प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 123वें एपिसोड में एक साधारण महिला की असाधारण कहानी को साझा कर देशभर के लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले की रहने वाली सुमा उइके का उल्लेख करते हुए बताया कि किस तरह एक दसवीं पास महिला ने आत्मनिर्भरता की राह चुनी और न सिर्फ खुद का जीवन बदला बल्कि दूसरों को भी रोजगार देने का माध्यम बनीं। यह कहानी उन लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो सीमित साधनों के बावजूद कुछ बड़ा करने की चाह रखती हैं।
नक्सल प्रभावित क्षेत्र से आत्मनिर्भरता की ओर कदम
बालाघाट जिला देश में लंबे समय तक नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में जाना जाता रहा है। लेकिन अब इसी इलाके की महिलाएं नई पहचान गढ़ रही हैं। कटंगी विकासखंड के भजियापार गांव की सुमा उइके भी उन्हीं में से एक हैं। उन्होंने आजीविका मिशन और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में ठोस कदम उठाए।
स्व-सहायता समूह से मिली दिशा
सुमा उइके ने 2014 में एक स्व-सहायता समूह से जुड़कर अपने सफर की शुरुआत की। यह वह समय था जब वे केवल घरेलू कार्यों तक सीमित थीं। लेकिन समूह में जुड़ने के बाद उन्हें सामूहिक बचत, वित्तीय साक्षरता और सामूहिक शक्ति का महत्व समझ में आया।
वर्ष 2017 में वे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ीं और वहां से उन्होंने अपने जीवन में बड़ा बदलाव लाने का निश्चय किया।
थर्मल थेरेपी और मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग
समूह के माध्यम से सुमा को R-SETI (रूरल स्किल एंड एंटरप्रेन्योरशिप ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट) से ऑर्गेनिक मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग मिली। इसके साथ ही उन्होंने CTC में पशुपालन की तकनीकी जानकारी प्राप्त की। सबसे खास बात रही थर्मल थेरेपी की ट्रे
मुद्रा योजना से मिला आर्थिक बल
सुमा उइके की आत्मनिर्भरता की राह तब और स्पष्ट हुई जब आजीविका मिशन के अधिकारियों ने उन्हें प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत लोन लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने इस योजना के अंतर्गत छह लाख रुपये का लोन लिया।
सामान्यतः इस लोन पर ब्याज दर 14% होती है, लेकिन महिला और आदिवासी वर्ग से होने के कारण उन्हें 5% की छूट मिली। यह लोन ही उनके “थर्मल थेरेपी सेंटर” की नींव बना।
कटंगी में शुरू किया थर्मल थेरेपी सेंटर
लोन मिलने के बाद सुमा ने कटंगी शहर में अपना आजीविका थर्मल थेरेपी सेंटर शुरू किया। शुरुआत में यह काम छोटा था, लेकिन उनकी मेहनत और सेवा भावना ने व्यवसाय को तेजी से आगे बढ़ाया। ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगी, और साथ ही उनकी मासिक आमदनी भी।
वर्तमान में सुमा की खुद की आमदनी लगभग ₹19,000 प्रति माह है, जबकि उनके पूरे परिवार की आय अब ₹32,000 तक पहुंच गई है।
तीन लोगों को मिला रोजगार, आगे है 20 महिलाओं को जोड़ने की योजना
सुमा दीदी ने अपने केंद्र में अभी तक तीन लोगों को रोजगार दिया है। इसके अलावा उनकी योजना है कि आने वाले समय में वे बीस महिलाओं को और अपने साथ जोड़ेंगी, जिन्हें वे रोजगार और आत्मनिर्भरता का प्रशिक्षण देंगी। उनका कहना है कि उन्होंने खुद जो सीखा है, अब वह उसे औरों के जीवन को बेहतर बनाने में लगाना चाहती हैं।
पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में किया जिक्र
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “बालाघाट की सुमा दीदी ने यह सिद्ध कर दिया है कि अगर कुछ करने की ठान ली जाए तो कोई भी बाधा रास्ते में नहीं आ सकती।” उन्होंने बताया कि कैसे एक साधारण पृष्ठभूमि से आने वाली महिला ने सरकारी योजनाओं का सही उपयोग कर एक प्रेरक उद्यमी बनने का सफर तय किया।
प्रेरणा बन चुकी हैं सुमा उइके
सुमा उइके अब अपने गांव और क्षेत्र की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। वे बताती हैं कि “अगर जीवन में कुछ बड़ा करना है तो केवल इच्छा शक्ति चाहिए, संसाधन और मार्ग समय के साथ मिल जाते हैं।” वे अब आत्मनिर्भरता का उदाहरण तो हैं ही, साथ ही ग्रामीण भारत में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की मिसाल भी हैं।
सुमा उइके की यह कहानी केवल एक महिला की सफलता नहीं है, यह बदलाव की वह लहर है जो ग्रामीण भारत की आत्मा को झकझोर रही है। उनकी कहानी प्रधानमंत्री के शब्दों में देशभर के युवाओं और खासकर महिलाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
यह उदाहरण साबित करता है कि सरकारी योजनाओं का लाभ अगर सही हाथों तक पहुंचे, तो वह किस तरह जीवन की दिशा ही बदल सकता है।