सतीश पूनिया जोधपुर पहुंचे थे जहां उन्होंने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के पिता के निधन पर शोक जताया। इस दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने गहलोत के हालिया बयानों को “राजनीतिक नौटंकी” करार दिया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस बार-बार ‘संविधान खतरे में है’ जैसी बातें दोहराकर लोगों को गुमराह करना चाहती है, जबकि असली खतरा कांग्रेस के अपने अस्तित्व पर मंडरा रहा है।
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जिसे हार का डर होता है, वही करता है लोकतंत्र का अपमान
पूनिया ने कहा कि चुनाव आते ही कांग्रेस को चुनाव आयोग, ईवीएम और लोकतंत्र पर सवाल उठाने की आदत हो जाती है। जब हार सामने दिखती है तो कांग्रेस लोकतंत्र के मूल स्तंभों पर हमला करती है।
उन्होंने कहा कि यह वही पार्टी है जो लोकतंत्र की दुहाई देती है, लेकिन खुद आंतरिक लोकतंत्र का सबसे बड़ा उदाहरण नहीं दे सकी। पार्टी के अंदर ही शीर्ष नेतृत्व थोपने की परंपरा रही है, और अब वही पार्टी लोकतांत्रिक मूल्यों की दुहाई देकर खुद को बचाने की कोशिश कर रही है।
‘संविधान खतरे में’ कांग्रेस का पुराना शिगूफा
पूनिया ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने हर हार के बाद या जब भी उसका जनाधार कमजोर हुआ, तब उसने संविधान को ढाल बनाकर भावनात्मक कार्ड खेलने की कोशिश की है। लेकिन अब जनता समझ चुकी है कि ये बयान जनता को भ्रमित करने और अपने असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के हथकंडे हैं।
पूनिया के मुताबिक संविधान को असल खतरा तब था जब कांग्रेस ने इमरजेंसी लगाकर लोकतंत्र की हत्या की थी। आज जब देश की संस्थाएं स्वतंत्र और सशक्त हैं, तब यह कहना कि संविधान खतरे में है, केवल कांग्रेस की हताशा दर्शाता है।
शिक्षा में कांग्रेस ने किया केवल एक परिवार का महिमामंडन
हाल ही में राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने स्कूल पाठ्यक्रम में बदलाव की बात कही थी, जिससे कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया। इस पर पूनिया ने कहा कि कांग्रेस ने दशकों तक इतिहास को एकतरफा ढंग से पेश किया और केवल एक परिवार के योगदान को केंद्र में रखकर शिक्षा सामग्री तैयार की।
महापुरुषों को पीछे धकेलकर सिर्फ नेहरू-गांधी परिवार को महिमामंडित किया गया, जिसकी झलक किताबों में साफ दिखती है। उन्होंने कहा कि अब पाठ्यक्रमों में संतुलन लाने का प्रयास हो रहा है, ताकि बच्चों को सही और समग्र इतिहास पढ़ने को मिले।
लेकिन यह प्रक्रिया आसान नहीं है और इसके लिए समय, शोध और विशेषज्ञों की मदद जरूरी है। सरकार इस दिशा में गंभीरता से काम कर रही है।
पेपर लीक मामले में भी कांग्रेस कर रही है राजनीति
राज्य में हाल ही में हुए पेपर लीक मामलों को लेकर भी कांग्रेस सरकार को निशाने पर ले रही है। इस पर पूनिया ने कहा कि बीजेपी सरकार इस मामले में पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रही है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है और जांच एजेंसियां अपना काम कर रही हैं।
कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकना चाहती है, जबकि सच्चाई सामने आने में अभी वक्त है। पूनिया ने कहा कि जो भी दोषी होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा।
कांग्रेस अब विचारधारा और नेतृत्व दोनों में खोखली
सतीश पूनिया ने कांग्रेस की मौजूदा स्थिति को लेकर भी तीखा कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब न तो विचारधारा की स्पष्टता रखती है और न ही मजबूत नेतृत्व। उनकी राजनीति अब केवल मोदी और बीजेपी विरोध पर आधारित है।
उन्होंने यह भी कहा कि 2024 के लोकसभा चुनावों में जनता ने कांग्रेस को बुरी तरह नकारा है और राजस्थान में भी कांग्रेस की पकड़ लगातार कमजोर हो रही है।
बीजेपी मजबूत, कांग्रेस भ्रमित: पूनिया
अपने पूरे संबोधन में पूनिया ने कांग्रेस को ‘संविधान खतरे में’ जैसे नारों से बाहर निकलकर ज़मीनी सच्चाई का सामना करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी स्थिर नेतृत्व और स्पष्ट नीति के साथ आगे बढ़ रही है, जबकि कांग्रेस दिशाहीन और भ्रमित है।
ऐसे में जनता किसे समर्थन देगी, इसका फैसला आने वाला समय करेगा। राजनीतिक तापमान तेज हो चुका है और सतीश पूनिया का यह बयान कांग्रेस और गहलोत के लिए सीधी चुनौती माना जा रहा है। अब देखना यह है कि कांग्रेस इस पलटवार का किस अंदाज में जवाब देती है।