पर्सनल लोन या लाइन ऑफ क्रेडिट? 90% लोग नहीं जानते कौन है बेहतर – जानिए पूरी सच्चाई और बचाएं हज़ारों रुपये

जब अचानक पैसों की जरूरत पड़ती है, तो ज्यादातर लोग पर्सनल लोन या लाइन ऑफ क्रेडिट जैसे विकल्पों की ओर देखते हैं। हालांकि ये दोनों विकल्प फाइनेंशियल रूप से मददगार होते हैं, लेकिन इनकी कार्यप्रणाली, ब्याज दर और भुगतान की शर्तों में फर्क होता है। इसलिए किसी

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Friday, July 4, 2025

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जब अचानक पैसों की जरूरत पड़ती है, तो ज्यादातर लोग पर्सनल लोन या लाइन ऑफ क्रेडिट जैसे विकल्पों की ओर देखते हैं। हालांकि ये दोनों विकल्प फाइनेंशियल रूप से मददगार होते हैं, लेकिन इनकी कार्यप्रणाली, ब्याज दर और भुगतान की शर्तों में फर्क होता है।

इसलिए किसी भी विकल्प को चुनने से पहले यह जानना जरूरी है कि आपकी जरूरत क्या है, आपकी चुकाने की क्षमता कितनी है और आपको कितने समय तक पैसों की आवश्यकता रहेगी। आइए विस्तार से समझते हैं कि पर्सनल लोन और लाइन ऑफ क्रेडिट में क्या अंतर है और किस परिस्थिति में कौन सा विकल्प सही रहेगा।


पर्सनल लोन क्या होता है?


पर्सनल लोन एक निश्चित राशि का लोन होता है जो बैंक या वित्तीय संस्थान एक बार में जारी करता है। यह लोन आमतौर पर बिना किसी सिक्योरिटी के दिया जाता है और इसकी अवधि, ब्याज दर और ईएमआई पहले से तय होती हैं।

पर्सनल लोन का फायदा यह है कि इसका इस्तेमाल आप किसी भी पर्सनल खर्च के लिए कर सकते हैं जैसे मेडिकल इमरजेंसी, शादी, यात्रा, शिक्षा, घर की मरम्मत या पुराने कर्ज का भुगतान। पर्सनल लोन लेने के बाद आपको हर महीने एक तय किस्त यानी EMI चुकानी होती है और ब्याज पूरे लोन अमाउंट पर लगता है, चाहे आपने पूरी राशि का तुरंत इस्तेमाल किया हो या नहीं।


लाइन ऑफ क्रेडिट क्या है?


लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC) एक क्रेडिट सुविधा है जिसमें बैंक या एनबीएफसी एक क्रेडिट लिमिट देता है। इस लिमिट के तहत आप जरूरत के अनुसार पैसे निकाल सकते हैं और इस्तेमाल किए गए अमाउंट पर ही ब्याज देना होता है।

यह काफी कुछ क्रेडिट कार्ड की तरह होता है, लेकिन इसमें ब्याज दर आमतौर पर कम होती है और लोन की अवधि लचीली होती है। उदाहरण के तौर पर अगर आपकी क्रेडिट लिमिट ₹2 लाख है और आप केवल ₹30,000 निकालते हैं, तो ब्याज केवल उसी ₹30,000 पर लगेगा और तब तक के लिए जब तक आप वो पैसा वापस नहीं कर देते। जैसे-जैसे आप पैसा चुकाते हैं, आपकी लिमिट फिर से उपलब्ध हो जाती है।


दोनों में क्या है बड़ा फर्क?

पर्सनल लोन और लाइन ऑफ क्रेडिट दोनों में कुछ बुनियादी अंतर होते हैं जो आपके निर्णय को प्रभावित कर सकते हैं।

फंड रिलीज का तरीका:

पर्सनल लोन में आपको एक बार में पूरी राशि मिलती है, जबकि लाइन ऑफ क्रेडिट में आप जरूरत के अनुसार बार-बार पैसा निकाल सकते हैं।

ब्याज दर और भुगतान:

पर्सनल लोन पर ब्याज पूरे लोन अमाउंट पर लगता है, जबकि LOC में केवल इस्तेमाल की गई राशि पर ब्याज देना होता है। साथ ही पर्सनल लोन की EMI फिक्स होती है जबकि LOC में फ्लेक्सिबल रीपेमेंट की सुविधा होती है।

लचीलापन और सुविधा:

पर्सनल लोन में आपको एक तय समय पर EMI भरनी होती है, जिससे बजट में अनुशासन आता है। जबकि LOC ज्यादा फ्लेक्सिबल होती है, जिसमें आप जरूरत के अनुसार पैसा निकालते हैं और चुकाते हैं।


कब चुनें पर्सनल लोन?


अगर आपको एक निश्चित राशि की जरूरत है और आप जानते हैं कि इस पैसे का इस्तेमाल कहां और कैसे करना है, तो पर्सनल लोन एक बेहतर विकल्प है। उदाहरण के लिए शादी, शिक्षा, घर की मरम्मत, वाहन खरीद या किसी कर्ज को कवर करने के लिए पर्सनल लोन सुविधाजनक रहता है।

यह उन लोगों के लिए भी अच्छा है जो EMI के जरिए डिसिप्लिन से लोन चुकाना चाहते हैं।


कब सही रहेगा लाइन ऑफ क्रेडिट?


लाइन ऑफ क्रेडिट उन परिस्थितियों के लिए सही होती है जहां पैसों की जरूरत अनिश्चित हो या समय-समय पर होती रहे। उदाहरण के लिए लंबी मेडिकल ट्रीटमेंट, स्टार्टअप या छोटे व्यवसाय में फ्लोटिंग खर्च, किसी अप्रत्याशित खर्च को मैनेज करना आदि स्थितियों में LOC एक लचीला विकल्प बन जाता है।

इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप केवल उस राशि पर ब्याज देते हैं, जो आपने वास्तव में इस्तेमाल की है।


वित्तीय स्थिति और खर्च की प्रकृति


पर्सनल लोन और लाइन ऑफ क्रेडिट दोनों ही अपने-अपने स्थान पर उपयोगी हैं। आपका लक्ष्य, वित्तीय स्थिति और खर्च की प्रकृति यह तय करती है कि आपको कौन सा विकल्प चुनना चाहिए।

अगर आपकी जरूरत एक बार में अधिक पैसे की है और आप फिक्स ईएमआई में चुकाने के लिए तैयार हैं, तो पर्सनल लोन लें। अगर आपकी खर्च की जरूरत समय के साथ टुकड़ों में पूरी होनी है और आप फ्लेक्सिबल भुगतान चाहते हैं, तो लाइन ऑफ क्रेडिट आपके लिए बेहतर साबित हो सकती है।