हर कॉल पर बजती साइबर ट्यून बनी सिरदर्द! जानिए कैसे बंद करें ये चेतावनी

देश में तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराधों को देखते हुए भारत सरकार और टेलीकॉम कंपनियों ने लोगों को जागरूक करने के लिए एक विशेष साइबर सुरक्षा कॉलर ट्यून शुरू की है। इस कॉलर ट्यून के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को हर कॉल से पहले एक संदेश सुनाया

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Saturday, June 21, 2025

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देश में तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराधों को देखते हुए भारत सरकार और टेलीकॉम कंपनियों ने लोगों को जागरूक करने के लिए एक विशेष साइबर सुरक्षा कॉलर ट्यून शुरू की है। इस कॉलर ट्यून के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को हर कॉल से पहले एक संदेश सुनाया जा रहा है, जिसमें उन्हें डिजिटल धोखाधड़ी से सतर्क रहने के लिए कहा जाता है। “हर दिन 6000 से भी अधिक लोग साइबर अपराधियों के हाथों करोड़ों रुपये गंवा देते हैं…” – यह संदेश बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन की आवाज में सुनाई देता है, जो लोगों को किसी भी अनजान कॉल, लिंक या ओटीपी साझा करने से बचने की हिदायत देता है। इस संदेश का उद्देश्य तो सराहनीय है, लेकिन अब यह आम जनता के लिए सिरदर्द बन चुका है।

हर कॉल पर चेतावनी, इमरजेंसी में बाधा

यह कॉलर ट्यून हर आउटगोइंग कॉल से पहले लगभग 30 सेकंड तक बजती है, और जब तक यह खत्म नहीं होती, कॉल कनेक्ट नहीं होती। इसका सबसे बड़ा नुकसान तब महसूस होता है जब किसी को आपात स्थिति में फौरन कॉल करने की जरूरत हो। उस समय भी व्यक्ति को पहले पूरी चेतावनी सुननी पड़ती है। यह कोई नई स्थिति नहीं है। इससे पहले कोरोना महामारी के दौरान भी टेलीकॉम कंपनियों ने कोविड-19 से जुड़ी एक कॉलर ट्यून शुरू की थी। वह भी हर कॉल पर बजती थी, जिससे जनता परेशान हो गई थी। काफी विरोध और सुझावों के बाद उस ट्यून को हटाया गया था। अब साइबर सुरक्षा को लेकर यही स्थिति फिर बन गई है।

सोशल मीडिया पर बढ़ रहा विरोध

हर दिन सैकड़ों लोग ट्विटर (अब X), फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर इस कॉलर ट्यून को बंद करने की मांग कर रहे हैं। कई यूजर्स ने यह भी कहा है कि वे इस ट्यून के कारण महत्वपूर्ण कॉल समय पर नहीं कर पा रहे हैं। कई जागरूक नागरिकों ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत भी यह जानने की कोशिश की है कि क्या इस कॉलर ट्यून को हर कॉल पर चलाना अनिवार्य है, और इससे बचने का कोई वैकल्पिक तरीका है या नहीं।

क्या है सरकार और टेलीकॉम कंपनियों का पक्ष?

सरकार का कहना है कि यह कॉलर ट्यून भारतीय साइबर सुरक्षा तंत्र का हिस्सा है, जो उपयोगकर्ताओं को डिजिटल धोखाधड़ी से बचाने के लिए जरूरी है। इसे भारत सरकार के साइबर जागरूकता अभियान के तहत लागू किया गया है और सभी टेलीकॉम कंपनियों को इसके पालन का निर्देश दिया गया है। ट्यून में बताया जाता है कि अनजान नंबर से आई कॉल पर बैंकिंग डिटेल, ओटीपी या कोई पर्सनल जानकारी न दें और किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें।

समस्या का यह है समाधान

इस बीच राजस्थान पुलिस की सब-इंस्पेक्टर आरती सिंह तंवर ने इस समस्या का सरल समाधान सोशल मीडिया पर साझा किया है। उनके अनुसार, जब कॉल करते वक्त यह ट्यून बजने लगे, तो कॉल कीपैड खोलें और “1” दबाएं। इससे ट्यून तुरंत बंद हो जाती है और कॉल सीधे आगे बढ़ जाती है। वहीं कुछ यूजर्स ने यह भी बताया है कि “0” या “8” दबाने से भी यह ट्यून स्किप हो जाती है। हालांकि, यह हर नेटवर्क पर काम करे, इसकी गारंटी नहीं है, लेकिन अधिकांश लोगों को इससे राहत मिल रही है।

समाधान के बावजूद स्थायी बदलाव की मांग

लोगों का कहना है कि यदि सरकार लोगों को जागरूक करना चाहती है तो वह पहली कॉल या दिन में केवल एक बार यह ट्यून बजाकर अपना संदेश दे सकती है। हर कॉल पर यह संदेश बजाना न केवल परेशानीभरा है, बल्कि इमरजेंसी में घातक भी हो सकता है।

‘तकलीफ’ से गुजर रहे लोग

साइबर सुरक्षा जितनी जरूरी है, उतना ही जरूरी है उसका संतुलित और व्यावहारिक प्रचार-प्रसार। सरकार और टेलीकॉम कंपनियों का उद्देश्य सही है, लेकिन जिस तरह से हर कॉल पर यह चेतावनी थोप दी गई है, वह आम जनता के लिए तकलीफदेह बन गया है। जनता अब इस पहल के पुनर्विचार और सुधार की मांग कर रही है। उम्मीद है कि जैसे कोविड कॉलर ट्यून को संशोधित किया गया था, वैसे ही इस बार भी जनता की आवाज़ को सुना जाएगा और एक बेहतर समाधान सामने आएगा।