राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रशासनिक स्तर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ अब तक की सबसे सख्त कार्रवाई करते हुए एक बड़ी मिसाल पेश की है। राज्य सरकार ने सेवानिवृत्त और वर्तमान अधिकारियों पर अनुशासनात्मक शिकंजा कसते हुए यह साफ कर दिया है कि अब किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इस कार्रवाई के दायरे में एक रिटायर्ड IAS अफसर समेत कुल 11 सेवानिवृत्त अधिकारी आए हैं, जिनकी पेंशन पर रोक लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
भ्रष्टाचार के मामलों में पेंशन पर लगाम
मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान के मुताबिक, भ्रष्टाचार और अनियमितताओं में लिप्त पाए गए इन अधिकारियों की पेंशन रोकने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। इनमें नौ अधिकारियों की पूरी या आंशिक पेंशन पर रोक लगाने की अनुमति दी गई है, जबकि चार अन्य सेवानिवृत्त अफसरों के मामले में जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की गई है।
इनमें से एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश भेजी गई है, क्योंकि वह अखिल भारतीय सेवा के अंतर्गत आते हैं।
सेवारत अफसरों की भी सेवा समाप्त, भ्रष्टाचार और अनुपस्थिति के दो मामले
यह कार्रवाई केवल रिटायर्ड अधिकारियों तक सीमित नहीं रही। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दो सेवारत अधिकारियों की सेवा समाप्त करने की भी मंजूरी दी है। इनमें से एक मामला लंबे समय से अनधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने से जुड़ा है, जबकि दूसरे अफसर पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे। सरकार ने स्पष्ट किया है कि ऐसे मामलों में अब ढिलाई नहीं बरती जाएगी।
गंभीर जांच और अभियोजन को भी हरी झंडी
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 2018 की धारा 17-ए के तहत सरकार ने पांच मामलों में विस्तृत जांच की अनुमति दी है। इसके साथ ही सात अधिकारियों के विरुद्ध अभियोजन की मंजूरी भी दे दी गई है। यह दर्शाता है कि सरकार अब केवल आंतरिक अनुशासनात्मक कार्रवाई पर निर्भर नहीं रहना चाहती, बल्कि आपराधिक कार्रवाई की दिशा में भी ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
अनुशासनात्मक कार्रवाई: वेतनवृद्धि पर भी रोक
सरकार ने जिन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार या अन्य अनियमितताओं के प्रमाण मिले हैं, उनके खिलाफ सिविल सेवा आचरण नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी है। कुल 11 अफसरों के खिलाफ सीसीए नियम-16 और दो के खिलाफ नियम-17 के तहत कार्रवाई की गई है।
इन मामलों में अफसरों की वार्षिक वेतनवृद्धि को रोका गया है, जिससे न केवल आर्थिक दंड सुनिश्चित किया गया है बल्कि एक सख्त संदेश भी दिया गया है।
कुछ अफसरों को मिली राहत, दो याचिकाएं खारिज
हालांकि, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि कार्रवाई निष्पक्षता के आधार पर की जा रही है। विभागीय जांच के बाद दो अधिकारियों को आरोपों से राहत दी गई है, क्योंकि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले।
वहीं, जिन अधिकारियों ने सजा के खिलाफ पुनर्विलोकन याचिकाएं दाखिल की थीं, उनमें से दो याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि सरकार केवल दिखावटी कार्रवाई नहीं, बल्कि तथ्यों और कानून के आधार पर काम कर रही है।
‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर अडिग सरकार
भ्रष्टाचार के मामलों में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की यह कार्रवाई इस बात की पुष्टि करती है कि राजस्थान में अब प्रशासनिक ईमानदारी और पारदर्शिता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने यह भी दोहराया है कि सरकार ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर अडिग रहेगी और भविष्य में भी किसी भी अधिकारी को भ्रष्टाचार या लापरवाही के लिए बख्शा नहीं जाएगा।
बदलेगा राजस्थान का प्रशासनिक चेहरा
भ्रष्टाचार के विरुद्ध इतनी व्यापक और सुनियोजित कार्रवाई से यह उम्मीद की जा रही है कि राजस्थान में प्रशासनिक ईमानदारी का एक नया अध्याय शुरू होगा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की इस सख्ती से यह संदेश साफ है कि अब ‘नेताओं की शह पर बच निकलने’ वाला दौर खत्म हो चुका है और जवाबदेही हर स्तर पर तय की जाएगी।
यह कदम न केवल अधिकारियों को अनुशासन में रखेगा, बल्कि जनता में सरकार की ईमानदारी और प्रतिबद्धता के प्रति विश्वास को भी मजबूत करेगा।