‘प्लेटफॉर्म बना प्रसव कक्ष’: डॉ. मेजर रोहित की सेवा को आर्मी चीफ ने कहा ‘गर्व है’

हाल ही 5 जुलाई को झांसी रेलवे स्टेशन पर एक दिल छू लेने वाली घटना घटी, जिसने न केवल भारतीय सेना की गौरवशाली परंपरा को दर्शाया, बल्कि एक सैनिक के भीतर छिपे डॉक्टर और इंसान को भी सामने लाया। झांसी के मिलिट्री अस्पताल में तैनात भारतीय सेना

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Monday, July 7, 2025

platform-delivery-major-rohit-honoured-by-army-chief


हाल ही 5 जुलाई को झांसी रेलवे स्टेशन पर एक दिल छू लेने वाली घटना घटी, जिसने न केवल भारतीय सेना की गौरवशाली परंपरा को दर्शाया, बल्कि एक सैनिक के भीतर छिपे डॉक्टर और इंसान को भी सामने लाया।

झांसी के मिलिट्री अस्पताल में तैनात भारतीय सेना के डॉक्टर, मेजर रोहित बचवाला जब अपने गृहनगर हैदराबाद छुट्टी पर जा रहे थे, तभी रेलवे स्टेशन पर उन्होंने एक महिला को गंभीर संकट में देखा। वह महिला व्हीलचेयर से गिर चुकी थी और तेज प्रसव पीड़ा में थी।

न कोई अस्पताल, न डॉक्टर, न पर्याप्त संसाधन — लेकिन इंसानियत का फर्ज निभाने वाले इस सैनिक ने जो किया, वह पूरे देश के लिए गर्व की बात बन गई।


बिना संसाधनों के बीच किया सफल प्रसव


मेजर रोहित ने मौके पर मौजूद लोगों की मदद से तुरंत स्थिति को संभाला। उन्होंने स्टेशन पर ही धोती की मदद से एक पर्दा बनाया ताकि महिला की निजता बनी रहे। रेलवे की महिला कर्मचारियों ने चारों तरफ घेरा बनाकर महिला को सुरक्षित महसूस कराने का प्रयास किया।

इतने में मेजर रोहित ने एक चाकू और हेयर क्लिप की सहायता से महिला की डिलीवरी करवाई। ना तो ओटी थी, ना दवाएं और ना ही आवश्यक उपकरण, लेकिन मेजर की मेडिकल ट्रेनिंग, आत्मविश्वास और सेवा भावना ने सब कुछ मुमकिन कर दिखाया। यह कार्य सिर्फ चिकित्सकीय दक्षता नहीं, बल्कि मानवीय करुणा और ज़िम्मेदारी का प्रतीक बन गया।


रेलवे कर्मचारियों की भूमिका भी रही अहम


इस पूरी प्रक्रिया में रेलवे की महिला कर्मचारियों ने भी सहयोग किया। उन्होंने न केवल आसपास का क्षेत्र खाली कराया बल्कि महिला के चारों ओर घेरा बनाकर प्राइवेसी का ध्यान रखा। मेजर रोहित के नेतृत्व में जिस प्रकार एक सामान्य स्थान को अस्थायी डिलीवरी वार्ड में बदला गया, वह भारतीय रेलवे और सेना दोनों के सामूहिक प्रयास का बेहतरीन उदाहरण है।


आर्मी चीफ ने की प्रशंसा, सोशल मीडिया पर वायरल


घटना के बाद भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मेजर रोहित बचवाला को विशेष रूप से सम्मानित किया। सेना प्रमुख ने उनकी “असाधारण पेशेवर दक्षता और कर्तव्य से परे नि:स्वार्थ समर्पण” की सराहना की।

उन्होंने कहा कि यह घटना भारतीय सेना की उस परंपरा को दर्शाती है, जिसमें सैनिक सिर्फ युद्धभूमि में ही नहीं, बल्कि समाज के हर कोने में सेवा के लिए तैयार रहते हैं। भारतीय सेना ने इस घटना से जुड़ी तस्वीरें और जानकारी अपने आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर साझा कीं, जो देखते ही देखते वायरल हो गईं।

लाखों लोगों ने मेजर रोहित की तारीफ की और उन्हें सच्चा नायक बताया।


सेना की वर्दी में संवेदनशीलता की मिसाल


मेजर रोहित बचवाला की यह पहल केवल एक चिकित्सा सहायता नहीं थी, बल्कि यह दर्शाता है कि सेना की वर्दी पहनने वाले सिर्फ सीमा पर ही नहीं, समाज के हर संकट में तत्पर रहते हैं। बिना किसी दिखावे के, केवल कर्तव्य और संवेदनशीलता के साथ किए गए इस कार्य ने यह साबित कर दिया कि भारतीय सेना के जवान हर परिस्थिति में मानवता को सर्वोपरि रखते हैं।


झांसी से हैदराबाद की यात्रा बन गई प्रेरणा की कहानी


मेजर बचवाला की यह घटना एक साधारण रेल यात्रा को प्रेरणादायक गाथा में बदल देती है। उनकी तत्परता, निर्णय लेने की क्षमता और चिकित्सा ज्ञान ने एक मां और नवजात की जान बचाई। यह घटना आने वाली पीढ़ियों के लिए एक आदर्श बन गई है, कि एक सैनिक कभी भी अपनी ज़िम्मेदारी से पीछे नहीं हटता, चाहे वह कहीं भी हो।


आर्मी यानी हमेशा ड्यूटी पर तैनात


मेजर रोहित बचवाला का साहसिक कार्य हमें यह सिखाता है कि संसाधनों की कमी कभी भी सेवा और समर्पण की भावना को नहीं रोक सकती। झांसी रेलवे स्टेशन पर जो हुआ, वह सिर्फ एक मेडिकल इमरजेंसी नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं, कर्तव्यपरायणता और भारतीय सेना की उच्चतम नैतिकता का प्रतीक बन चुका है।

मेजर रोहित न केवल एक डॉक्टर हैं, बल्कि आज की तारीख में वे पूरे देश के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं।

यह भी पढ़ें –