राजस्थान की राजनीति एक बार फिर हलचल में है। टोंक जिले के चर्चित “थप्पड़ कांड” के मुख्य आरोपी नरेश मीणा की रिहाई को लेकर उनके समर्थकों ने राजधानी जयपुर में बड़ा आंदोलन छेड़ने की घोषणा की है।
नरेश मीणा करीब आठ महीने से जेल में बंद हैं और अब उनके समर्थक जयपुर में विधानसभा घेराव की चेतावनी देकर सरकार को सीधे तौर पर घेरने की तैयारी में हैं।
20 जुलाई को आंदोलन, 11 जुलाई को होगी अहम बैठक
जयपुर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नरेश मीणा के करीबी और आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज मीणा ने ऐलान किया कि 20 जुलाई को राज्य की राजधानी में बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा। इसके लिए 11 जुलाई को आंदोलन की रणनीति तय करने के लिए एक अहम बैठक बुलाई गई है।
इस बैठक में आंदोलन के स्वरूप और आगामी कार्य योजना पर चर्चा की जाएगी। मनोज मीणा ने कहा कि यह आंदोलन केवल नरेश की रिहाई के लिए नहीं बल्कि सरकार की कथित वादाखिलाफी के खिलाफ भी है।
उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने नरेश मीणा के पिता से वादा किया था कि एक महीने में रिहाई सुनिश्चित कर दी जाएगी, लेकिन अब चार महीने बीत चुके हैं और सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया।
राजनीतिक समर्थन भी जुटा आंदोलन को धार
इस आंदोलन को राजनीतिक समर्थन भी मिलने लगा है। मनोज मीणा का दावा है कि नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने आंदोलन को समर्थन देने का आश्वासन दिया है। इसके साथ ही कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल ने भी अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है।
सबसे अहम बात यह रही कि मनोज मीणा ने यह भी दावा किया कि राज्य सरकार में मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा भी इस मामले में सहयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि “किरोड़ी लाल सरकार में रहते हुए भी पिछली बार नरेश की आवाज उठाने में सबसे आगे थे, और इस बार भी वे साथ खड़े नजर आएंगे।
” यह बयान राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा सकता है, क्योंकि एक सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्री का समर्थन आंदोलन को अलग ही गंभीरता प्रदान करता है।
थप्पड़ कांड: उपचुनाव में एसडीएम को मारा था थप्पड़
नरेश मीणा का मामला नवंबर 2023 के उपचुनाव के दौरान सामने आया था, जब टोंक जिले की देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर मतदान के समय मालपुरा के एसडीएम अमित चौधरी को सार्वजनिक रूप से थप्पड़ मारने का आरोप उन पर लगा।
यह घटना चुनावी क्षेत्र में तनाव का कारण बनी और प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए तत्काल कार्रवाई करते हुए नरेश को गिरफ्तार कर लिया। तब से अब तक नरेश मीणा जेल में बंद हैं। हालांकि उनके समर्थकों का दावा है कि यह पूरी कार्रवाई राजनीतिक दबाव में की गई और नरेश को साजिश के तहत जेल में डाला गया।
विधानसभा घेराव की चेतावनी, सरकार पर दबाव बढ़ाने की रणनीति
अब जब 20 जुलाई की तारीख को आंदोलन के लिए चुना गया है, तो सरकार के सामने यह एक बड़ी चुनौती बन सकता है। विधानसभा सत्र की पृष्ठभूमि में होने वाले इस विरोध से न केवल राजधानी जयपुर में प्रशासनिक दबाव बढ़ेगा, बल्कि विपक्ष को भी सरकार पर निशाना साधने का एक और मौका मिल जाएगा।
मनोज मीणा ने साफ शब्दों में कहा कि अगर सरकार ने अब भी नरेश की रिहाई को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो विधानसभा का घेराव होगा और हजारों की संख्या में समर्थक जयपुर पहुंचेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आंदोलन पूरी तरह लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण होगा, लेकिन जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक पीछे नहीं हटेंगे।
सरकार की चुप्पी, विरोध की आंधी
सरकार की ओर से अभी तक इस पूरे घटनाक्रम पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। न ही मुख्यमंत्री कार्यालय और न ही गृह विभाग ने आंदोलन से पहले कोई मध्यस्थता या बातचीत की कोशिश की है। इससे नाराज समर्थकों का कहना है कि सरकार ने जानबूझकर मामला टालने की नीति अपना रखी है, जो अब भारी पड़ सकती है।
सड़कों से विधानसभा तक पहुंची नाराजगी
राजस्थान में लंबे समय से चल रहे इस विवाद ने अब फिर से राजनीतिक रंग ले लिया है। एक ओर जहां नरेश मीणा के समर्थक सड़कों पर उतरने की तैयारी कर चुके हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार की चुप्पी से आंदोलन और तेज होने के संकेत मिल रहे हैं।
यदि 11 जुलाई की बैठक में तय कार्यक्रम के तहत 20 जुलाई को विधानसभा घेराव होता है, तो यह न केवल सरकार के लिए राजनीतिक संकट बन सकता है, बल्कि राज्य की कानून-व्यवस्था की परीक्षा भी होगी। ऐसे में सबकी नजरें इस आंदोलन और सरकार की आगामी रणनीति पर टिकी हुई हैं।