अगर आप ऑफिस या ट्रेन-फ्लाइट पकड़ने जैसे जरूरी काम के लिए ओला-उबर जैसी ऐप आधारित कैब सर्विस का इस्तेमाल करते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। केंद्र सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय ने मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस (MVAG) 2025 के तहत नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं
जो कैब कंपनियों के संचालन को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में बड़ा कदम माने जा रहे हैं। इन गाइडलाइंस में सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब कैब एग्रीगेटर कंपनियां पीक आवर्स में बेस किराए का दोगुना तक चार्ज कर सकेंगी।
पहले डेढ़ गुना था अधिकतम किराया, अब दो गुना तक मिलेगी मंजूरी
अब तक कंपनियों को अधिकतम डेढ़ गुना तक किराया वसूलने की अनुमति थी, लेकिन नए नियमों के तहत यह सीमा बढ़ाकर दो गुना कर दी गई है। सरकार ने यह छूट इसलिए दी है ताकि कंपनियां किराया निर्धारित करते समय ग्राहकों को स्पष्टता दे सकें और ‘छिपे चार्ज’ की प्रवृत्ति खत्म हो।
पूर्व ट्रांसपोर्ट डिप्टी कमिश्नर अनिल चिकारा का कहना है कि बीते साल भर से ऐप आधारित कैब कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर बिना बताए अतिरिक्त शुल्क वसूल रही थीं। उन्होंने सरकार के इस फैसले को पारदर्शिता की दिशा में उठाया गया सही कदम बताया है।
राज्य सरकारें तय करेंगी अंतिम किराया दरें
हालांकि ये दिशा-निर्देश केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए हैं, लेकिन राज्यों को इसमें लचीलापन देते हुए कहा गया है कि वे अपनी जरूरतों के अनुसार अपने राज्य परिवहन प्राधिकरण (STA) के जरिए अंतिम किराया दरें तय कर सकते हैं।
इसके लिए उन्हें तीन महीने की अवधि दी गई है। इस बदलाव से न सिर्फ कंपनियों की मनमानी पर अंकुश लगेगा, बल्कि ग्राहकों को पहले से यह जानकारी होगी कि किस समय कैब सेवा महंगी हो सकती है और कब सस्ती।
ड्राइवर और यात्री दोनों पर लागू होंगे राइड कैंसिलेशन के नए नियम
नए दिशा-निर्देशों में राइड कैंसिलेशन को लेकर भी बड़ा बदलाव किया गया है। अब बिना उचित कारण के राइड कैंसिल करने पर ड्राइवर पर जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही यदि ग्राहक बुकिंग करने के बाद राइड कैंसिल करता है, तो उसे भी चार्ज देना होगा।
यह प्रावधान इसलिए लाया गया है क्योंकि पहले कंपनियां राइड कैंसिल होने पर ग्राहक से शुल्क वसूल लेती थीं, लेकिन ड्राइवरों की गलती पर कोई कार्रवाई नहीं होती थी। अब यह जिम्मेदारी दोनों पक्षों पर समान रूप से लागू होगी।
ड्राइवरों में नाराजगी, बोले – कभी-कभी हमें मजबूरी में राइड कैंसिल करनी पड़ती है
हालांकि राइड कैंसिलेशन पर जुर्माने का प्रावधान कैब ड्राइवरों में नाराजगी पैदा कर रहा है। कई ड्राइवरों का कहना है कि यात्रियों की गलती की सजा उन्हें न मिले। एक ड्राइवर ने बताया कि अकसर लोग एक साथ ओला और उबर की बुकिंग कर देते हैं।
ऐसे में जब ड्राइवर लोकेशन पर पहुंचता है और पैसेंजर नहीं मिलता, तो उसे राइड कैंसिल करनी पड़ती है। अगर ऐसे मामलों में भी ड्राइवर पर जुर्माना लगेगा, तो यह अन्यायपूर्ण होगा।
कंपनियों का ‘डर्टी गेम’ होगा बंद?
नई गाइडलाइंस के जरिए सरकार उन शिकायतों को भी सुलझाने का प्रयास कर रही है, जो लंबे समय से ग्राहकों और ड्राइवरों द्वारा की जा रही थीं। विशेषज्ञ मानते हैं कि कई बार कंपनियां ऐप पर छिपे चार्ज जोड़कर किराया बढ़ा देती थीं, जिसकी जानकारी न तो ग्राहक को होती थी और न ही ड्राइवर को।
इससे दोनों पक्षों के बीच टकराव की स्थिति बनती थी। अब नए नियमों के तहत सरकार कंपनियों को सभी चार्ज और किराया दरें पारदर्शी रूप से ऐप पर प्रदर्शित करने के लिए बाध्य करेगी, जिससे भ्रम की स्थिति समाप्त हो सके।
क्या आम उपभोक्ता पर पड़ेगा असर?
इस बदलाव का सीधा असर उन यात्रियों पर पड़ेगा जो ऑफिस टाइम या अन्य व्यस्त समय में कैब सर्विस लेते हैं। ऐसे में उन्हें दोगुना किराया चुकाना पड़ सकता है, जबकि नॉन-पीक आवर्स में किराया सस्ता भी हो सकता है।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह पूरी प्रणाली डायनमिक प्राइसिंग को कानूनी रूप से पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम है, जिससे उपभोक्ताओं को पहले से पता होगा कि किस समय यात्रा करना ज्यादा महंगा है।
कैब कंपनियों के संचालन में स्पष्टता
MVAG 2025 के नए दिशा-निर्देश ओला-उबर जैसी कैब कंपनियों के संचालन में स्पष्टता और उत्तरदायित्व लाने की दिशा में एक जरूरी और प्रभावी पहल है। जहां एक ओर यह ड्राइवर और यात्री दोनों के लिए जिम्मेदारी तय करता है
वहीं दूसरी ओर यह कंपनियों के अब तक के छिपे तौर-तरीकों पर भी लगाम कसता है। हालांकि कुछ प्रावधानों को लेकर आपत्तियां भी हैं, खासकर ड्राइवरों की ओर से, लेकिन अगर इन्हें सही तरह से लागू किया जाए और शिकायतों का समाधान ढूंढ़ा जाए, तो यह नया नियम देशभर में कैब सेवाओं के संचालन को अधिक व्यवस्थित और उपभोक्ता हितैषी बना सकता है।