राजस्थान के कई जिलों में गुरुवार सुबह उस वक्त हलचल मच गई जब धरती अचानक हिलने लगी। राजधानी जयपुर के साथ-साथ सीकर, झुंझुनूं और एनसीआर से सटे इलाकों में सुबह करीब 9 बजकर 5 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए।
हालांकि भूकंप की तीव्रता मध्यम श्रेणी की थी और किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है, लेकिन कंपन के कारण कई लोग घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए।
हरियाणा के झज्जर में था भूकंप का केंद्र
मौसम विभाग और नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र हरियाणा के झज्जर जिले में स्थित था। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.4 मापी गई और इसका केंद्र जमीन से लगभग 10 किलोमीटर गहराई में था। इस भूकंप की ऊर्जा इतनी थी कि इसका असर राजस्थान के कई हिस्सों में महसूस किया गया, खासकर जयपुर, सीकर, झुंझुनूं और आसपास के जिलों में।
लगभग 10 सेकेंड तक धरती में कंपन महसूस किया गया। हालांकि कंपन की तीव्रता ज्यादा नहीं थी, लेकिन अचानक आए झटकों से कुछ इलाकों में लोगों में घबराहट देखने को मिली। कई स्थानों पर एहतियात के तौर पर लोग खुले स्थानों की ओर भागते नजर आए।
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लोगों में दहशत, लेकिन कोई नुकसान नहीं
सुबह का समय होने के कारण अधिकतर लोग अपने घरों में या ऑफिस जाने की तैयारी में थे। अचानक फर्नीचर और दीवारों में हल्की कंपन से लोग चौंक उठे। जयपुर के कई इलाकों से लोगों ने कंपन महसूस होने की जानकारी साझा की।
हालांकि राहत की बात यह रही कि भूकंप से किसी भी प्रकार की जनहानि या संरचनात्मक नुकसान की सूचना अब तक नहीं मिली है। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने स्थिति पर नजर बनाए रखी है। मौसम विज्ञान विभाग की ओर से किसी प्रकार की आफ्टरशॉक की संभावना नहीं जताई गई है, लेकिन लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
फरवरी में भी कांपी थी राजस्थान की धरती
गुरुवार को आया यह भूकंप इस साल का पहला झटका नहीं है। फरवरी 2025 में भी राजस्थान के कई जिलों में हल्के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। बीकानेर, जालोर और सिरोही जिलों में आए इन भूकंपों ने राज्य की भूकंपीय संवेदनशीलता को एक बार फिर उजागर किया था।
बीकानेर में 3.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज
2 फरवरी को बीकानेर जिले के जसरासर क्षेत्र में 3.6 तीव्रता का भूकंप आया था। इसका केंद्र बीकानेर से लगभग 72 किलोमीटर दूर जमीन से 10 किलोमीटर गहराई में स्थित था। उस समय भी कंपन का प्रभाव सीमित क्षेत्र में रहा और कोई बड़ी क्षति नहीं हुई थी। हालांकि लोगों में हल्की घबराहट जरूर देखी गई थी।
जालोर और सिरोही में भी महसूस हुए थे झटके
13 फरवरी को जालोर जिले के निंबावास क्षेत्र में एक और भूकंप आया था, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.4 दर्ज की गई थी। इसका केंद्र भी जमीन के 10 किलोमीटर नीचे था। इस भूकंप के झटके सिरोही जिले के कुछ हिस्सों में भी महसूस किए गए थे, जहां 3 से 4 सेकेंड तक धरती में हल्का कंपन देखा गया।
भूकंपीय दृष्टि से सतर्क रहने की जरूरत
राजस्थान को सामान्यतः कम भूकंपीय जोखिम वाला राज्य माना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में बार-बार आ रहे भूकंपों ने वैज्ञानिकों और प्रशासन को सतर्क कर दिया है। हालांकि अधिकांश भूकंपों की तीव्रता कम रही है, फिर भी यह संकेत हैं कि धरती के नीचे हलचल बनी हुई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भूकंप का केंद्र भले ही हरियाणा रहा हो, लेकिन उसका प्रभाव राजस्थान के उत्तरी जिलों तक भी पहुंचा। यह तथ्य दर्शाता है कि भूकंप केवल सीमित क्षेत्र नहीं बल्कि आसपास के बड़े इलाके को भी प्रभावित कर सकते हैं।
सतर्कता और तैयारी ही सुरक्षा का आधार
गुरुवार को आए भूकंप ने एक बार फिर यह एहसास कराया है कि प्राकृतिक आपदाएं किसी पूर्व चेतावनी के बिना भी दस्तक दे सकती हैं। हालांकि इस बार राजस्थान को कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन भूकंप जैसी घटनाएं हमेशा सतर्क रहने की जरूरत को दोहराती हैं।
विशेषज्ञों की सलाह है कि नागरिकों को भूकंप की स्थिति में क्या करना है, इस बारे में जागरूक होना चाहिए। प्रशासन को भी समय-समय पर ड्रिल्स और आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सुनिश्चित करने चाहिए ताकि आपात स्थिति में नुकसान को न्यूनतम किया जा सके।
भविष्य में किसी बड़ी आपदा से बचाव के लिए जरूरी है कि राज्य आपदा प्रबंधन तंत्र को और अधिक मजबूत किया जाए और आम नागरिकों को भी आपातकालीन प्रतिक्रिया की उचित जानकारी दी जाए।