बिहार की महिलाओं के लिए सरकारी नौकरी के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और बेहद सराहनीय पहल की गई है। राज्य सरकार ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में महिलाओं को सभी सरकारी सेवाओं में 35 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने की मंजूरी दे दी है।
यह फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई बिहार कैबिनेट की बैठक में लिया गया, जिसमें कुल 43 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इसमें सबसे ज्यादा चर्चा बटोरने वाला निर्णय महिलाओं को रोजगार में सशक्त बनाने वाला यह आरक्षण है।
बिहार की मूल निवासी महिलाओं को होगा लाभ
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह आरक्षण सिर्फ बिहार की मूल निवासी महिलाओं को ही मिलेगा। इसका अर्थ है कि केंद्र या अन्य राज्यों की महिलाएं इस आरक्षण के दायरे में नहीं आएंगी। यह आरक्षण सरकारी सेवाओं के सभी संवर्गों, सभी स्तरों और सभी प्रकार के पदों की सीधी नियुक्तियों में लागू किया जाएगा।
इसका मकसद महिलाओं को अधिक से अधिक सरकारी क्षेत्र में अवसर देकर उन्हें सशक्त बनाना है।
रोजगार के नए द्वार खोलने की तैयारी
यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब बिहार में बड़ी संख्या में सरकारी भर्तियों की प्रक्रिया या तो चल रही है या जल्द ही शुरू होने वाली है। बीपीएससी (BPSC) की 71वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा की अधिसूचना हाल ही में जारी की गई थी, जिसके लिए आवेदन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और परीक्षा सितंबर में आयोजित की जाएगी।
वहीं बिहार पुलिस में कांस्टेबल भर्ती भी इन दिनों चर्चा में है, जिसमें छह चरणों में परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं और एडमिट कार्ड भी जारी हो चुके हैं।
इसके अलावा बिहार सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासन,
पुलिस और तकनीकी विभागों में भी बड़ी संख्या में नई भर्तियों की तैयारी कर रही है। ऐसे में 35 प्रतिशत आरक्षण से बिहार की महिलाओं के लिए सरकारी नौकरी के अवसर और भी सुलभ हो जाएंगे।
लड़कियों की शिक्षा से लेकर नौकरी तक का साथ
बिहार सरकार पहले से ही लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है। साइकिल योजना, पोशाक योजना, छात्रवृत्ति योजना और स्नातक तक मुफ्त शिक्षा जैसी पहलें पहले से ही लागू हैं।
इन योजनाओं का सीधा लाभ ग्रामीण और पिछड़े इलाकों की छात्राओं को मिल रहा है। इन उपायों से बालिकाओं के स्कूल और कॉलेज में नामांकन में बढ़ोतरी देखी गई है। अब सरकार का यह नया फैसला लड़कियों को शिक्षा के बाद करियर में भी मजबूती से आगे बढ़ने का रास्ता देगा।
यह न सिर्फ रोजगार में लैंगिक समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह सामाजिक-सांस्कृतिक बदलाव की भी नींव रखता है।
महिलाओं के लिए आरक्षण क्यों है जरूरी?
बिहार समेत देश के अधिकतर राज्यों में अब भी महिलाओं की भागीदारी सरकारी सेवाओं में अपेक्षाकृत कम है। सामाजिक दबाव, आर्थिक चुनौतियां और अवसरों की कमी इस स्थिति के प्रमुख कारण रहे हैं।
ऐसे में यदि महिलाओं को भर्ती प्रक्रिया में सुरक्षित और निश्चित हिस्सा दिया जाए, तो वे आत्मविश्वास के साथ अपनी भूमिका निभा सकती हैं। बिहार का यह फैसला महिलाओं के लिए सिर्फ आरक्षण नहीं, बल्कि अवसर, सम्मान और आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है। इससे महिलाओं की सामाजिक स्थिति में भी सकारात्मक बदलाव आएगा।
युवा आयोग समेत कई फैसलों पर लगी मुहर
इस कैबिनेट बैठक में बिहार सरकार ने सिर्फ महिलाओं के लिए आरक्षण का ही नहीं, बल्कि युवा आयोग के गठन जैसे कई अन्य अहम फैसलों को भी हरी झंडी दी। इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि सरकार युवाओं और महिलाओं को राज्य के विकास का केंद्र बिंदु मानते हुए योजनाएं बना रही है।
35 प्रतिशत आरक्षण का यह निर्णय
बिहार सरकार का 35 प्रतिशत आरक्षण का यह निर्णय निश्चित रूप से महिलाओं को सरकारी नौकरी में अधिक प्रतिनिधित्व देगा। यह फैसला केवल एक नीतिगत घोषणा नहीं है, बल्कि यह उस सोच का प्रतीक है जो महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से बराबरी का दर्जा दिलाने की दिशा में कार्यरत है।
नीतीश कुमार सरकार का यह कदम आने वाले वर्षों में बिहार की सामाजिक संरचना और रोजगार परिदृश्य में बड़ा बदलाव लाने में सक्षम होगा। अब बिहार की महिलाएं न केवल शिक्षा के क्षेत्र में, बल्कि सरकारी नौकरी में भी अधिक सशक्त, सक्रिय और आत्मनिर्भर बनेंगी।