राजस्थान की राजधानी जयपुर से एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। भजनलाल सरकार के कैबिनेट मंत्री और पूर्व ओलंपियन कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के आवास पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने शुक्रवार को छापेमारी की और पोक्सो एक्ट के एक आरोपी को गिरफ्तार किया।
आरोपी मंत्री के आवास पर कार्यरत कर्मचारी था और उस पर नाबालिग से दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराध में मददगार बनने का आरोप है।
कर्मचारी बनकर मंत्री आवास में छिपा था आरोपी
मामले की तह में जाने पर पता चला कि गिरफ्तार किया गया युवक रामरतन मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के सिरसी रोड स्थित सरकारी आवास में बतौर कर्मचारी कार्यरत था। यूपी पुलिस एक लंबे समय से रामरतन की तलाश में थी
क्योंकि उस पर एक नाबालिग लड़की को भगाकर ले जाने और दुष्कर्म के मुख्य आरोपी को फरारी में सहायता करने के आरोप थे। जानकारी के अनुसार, रामरतन ने उस आरोपी को अपने स्तर पर शरण दी और फरार होने में मदद की।
यूपी पुलिस के पहुंचते ही मंत्री आवास पर मची खलबली
शुक्रवार सुबह जब उत्तर प्रदेश पुलिस की एक विशेष टीम जयपुर पहुंची और सीधा वैशाली नगर के सिरसी रोड स्थित मंत्री आवास का रुख किया, तो वहां मौजूद लोग हतप्रभ रह गए। आमतौर पर शांत रहने वाले इस इलाके में अचानक आई पुलिस टीम ने माहौल को चौंकाने वाला बना दिया।
यूपी पुलिस ने कार्रवाई से पहले स्थानीय करणी विहार थाना पुलिस को भी सूचित किया और फिर संयुक्त रूप से दबिश देकर रामरतन को हिरासत में लिया।
मंत्री की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं
अब तक इस पूरे मामले पर मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ या उनके कार्यालय की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। यह साफ नहीं हो पाया है कि मंत्री को इस कर्मचारी के आपराधिक इतिहास के बारे में कोई जानकारी थी या नहीं।
हालांकि, इस घटनाक्रम ने सरकार की जवाबदेही और संवेदनशील मामलों में चयन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं।
पोक्सो केस में बना सह-आरोपी, यूपी पुलिस ले गई साथ
जयपुर पुलिस के अनुसार, यूपी पुलिस ने जिस मामले में रामरतन को गिरफ्तार किया है, वह पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज हुआ था। आरोप है कि रामरतन ने नाबालिग से दुष्कर्म के मुख्य आरोपी को न केवल आश्रय दिया, बल्कि फरार रहने में मदद भी की। इसी वजह से उसे सह-आरोपी बनाया गया और अब उसे उत्तर प्रदेश ले जाकर आगे की पूछताछ की जाएगी।
राजनीति से जुड़ी संपत्तियों पर निगरानी की मांग तेज
इस घटना के बाद यह मांग भी उठ रही है कि नेताओं और मंत्रियों के आवास पर कार्यरत कर्मचारियों की पृष्ठभूमि की गहन जांच की जाए। एक गंभीर आपराधिक मामले में संलिप्त व्यक्ति का सरकारी मंत्री के घर पर काम करना सुरक्षा व्यवस्था और नैतिक जवाबदेही दोनों पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
यह मुद्दा आने वाले समय में राजनीतिक चर्चा का विषय बन सकता है।
भविष्य में हो सकती हैं और भी गिरफ्तारियां
सूत्रों के अनुसार, यूपी पुलिस की टीम सिर्फ रामरतन तक ही सीमित नहीं है। जिस मुख्य आरोपी की तलाश जारी है, उसके नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की भी तलाश हो रही है। रामरतन से पूछताछ के बाद कई और नाम सामने आ सकते हैं और इस मामले में और गिरफ्तारियों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
सियासी हलकों में हलचल, विपक्ष का हमला तय
हालांकि इस पूरे घटनाक्रम में मंत्री की प्रत्यक्ष संलिप्तता का कोई प्रमाण नहीं मिला है, लेकिन विपक्षी दल इस मुद्दे को जरूर भुनाने की तैयारी में दिख सकते हैं। एक मंत्री के घर से पोक्सो एक्ट में आरोपी का पकड़ा जाना सरकार की छवि पर असर डाल सकता है और यह मामला आने वाले समय में विधानसभा में भी गूंज सकता है।
प्रशासन को चौकन्ना कर दिया
जयपुर जैसे शांत शहर में हुई इस अप्रत्याशित घटना ने न केवल प्रशासन को चौकन्ना कर दिया है, बल्कि सरकार के उच्च पदों पर बैठे लोगों को भी अपने आस-पास के वातावरण की पुनः समीक्षा करने की सीख दी है। अब देखना होगा कि इस मामले में आगे की जांच क्या मोड़ लेती है।
















