महाराष्ट्र विधानसभा का परिसर, जो राज्य की लोकतांत्रिक गरिमा और गंभीर बहसों का केंद्र माना जाता है, आज एक अखाड़े में तब्दील हो गया। यहां भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार गुट) के विधायकों के बीच जमकर हाथापाई और मारपीट हुई।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर और एनसीपी विधायक जितेंद्र आव्हाड के समर्थक आपस में उलझ गए और लात-घूंसे चलने लगे।
पुराना विवाद, नई चिंगारी
पडलकर और आव्हाड के बीच लंबे समय से मतभेद चल रहे थे, लेकिन हाल ही में वह खुलकर सामने आने लगे थे। विधानसभा परिसर के गेट के पास दोनों नेताओं को एक-दूसरे को गालियां देते हुए भी देखा गया था।
यह तनातनी अब हिंसक टकराव में बदल गई है। झगड़े की ताजा वजह आव्हाड द्वारा की गई एक टिप्पणी मानी जा रही है, जिसमें उन्होंने विधानसभा परिसर में रेड कार्पेट पर चलते हुए एक महिला के मंगलसूत्र को लेकर कटाक्ष किया था। इस टिप्पणी को पडलकर पर तंज के रूप में देखा गया, हालांकि आव्हाड ने किसी का नाम नहीं लिया था।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने जताई नाराजगी
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि विधानसभा परिसर में इस तरह की मारपीट पूरी तरह से अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर में हिंसा का कोई स्थान नहीं है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
फडणवीस ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाएगा और संबंधित अधिकारियों को इसकी जांच के निर्देश दिए गए हैं।
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अध्यक्ष ने दी जांच की assurance
घटना के बाद भाजपा विधायक संजय उपाध्याय ने विधानसभा में यह मुद्दा उठाया और मांग की कि गोपीचंद पडलकर के साथ जो धक्का-मुक्की की गई है, उसकी निष्पक्ष जांच कर संबंधित लोगों पर कार्रवाई की जाए।
इस पर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने आश्वासन दिया कि घटना की तुरंत जांच की जाएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई तय है।
उद्धव ठाकरे ने उठाए गंभीर सवाल
शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस घटना पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि विधानसभा जैसी संवैधानिक संस्था में अगर गुंडागर्दी होगी तो लोकतंत्र की छवि धूमिल होगी। उन्होंने तीखे शब्दों में कहा, “इन गुंडों को पास किसने दिए? विधानसभा परिसर में ऐसे तत्वों की घुसपैठ अस्वीकार्य है।
अध्यक्ष को चाहिए कि इन लोगों पर कार्रवाई करें और यह भी स्पष्ट करें कि इन पर किसके आदेश से पास जारी किए गए थे।” उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और गृह विभाग से इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की।
राजनीतिक तनाव का बदलता स्वरूप
इस घटना ने एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति में बढ़ते तनाव और कटुता को उजागर कर दिया है। जहां एक ओर विचारों की लड़ाई लोकतंत्र की आत्मा मानी जाती है, वहीं अब यह लड़ाई शारीरिक टकराव और निजी हमलों में बदलती दिख रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति न केवल संसदीय परंपराओं का अपमान है, बल्कि आम जनता के लोकतंत्र में विश्वास को भी चोट पहुंचाती है।
विधानसभा की मर्यादा पर सवाल
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जिस विधानसभा को राज्य की नीतियों और कानूनों को गढ़ने का मंच होना चाहिए, वहां अगर विधायक ही हिंसा का रास्ता अपनाएं तो यह लोकतंत्र की गंभीर विफलता का संकेत है। विधानसभा की गरिमा बनाए रखना सभी दलों और नेताओं की जिम्मेदारी है, और इस पर आघात करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाना चाहिए।
जनता में भी असंतोष
घटना के बाद सोशल मीडिया पर आम लोगों की प्रतिक्रियाएं भी तेज हो गई हैं। कई लोगों ने इस मारपीट की निंदा करते हुए कहा कि जब नेता ही आपसी सम्मान नहीं रख सकते, तो वे समाज में शांति और अनुशासन कैसे सुनिश्चित करेंगे।
आम जनता इस बात को लेकर भी चिंतित है कि जिन पर कानून बनाने और पालन कराने की जिम्मेदारी है, वे खुद नियमों को ताक पर रख रहे हैं।
आगे की राह और अपेक्षाएं
अब सभी की निगाहें विधानसभा अध्यक्ष की अगली कार्रवाई और सरकार की जिम्मेदारी पर टिकी हैं। क्या दोषियों पर निष्पक्ष कार्रवाई होगी या यह मामला भी राजनीतिक बयानबाजी तक ही सीमित रह जाएगा? यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। लेकिन इतना तय है कि लोकतंत्र की प्रतिष्ठा बचाने के लिए सख्त और निष्पक्ष कार्रवाई की जरूरत है।