देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में गिने जाने वाले IIT जोधपुर में भर्ती प्रक्रिया को लेकर गंभीर गड़बड़ी का मामला सामने आया है। यह मामला सिर्फ एक संस्थान की प्रतिष्ठा पर ही सवाल नहीं उठाता, बल्कि देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों में पारदर्शिता और नैतिकता को लेकर भी गंभीर चिंता पैदा करता है।
कार्यवाहक कुलसचिव डॉ. अंकुर गुप्ता की ओर से दर्ज करवाई गई एफआईआर में तीन व्यक्तियों के नाम सामने आए हैं, जिन पर संस्थान में भर्ती प्रक्रिया के दौरान नियमों को ताक पर रखकर धांधली करने का आरोप है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और आने वाले दिनों में और भी खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।
भर्ती प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं
मामले की जड़ में वह समयावधि है जब 1 दिसंबर 2019 से 31 अगस्त 2023 के बीच IIT जोधपुर में कुछ भर्तियां की गईं। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि इस अवधि में नियमों का खुला उल्लंघन करते हुए कुछ लोगों को अनुचित तरीके से चयनित किया गया।
इन नियुक्तियों में प्रक्रिया की पारदर्शिता नहीं रखी गई और तकनीकी रूप से अपूर्ण या पक्षपातपूर्ण निर्णय लिए गए। इस भर्ती घोटाले में लख सिंह, प्रशांत भारद्वाज और रोबिन सिंह कंतूरा के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने संस्थान की आंतरिक व्यवस्था और चयन प्रक्रिया को प्रभावित करते हुए अनुचित लाभ उठाया।
नियमों को दरकिनार कर मिली नियुक्तियां
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भर्ती प्रक्रिया के दौरान कई जरूरी नियमों और प्रक्रियाओं की अनदेखी की गई। जिन परीक्षाओं और दस्तावेजों के आधार पर चयन होना था, उन्हें या तो बदला गया या फिर नजरअंदाज किया गया।
कुछ मामलों में उम्मीदवारों को योग्यता से अधिक अंक दिलवाने या गलत तरीकों से उन्हें वरीयता दिलाने की बात सामने आई है। यह पूरी प्रक्रिया इतना गोपनीय और जटिल तरीके से की गई कि सामान्य निरीक्षण में यह गड़बड़ी पकड़ में नहीं आ सकी।
लेकिन संस्थान के कुछ जिम्मेदार अधिकारियों की सतर्कता के कारण यह मामला अब खुलकर सामने आया है और पुलिस जांच की रफ्तार पकड़ चुकी है।
एफआईआर दर्ज, तकनीकी दस्तावेजों की जांच शुरू
जोधपुर के करवड़ थाना में दर्ज एफआईआर के बाद थाना अधिकारी लेखराज सियाग ने बताया कि मामले में जो भी दस्तावेज कुलसचिव द्वारा प्रस्तुत किए गए हैं, उनकी जांच की जा रही है। तकनीकी पक्षों की सत्यता की जांच के लिए दस्तावेजों को एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) में भी भेजा जाएगा, ताकि कोई साक्ष्य छूट न जाए।
पुलिस का कहना है कि यदि जांच में अन्य लोगों की संलिप्तता सामने आती है, तो उनके खिलाफ भी सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस अब भर्ती प्रक्रिया से जुड़े सभी दस्तावेजों, इंटरव्यू रिकॉर्डिंग, परीक्षाओं के मूल्यांकन और नियुक्ति आदेशों की बारीकी से जांच कर रही है।
IIT की छवि पर सवाल, पीआरओ से संपर्क विफल
यह मामला आईआईटी जैसे संस्थान की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़ा करता है, जहां छात्रों का चयन अत्यंत कठोर प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जाता है। जब यहां की आंतरिक प्रशासनिक भर्तियों में गड़बड़ी सामने आती है, तो इससे संस्थान की विश्वसनीयता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
मीडिया ने इस मामले पर IIT जोधपुर की पीआरओ प्रीतिंदर कौर से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी क्योंकि उन्होंने फोन नहीं उठाया।
शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता की जरूरत
यह घटना न केवल एक भर्ती घोटाले के रूप में देखी जा रही है, बल्कि यह पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था के लिए एक चेतावनी भी है। भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों की विश्वसनीयता तभी बनी रह सकती है जब उनकी कार्यप्रणाली पूरी तरह से पारदर्शी, निष्पक्ष और जवाबदेह हो।
इस प्रकरण ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान भी यदि सतर्क न रहें तो वे भी भ्रष्टाचार की चपेट में आ सकते हैं। ऐसे में शासन, प्रशासन और शैक्षणिक संस्थानों को अपनी निगरानी और पारदर्शिता को और मजबूत करने की आवश्यकता है।
उच्च शिक्षा जगत के लिए गंभीर चिंता
IIT जोधपुर में सामने आया यह भर्ती घोटाला उच्च शिक्षा जगत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। यह दिखाता है कि देश की शीर्ष संस्थाओं को भी अपनी कार्यप्रणाली पर सतर्कता बढ़ानी होगी।
साथ ही, ऐसे मामलों में दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति या समूह शिक्षा संस्थानों की गरिमा से खिलवाड़ करने की हिम्मत न कर सके। जांच के अगले चरणों में और भी चौंकाने वाले खुलासे सामने आने की पूरी संभावना है।