राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने राज्य के पशुपालकों को बड़ी सौगात देते हुए ‘मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना’ के तहत 468 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी कर दी है।
इस कदम से न केवल हजारों डेयरी किसानों को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा, बल्कि दुग्ध उत्पादन प्रणाली को भी मजबूती मिलेगी। सरकार के इस फैसले से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नया संबल मिला है।
सीकर और झुंझुनूं के 20 हजार पशुपालकों को मिलेगा बड़ा फायदा
राज्य सरकार द्वारा जारी की गई पहली किस्त में से सीकर और झुंझुनूं जिलों के लगभग 20 हजार पशुपालकों को 8 करोड़ रुपये का बोनस प्रदान किया जाएगा। यह राशि उन किसानों को दी जाएगी जिन्होंने सरस डेयरी के माध्यम से दूध की आपूर्ति की है।
अधिकारियों के मुताबिक, यह भुगतान जनवरी से जून 2024 तक के दूध उत्पादन के आधार पर किया गया है और राशि इसी सप्ताह लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर की जाएगी।
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दूध के हर लीटर पर ₹5 का बोनस: सीधे खाते में राशि
इस योजना के अंतर्गत सरस डेयरी से जुड़े पशुपालकों को हर लीटर दूध पर ₹5 का बोनस प्रदान किया जाता है। यह राशि सीधे पशुपालकों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती है। जबकि डेयरी से मिलने वाली मूल कीमत के अलावा यह बोनस अतिरिक्त लाभ के रूप में दिया जाता है।
पलसाना डेयरी के प्रबंध निदेशक कमलेश ने बताया कि जनवरी से जून 2024 की अवधि के दौरान किसानों को अलग-अलग महीनों की निर्धारित राशि इस प्रकार है – जनवरी का ₹1.30 करोड़, फरवरी का ₹1.28 करोड़, मार्च का ₹1.59 करोड़ और अप्रैल का ₹1.23 करोड़। मई और जून की राशि का भी निपटान इसी हफ्ते पूरा हो जाएगा।
योग्यता तय: केवल सरस डेयरी से जुड़े पशुपालकों को मिलेगा लाभ
इस योजना का लाभ केवल उन्हीं पशुपालकों को मिलेगा जो नियमित रूप से सरस डेयरी को दूध की आपूर्ति कर रहे हैं। यह सुनिश्चित किया गया है कि बोनस की राशि केवल उन्हीं पात्र किसानों तक पहुंचे जो योजना की शर्तों पर खरे उतरते हैं।
दिसंबर 2023 तक का भुगतान पहले ही किया जा चुका था, अब जनवरी से जून 2024 तक की राशि के साथ सरकार अपने वादे को पूरा कर रही है।
सरकार की सख्ती और पारदर्शी व्यवस्था की निगरानी
राज्य सरकार ने योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं। पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने सरस डेयरी और राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (RCDF) को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कोई भी पात्र किसान बोनस से वंचित न रहे।
उन्होंने कहा कि भुगतान की प्रक्रिया पारदर्शी और समयबद्ध होनी चाहिए। योजना की मॉनिटरिंग विभागीय स्तर पर की जा रही है और जिलों से नियमित रिपोर्ट भी मांगी जा रही है ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता न हो और वास्तविक लाभार्थी तक सहायता पहुंच सके।
आने वाली किस्तों में और बढ़ेगी सहायता राशि
सरकार की योजना केवल एकमुश्त राहत तक सीमित नहीं है। राज्य सरकार ने यह संकेत दिया है कि आने वाली किस्त में इससे भी अधिक राशि जारी की जाएगी। यह घोषणा दुग्ध उत्पादकों को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी, बल्कि उन्हें दुग्ध व्यवसाय में लगातार जुड़े रहने और उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित भी करेगी।
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि योजना के अंतर्गत दी जाने वाली सहायता को भविष्य में बढ़ाया भी जा सकता है। इसके लिए पशुपालन विभाग और वित्त विभाग के बीच समन्वय स्थापित किया जा रहा है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा नया संबल
‘मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना’ न केवल पशुपालकों को आर्थिक रूप से मजबूत कर रही है, बल्कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में स्थायित्व और समृद्धि की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं। गांवों में दुग्ध उत्पादन से जुड़ी गतिविधियों को गति मिलने से न केवल रोजगार बढ़ेगा, बल्कि स्थानीय व्यापार और डेयरी उद्योग को भी बल मिलेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी योजनाएं किसानों को परंपरागत खेती के अलावा वैकल्पिक आय स्रोतों की ओर प्रेरित करती हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। साथ ही यह कदम खाद्य सुरक्षा और पोषण के स्तर पर भी सकारात्मक असर डाल सकता है।
पशुपालकों के लिए बड़ी राहत, योजनाओं की निरंतरता जरूरी
राजस्थान सरकार द्वारा 468 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी कर ‘मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना’ को धरातल पर मजबूती से उतारा गया है। यह फैसला पशुपालकों के जीवन में आर्थिक स्थिरता लाने के साथ-साथ राज्य की दुग्ध उत्पादन क्षमता को भी मजबूत करेगा।
अब यह जरूरी है कि योजना को स्थायी रूप से संचालित किया जाए, ताकि किसानों को नियमित रूप से लाभ मिलता रहे और उन्हें बार-बार आर्थिक असुरक्षा का सामना न करना पड़े। राज्य सरकार की इस पहल ने जहां पशुपालकों को राहत पहुंचाई है, वहीं यह ग्रामीण भारत की आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक सशक्त कदम भी है।