उदयपुर के चर्चित कन्हैयालाल हत्याकांड को लेकर एक बार फिर सियासी और सामाजिक हलचल तेज हो गई है। इस मामले पर बनी फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर जहां एक तरफ अदालत में बहस छिड़ी हुई है, वहीं अब इस केस की पीड़िता और कन्हैयालाल की पत्नी जशोदा साहू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक भावनात्मक पत्र लिखा है।
इस पत्र में उन्होंने न सिर्फ अपने पति की हत्या को याद किया, बल्कि फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने को लेकर नाराजगी भी जताई।
फिल्म पर रोक से आहत हैं कन्हैयालाल की पत्नी
गौरतलब है कि ‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म शुक्रवार, 11 जुलाई को रिलीज होने वाली थी, लेकिन इससे ठीक पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने इसकी रिलीज पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि फिल्म को लेकर अंतिम फैसला केंद्र सरकार लेगी।
वहीं, इस पर एक याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की ओर से दाखिल की गई थी, जिसमें फिल्म को सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाली बताया गया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 9 जुलाई को इस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिससे फिल्म की रिलीज का रास्ता कुछ हद तक साफ हो गया।
लेकिन इसी बीच कन्हैयालाल की पत्नी जशोदा साहू का पत्र सामने आया है, जिसने इस बहस को एक नई दिशा दे दी है।
“फिल्म में कुछ भी गलत नहीं, ये मेरे पति की सच्ची कहानी है”
प्रधानमंत्री को लिखे गए अपने पत्र में जशोदा साहू ने कहा कि उन्होंने खुद यह फिल्म देखी है और उसमें कुछ भी आपत्तिजनक या भड़काऊ नहीं है। उन्होंने लिखा— “वो तो मेरे पति की हत्या की कहानी है, जिसमें कुछ भी गलत नहीं दिखाया गया है।
जो कुछ हुआ, वही बताया गया है।” उनका यह भी कहना है कि जिन लोगों पर हत्या का आरोप है, वही लोग अब कोर्ट में जाकर फिल्म की रिलीज रोक रहे हैं। जशोदा ने इस पूरे घटनाक्रम पर गहरा दुख जताते हुए लिखा कि पहले उनके पति को निर्दयता से मारा गया और अब सच्चाई को दुनिया के सामने आने से रोका जा रहा है।
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पीएम से मिलने की इच्छा भी जताई, मांगा समय
पत्र में जशोदा साहू ने प्रधानमंत्री से एक और महत्वपूर्ण अनुरोध किया है। उन्होंने लिखा— “आपसे प्रार्थना है कि मुझे मेरे बच्चों के साथ मिलने का समय दें। मैं दिल्ली आकर आपसे मिलना चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि आप स्वयं इस फिल्म को देखें और फिर निर्णय लें कि इसे दुनिया के सामने लाना चाहिए या नहीं।”
उन्होंने आगे लिखा कि उनके बच्चों ने बताया है कि अब फिल्म पर अंतिम फैसला मोदी सरकार को लेना है। इसी उम्मीद के साथ उन्होंने प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप की मांग की है।
फिल्म पर विरोध और समर्थन का टकराव जारी
‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर देश में दो धड़े बन चुके हैं। एक तरफ कुछ मुस्लिम संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि फिल्म में एकतरफा कहानी दिखाई जा रही है, जिससे समाज में तनाव फैल सकता है।
दूसरी ओर, पीड़ित परिवार और उनके समर्थक इस फिल्म को सच्चाई का आईना मानते हैं और चाहते हैं कि देश और दुनिया यह जान सके कि कन्हैयालाल के साथ क्या हुआ था। कपिल सिब्बल की दलील है कि इस फिल्म की रिलीज से विभाजनकारी मानसिकता को बल मिल सकता है और अदालतों में लंबित मामले पर इसका असर पड़ सकता है।
वहीं दूसरी ओर, जशोदा साहू का कहना है कि फिल्म में कुछ भी काल्पनिक नहीं है, यह वही है जो उनकी आंखों के सामने हुआ।
कन्हैयालाल हत्याकांड: एक झकझोर देने वाला मामला
बता दें कि जून 2022 में उदयपुर के टेलर कन्हैयालाल की दिनदहाड़े गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। हत्या का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल किया गया था, जिससे देशभर में आक्रोश फैल गया था। मामले की जांच एनआईए को सौंपी गई थी और आरोपी अब भी न्यायिक हिरासत में हैं।
इस जघन्य हत्याकांड ने न सिर्फ राजस्थान बल्कि पूरे देश को हिला कर रख दिया था।
पीड़ित परिवार के लिए न्याय की नई लड़ाई
कन्हैयालाल के परिवार ने पहले दिन से ही आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग की है। वे हर सुनवाई में अदालत से सख्त से सख्त सजा की गुहार लगाते रहे हैं। अब जब फिल्म के माध्यम से उनकी बात सामने आने वाली थी, तब उस पर रोक लगने से उनका आक्रोश और पीड़ा फिर उभर कर सामने आई है।
पीएम मोदी को लिखा गया पत्र सिर्फ एक गुहार नहीं है, बल्कि यह उस पीड़ित परिवार की अंतिम उम्मीद है, जो तीन साल से न्याय की बाट जोह रहा है।
संवेदनशीलता और अभिव्यक्ति की आज़ादी
कन्हैयालाल की पत्नी का यह पत्र न केवल एक भावनात्मक दस्तावेज़ है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि क्या सच्चाई को सामने आने से रोका जाना चाहिए? यह मामला अब सिर्फ एक फिल्म या कानूनी लड़ाई नहीं रह गया है, बल्कि यह संवेदनशीलता और अभिव्यक्ति की आज़ादी के बीच संतुलन की परीक्षा बन गया है।
अब देखना होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पत्र पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या ‘उदयपुर फाइल्स’ को हरी झंडी मिलती है या नहीं।