सरकार नहीं, सर्कस चला रहे हैं भजनलाल: डोटासरा के वार, बोले- मंत्री ही अपनी सरकार को तोड़ रहे

राजस्थान की राजनीति में इन दिनों बयानबाज़ी का दौर और भी गरमाता जा रहा है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि राज्य में अब सरकार नहीं, बल्कि सर्कस चल रही है। उन्होंने मंत्री

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Sunday, June 29, 2025

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राजस्थान की राजनीति में इन दिनों बयानबाज़ी का दौर और भी गरमाता जा रहा है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि राज्य में अब सरकार नहीं, बल्कि सर्कस चल रही है।

उन्होंने मंत्री किरोड़ी लाल मीणा की छापेमारी कार्रवाई पर भी सवाल खड़े करते हुए तंज कसा कि वे तो अपनी ही सरकार को खोदने में लगे हैं। डोटासरा शनिवार सुबह नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के साथ जोधपुर रवाना हुए, जहां उन्हें ‘संविधान बचाओ’ कार्यक्रम में शामिल होना था।

रास्ते में अजमेर में पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए स्वागत कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत की और कई गंभीर आरोप लगाए।


“किरोड़ीलाल खुद की सरकार को खोद रहे हैं”


डोटासरा ने कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा द्वारा मिलावटी खाद-बीज के खिलाफ की जा रही छापेमारी पर कटाक्ष करते हुए कहा, “किरोड़ी लाल यूं लग रहे हैं जैसे अपनी ही सरकार को खोदने में लगे हैं। छापे तो अफसर डालते हैं, लेकिन उनकी मॉनिटरिंग तो मंत्री को करनी होती है।

अगर खाद-बीज नकली थे तो किसानों को हुए नुकसान की भरपाई कौन करेगा?” डोटासरा का इशारा स्पष्ट था कि मंत्री केवल दिखावे की कार्रवाई कर रहे हैं और मूल समस्याओं की जिम्मेदारी से बच रहे हैं। उन्होंने इसे सरकार की आंतरिक विफलता और समन्वय की कमी का प्रतीक बताया।


“राज्य में फैसले नहीं, सिर्फ भाषण हो रहे हैं”

कांग्रेस नेता ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे केवल मंचों से भाषण देने में व्यस्त हैं, जबकि जमीनी स्तर पर राज्य की योजनाएं ठप पड़ी हैं। डोटासरा ने आरोप लगाया कि “राज्य में निर्णय लेने वाला कोई नहीं बचा है। नौकरशाही बेलगाम हो गई है और मंत्री दोनों हाथों से सरकारी संसाधनों की लूट में लगे हैं।”

उन्होंने कहा कि वर्तमान में राजस्थान में न किसानों की सुनी जा रही है और न ही बेरोजगार नौजवानों की। योजनाओं का क्रियान्वयन पूरी तरह ठप है और प्रशासनिक अराजकता ने हालात बदतर कर दिए हैं।


“ब्यूरोक्रेसी चला रही है सरकार”


राज्य की ब्यूरोक्रेसी पर टिप्पणी करते हुए डोटासरा ने कहा कि आज राजस्थान में चुनी हुई सरकार का नहीं, बल्कि अफसरशाही का शासन चल रहा है। उन्होंने कहा कि जब किसी लोकतांत्रिक सरकार में नौकरशाही हावी हो जाती है, तो यह प्रशासनिक असफलता नहीं, बल्कि लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।

उन्होंने कहा कि यह हालात दिखाते हैं कि सरकार में भीतर ही भीतर गहरी खींचतान है और अफसर सरकार के प्रतिनिधियों को गंभीरता से नहीं ले रहे। इसका खामियाजा अंततः जनता को भुगतना पड़ रहा है।


“भाजपा बदलना चाहती है संविधान”


अजमेर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए डोटासरा ने भाजपा और आरएसएस पर लोकतंत्र को कुचलने का आरोप लगाते हुए कहा कि ये ताकतें मिलकर देश के संविधान को बदलने की कोशिश कर रही हैं। “वे धर्मनिरपेक्षता और समानता जैसे मूलभूत सिद्धांतों को हटाकर देश को धार्मिक आधार पर बांटना चाहते हैं।

वे अब लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखते,” डोटासरा ने आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के इशारे पर चुनावों को टालने की साजिशें की जा रही हैं। उन्होंने जनता से आह्वान किया कि इस देश के संविधान, लोकतंत्र और मूल अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होकर इन ताकतों का विरोध करें।


“कांग्रेस देगी निर्णायक जवाब”


डोटासरा ने भरोसा जताया कि आने वाले समय में कांग्रेस प्रदेश स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक भाजपा की जनविरोधी नीतियों का जवाब देगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो संविधान, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय की रक्षा कर सकती है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस आने वाले चुनावों में राजस्थान की जनता को यह बताएगी कि कैसे मौजूदा सरकार केवल भाषण, बयान और आंतरिक संघर्षों तक सीमित रह गई है, जबकि जमीनी विकास, रोजगार और किसान कल्याण जैसे मुद्दे उपेक्षित हो गए हैं।

गोविंद सिंह डोटासरा का यह बयान स्पष्ट रूप से भाजपा सरकार के आंतरिक विरोधाभासों और नीतिगत विफलताओं की ओर इशारा करता है। मंत्री किरोड़ी लाल मीणा की छापेमारी पर तंज, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की भाषणबाजी पर हमला और ब्यूरोक्रेसी की बढ़ती पकड़ पर सवाल उठाकर डोटासरा ने भाजपा को घेरने की पूरी कोशिश की है।

अब देखना यह होगा कि भाजपा इस तीखे राजनीतिक प्रहार का क्या जवाब देती है और क्या वह अपनी ही सरकार के भीतर उठ रहे इन सवालों को लेकर कोई स्पष्ट स्थिति सामने लाती है या नहीं।