राजधानी में एक बार फिर जेल में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ है। जेल से बाहर धमकी भरे फोन कॉल्स और संदिग्ध गतिविधियों की खबरों के बीच अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने जयपुर जिला कारागृह के एक जेल प्रहरी को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है।
आरोपी जेल प्रहरी कैदी को जेल में “सुविधा” देने के एवज में 70 हजार रुपये की मांग कर रहा था, जिसमें से 26 हजार रुपये की पहली किस्त लेते समय उसे पकड़ा गया।
जेल में सुरक्षा के बावजूद भ्रष्टाचार जारी
हाल ही में जयपुर जेल से धमकी भरे फोन कॉल्स किए जाने की घटनाओं ने राज्य की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया था। इसके बाद जेलों में सुरक्षा व्यवस्था और चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए गए थे। बावजूद इसके, जेल के अंदर ही जेल कर्मियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं।
ताजा घटना ने साफ कर दिया है कि जेलों के भीतर भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए केवल दिशा-निर्देश पर्याप्त नहीं हैं।
भ्रष्टाचार रोकने में जुटी ACB
एसीबी लगातार प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामलों पर सख्त कार्रवाई कर रही है। गुरुवार, 9 जुलाई को एसीबी ने दो अलग-अलग जगहों पर कार्रवाई की। जहां भीलवाड़ा में एक सरपंच और ई-मित्र को 24 हजार रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया, वहीं जयपुर में जिला कारागृह के जेल प्रहरी को 26 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया।
जयपुर में हुई कार्रवाई एसीबी चौकी जयपुर नगर तृतीय को मिली एक शिकायत के आधार पर की गई। परिवादी ने बताया कि उसका भाई फिरौती के एक मामले में पिछले 8 दिनों से जयपुर जेल में बंद है। जेल प्रहरी जगवीर सिंह द्वारा यह दबाव बनाया जा रहा था कि अगर वह जेल में भाई को परेशान नहीं होने देना चाहता तो उसे 70 हजार रुपये की रिश्वत देनी होगी।
एसीबी की प्लानिंग से फंसा जेल प्रहरी
इस शिकायत के आधार पर एसीबी उपमहानिरीक्षक-द्वितीय जयपुर, राहुल कोटोकी के सुपरवीजन में ज्ञान प्रकाश नवल (अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक), सुरेश कुमार स्वामी (उप अधीक्षक पुलिस), नाथूलाल बंशीवाल (पुलिस निरीक्षक) सहित एक टीम गठित की गई।
पूरी टीम ने योजना बनाकर ट्रैप की कार्रवाई की और आरोपी जगवीर सिंह को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
70 हजार में सौदा, 26 हजार में गिरफ्तारी
जेल प्रहरी द्वारा परिवादी से की गई 70 हजार रुपये की मांग की पुष्टि के बाद एसीबी ने योजना बनाकर पहली किस्त के रूप में 26 हजार रुपये की रिश्वत तय की। जैसे ही प्रहरी ने यह रकम ली, टीम ने उसे तत्काल गिरफ्तार कर लिया। आरोपी से पूछताछ जारी है और ACB ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।
राज्य की जेलों में सुधार की दरकार
जयपुर जेल में रिश्वतखोरी का यह मामला इस बात का संकेत है कि राज्य की जेलों में सुधार की सख्त आवश्यकता है। धमकी भरे कॉल, मोबाइल फोन की तस्करी और अब जेल कर्मियों द्वारा रिश्वत की मांग – ये सभी घटनाएं जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाती हैं।
राज्य सरकार और गृह विभाग को जेलों में तकनीकी निगरानी के साथ-साथ स्टाफ की जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। साथ ही भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त सजा का प्रावधान सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।
सिस्टम के गाल पर तमाचा
जयपुर जेल में हुआ यह भ्रष्टाचार का मामला न केवल एक प्रहरी की करतूत है, बल्कि पूरे जेल सिस्टम पर एक कड़ा तमाचा है। ACB की सक्रियता सराहनीय है, लेकिन इस व्यवस्था को अंदर से दुरुस्त करने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की है। जेलों को अपराधियों की सुविधा स्थल बनने से रोकने के लिए अब नीतिगत और व्यवहारिक दोनों स्तरों पर कठोर कदम उठाने होंगे।