जुलाई की शुरुआत होते ही आयकर रिटर्न (ITR) फाइलिंग को लेकर देशभर में हलचल तेज हो जाती है। लोग डेडलाइन से पहले रिटर्न फाइल करने की होड़ में लग जाते हैं, क्योंकि अगर समय रहते यह जिम्मेदारी पूरी नहीं की गई तो पेनल्टी चुकानी पड़ सकती है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ सीनियर सिटीजन को इस पूरी प्रक्रिया से राहत मिल सकती है? दरअसल, इनकम टैक्स कानून के तहत 75 साल या उससे अधिक उम्र के कुछ लोगों को ITR फाइल करने की जरूरत नहीं होती, बशर्ते वे कुछ विशेष शर्तों को पूरा करते हों।
टैक्स नियमों में राहत, लेकिन कुछ शर्तों के साथ
भारत सरकार ने सीनियर सिटीजन की सुविधा को ध्यान में रखते हुए टैक्स नियमों में यह विशेष छूट दी है। इसका उद्देश्य उन बुजुर्गों को राहत देना है जिनकी आय सीमित और स्पष्ट है। यह छूट केवल उन्हीं लोगों को मिल सकती है जिनकी उम्र असेसमेंट ईयर 2025-26 के अनुसार 75 साल या उससे अधिक है और जो भारत के निवासी हैं।
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण शर्त यह है कि व्यक्ति की पूरी आय सिर्फ पेंशन और उसी बैंक से मिलने वाले ब्याज तक सीमित होनी चाहिए। यानी यदि आपकी इनकम पेंशन के अलावा किसी अन्य स्रोत जैसे किराया, शेयर बाजार से लाभ, कैपिटल गेन या व्यवसाय से आती है, तो आपको यह छूट नहीं मिलेगी।
इसके अलावा यदि आपकी पेंशन और ब्याज अलग-अलग बैंकों से आते हैं या आपने एक से अधिक बैंक खाते खोल रखे हैं जिनमें ब्याज जमा होता है, तो भी आप इस छूट के दायरे से बाहर हो जाएंगे।
क्या करना होगा छूट पाने के लिए?
अगर आप ऊपर बताई गई सभी शर्तों को पूरा करते हैं, तो आपको आयकर विभाग में रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं है। इसके बजाय आपको अपने बैंक में एक विशेष फॉर्म — फॉर्म 12BBA — भरकर जमा कराना होगा।
यह फॉर्म बैंक को अधिकृत करता है कि वह आपकी वार्षिक आय का आकलन करे और उसी आधार पर आपकी टैक्स देनदारी निर्धारित कर TDS (टैक्स डिडक्शन ऐट सोर्स) काटकर सरकार को जमा कर दे। फॉर्म 12BBA जमा करने के बाद बैंक आपके टैक्स डिडक्शन की प्रक्रिया को संभालेगा।
इस आकलन में आयकर अधिनियम की धारा 80C (जैसे LIC प्रीमियम, PPF आदि) और 80D (हेल्थ इंश्योरेंस) के तहत मिलने वाली छूटें तथा धारा 87A के तहत मिलने वाला टैक्स क्रेडिट भी शामिल किया जाएगा। अगर बैंक ने सही तरीके से TDS जमा कर दिया है, तो फिर आपको अलग से ITR भरने की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
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किन परिस्थितियों में यह राहत नहीं मिलेगी?
यह छूट सुनने में जितनी सरल लगती है, व्यावहारिक तौर पर उतनी सख्त भी है। कई बार सीनियर सिटीजन की पेंशन एक बैंक से आती है और ब्याज किसी दूसरे बैंक से। ऐसी स्थिति में उन्हें यह राहत नहीं मिलेगी।
इसके अलावा यदि किसी सीनियर सिटीजन की अतिरिक्त आय है—जैसे कि किराये से कमाई, शेयर बाजार में निवेश से लाभ, फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा ब्याज या कैपिटल गेन—तो उन्हें सामान्य प्रक्रिया के तहत रिटर्न फाइल करना अनिवार्य होगा।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि किसी बुजुर्ग के पास एक से अधिक बैंक खाते हैं और उनमें अलग-अलग ब्याज जमा हो रहा है, तब भी यह छूट मान्य नहीं होगी। ऐसे सभी मामलों में उन्हें समय रहते ITR फाइल करना होगा, वरना पेनल्टी का सामना करना पड़ सकता है।
बुजुर्गों के लिए क्यों जरूरी है यह छूट?
तकनीकी युग में जहां हर प्रक्रिया ऑनलाइन हो चुकी है, बुजुर्गों के लिए आयकर रिटर्न फाइल करना किसी चुनौती से कम नहीं होता। फॉर्म भरने के नियम, दस्तावेजों की तकनीकी समझ, टैक्स डिडक्शन और क्रेडिट जैसे मामलों को समझना कई बार उनके लिए कठिन हो जाता है।
यही वजह है कि सरकार ने यह पहल की ताकि जिन बुजुर्गों की आय सीमित, नियमित और पारदर्शी है, उन्हें टैक्स कंसल्टेंट पर निर्भर न रहना पड़े। इसके माध्यम से सरकार न केवल वरिष्ठ नागरिकों को सम्मान देती है, बल्कि उन्हें वित्तीय स्वावलंबन और सुविधा भी प्रदान करती है।
शर्तों पर ध्यान दें
सरकार की यह नीति सीनियर सिटीजन के लिए एक बड़ी राहत मानी जा सकती है, लेकिन इसका लाभ केवल उन्हीं को मिलेगा जो तय शर्तों को पूरी तरह से निभाते हैं। यदि आप या आपके परिवार में कोई वरिष्ठ नागरिक इस श्रेणी में आता है
तो नियमों की पूरी जानकारी लेकर सही फॉर्म भरें और समय रहते आवश्यक प्रक्रिया पूरी करें। इससे न केवल टैक्स संबंधी जटिलताओं से राहत मिलेगी, बल्कि कानून के दायरे में रहकर वित्तीय अनुशासन भी बना रहेगा।