नौकरी की दुनिया में आगे बढ़ना जितना टैलेंट पर निर्भर करता है, उतना ही यह समझने पर भी कि आप किस दिशा में जा रहे हैं और वहां तक पहुंचने के लिए क्या करना होगा। जेड की कहानी ऐसे ही किसी सपने को सच करने की मिसाल है।
उन्होंने अपने मैनेजर से दो साधारण लेकिन महत्वपूर्ण सवाल पूछे और उन्हीं से उन्हें करियर ग्रोथ की वह स्पष्टता मिली, जो अक्सर वर्षों तक लोगों को नहीं मिलती। उनकी इस पहल ने यह साबित कर दिया कि सही सवाल, सही समय और सही तैयारी – तीनों मिलकर करियर को ऊंचाई देते हैं।
पहला सवाल जिसने बदल दी सोच: मेरी मौजूदा भूमिका में मेरी जिम्मेदारियां क्या हैं?
हम सभी अपने कार्यस्थल पर मेहनत करते हैं, लेकिन क्या हम जानते हैं कि हमारी भूमिका से कंपनी वास्तव में क्या अपेक्षा कर रही है? जेड ने जब यह सवाल अपने मैनेजर से पूछा, तो उन्हें पहली बार पूरी स्पष्टता मिली कि उनका काम केवल टास्क पूरे करना नहीं, बल्कि एक विशेष उद्देश्य को पूरा करना है।
इस सवाल के बाद जेड को यह भी समझ आया कि किन क्षेत्रों में उन्हें खुद को सुधारने की जरूरत है और किन स्किल्स को और निखारना है। इससे उनके प्रदर्शन की दिशा स्पष्ट हुई और उन्होंने अपनी प्राथमिकताओं को दोबारा सही क्रम में रखा। यही जागरूकता उन्हें दूसरे सवाल की ओर ले गई।
दूसरा सवाल जो बना अगली मंजिल की सीढ़ी: अगर मैं एक लेवल ऊपर होती, तो मेरी जिम्मेदारियां क्या होतीं?
जब जेड ने यह सवाल पूछा, तो उन्हें अहसास हुआ कि अगली पोजिशन केवल एक प्रमोशन नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है जिसमें निर्णय लेने, टीम को गाइड करने और बड़े लक्ष्यों की दिशा में सोचने की आवश्यकता होती है।
उन्होंने यह जाना कि उस स्तर तक पहुंचने के लिए उन्हें किन स्किल्स की जरूरत है और कैसे वे पहले से ही उन कार्यों में खुद को सिद्ध कर सकती हैं। इस सीख के आधार पर जेड ने अपने रोजमर्रा के कार्यों में कुछ अतिरिक्त जिम्मेदारियां खुद से जोड़ लीं।
उन्होंने नई चुनौतियों को अवसर के रूप में लिया और धीरे-धीरे अपने मैनेजर को यह दिखा दिया कि वे अगली भूमिका के लिए तैयार हैं।
जब मौका आए, तो लीडरशिप दिखाएं
जेड के अनुसार, सिर्फ टास्क पूरा करने से आप आगे नहीं बढ़ सकते। एक मौके पर जब उनसे केवल स्लाइड डेक तैयार करने को कहा गया, तो उन्होंने आग्रह किया कि वह उसे खुद सीनियर वाइस प्रेसिडेंट्स के सामने प्रजेंट करना चाहेंगी।
यह कदम साहसिक था, लेकिन यहीं से उन्होंने खुद को उस भूमिका में ढाला, जो भविष्य में उनकी होनी थी। उन्होंने मीटिंग्स में अपनी सक्रिय भागीदारी दिखाई, हर अपडेट पर नजर रखी और टीम के भीतर अपनी उपस्थिति मजबूत की। इस तरह की पहल और आत्मविश्वास से उन्हें न सिर्फ पहचान मिली, बल्कि लीडरशिप क्वालिटीज भी उभरकर सामने आईं।
जब आपका काम बोले, तो पहचान खुद चलकर आती है
महत्वपूर्ण मीटिंग्स की बागडोर जब जेड ने संभाली, तो वरिष्ठ अधिकारी यह जानकर हैरान रह गए कि वह अब भी सिर्फ एक एसोसिएट थीं। उनके काम का प्रभाव इतना अधिक था कि प्रमोशन के लिए कोई संदेह नहीं बचा।
उनका स्पष्ट मानना है कि अगर आपका काम बोल रहा है, तो किसी अतिरिक्त प्रचार की जरूरत नहीं होती। काबिलियत और निरंतर परफॉर्मेंस ही आपकी सबसे बड़ी पहचान होती है।
वही जिम्मेदारी लें जो आपके जुनून से जुड़ी हो
प्रमोशन के चक्कर में खुद पर हर तरह की जिम्मेदारियां लेना खतरनाक हो सकता है। जेड का अनुभव कहता है कि अगर कोई कार्य आपकी रुचि से मेल नहीं खाता, तो वह आपको धीरे-धीरे थका देगा।
उन्होंने केवल वही काम चुना जो उन्हें प्रेरित करता था और उनके दीर्घकालिक करियर लक्ष्य से जुड़ा था। यही संतुलन उन्हें burnout से बचा पाया और एक स्पष्ट दिशा बनाए रखी।
मुख्य जिम्मेदारी में दिखाएं उत्कृष्टता
कई कर्मचारी एडिशनल प्रोजेक्ट्स में तो खुद को साबित कर देते हैं, लेकिन अपनी मूल भूमिका में पिछड़ जाते हैं। जेड ने देखा कि गूगल जैसी कंपनियों में भी कुछ लोग ‘20% प्रोजेक्ट्स’ में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि वे अपने मुख्य काम में पिछड़ जाते हैं।
उनका स्पष्ट मानना है कि प्रमोशन के लिए जरूरी है कि आप पहले अपनी वर्तमान भूमिका में पूर्णता से कार्य करें, फिर ही आगे बढ़ने की योजना बनाएं।
प्रमोशन का मतलब: जिम्मेदारी और मानसिक तैयारी
जेड के अनुसार, प्रमोशन केवल पद नहीं, बल्कि मानसिक, व्यवहारिक और कार्य कौशल में परिपक्वता का सूचक है। अगर आप यह सोचते हैं कि अगली भूमिका आपके लिए क्यों जरूरी है और आप इसके लिए क्या कर चुके हैं, तभी आप उसके लिए तैयार हो सकते हैं।
परफॉर्मेंस और महत्वाकांक्षा
वे कहती हैं कि परफॉर्मेंस और महत्वाकांक्षा के बीच संतुलन ही असली ग्रोथ का आधार होता है। यही संतुलन आपको आत्मविश्वास देता है और अगली मंजिल तक पहुंचने की शक्ति भी। जेड की कहानी इस बात का उदाहरण है कि जब आप सही समय पर सही सवाल पूछते हैं
पहल करते हैं और अपने काम में श्रेष्ठता दिखाते हैं, तो प्रमोशन केवल संभावना नहीं, हकीकत बन जाता है। अब सवाल यह है – क्या आप भी वो दो सवाल पूछने के लिए तैयार हैं?