मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान सरकार ‘सहकार से समृद्धि’ की भावना के साथ समाज के कमजोर वर्गों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में जुटी है। सहकारिता विभाग की योजनाएं अब ग्रामीण जनजीवन में परिवर्तन का माध्यम बन रही हैं।
चाहे वह किसान हों, पशुपालक हों या लघु उद्यमी—हर वर्ग को सरकारी योजनाओं से प्रत्यक्ष लाभ मिल रहा है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2025 को ‘अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष’ घोषित किया गया है, जो इस क्षेत्र के महत्व को दर्शाता है।
ब्याज मुक्त फसली ऋण से किसानों को राहत
राज्य सरकार ने अब तक केन्द्रीय सहकारी बैंकों के माध्यम से 75.52 लाख किसानों को 42,131 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त अल्पकालीन फसली ऋण वितरित किया है। इससे किसानों को खेती-किसानी के लिए आर्थिक संबल मिला है और कर्ज के बोझ से राहत भी।
वर्ष 2025-26 के बजट में 35 लाख किसानों को 25 हजार करोड़ रुपये का ऋण दिए जाने की घोषणा की गई है, जिससे आगामी खरीफ और रबी सत्रों में किसानों को पर्याप्त पूंजी उपलब्ध हो सके।
मध्यकालीन व दीर्घकालीन ऋण वितरण में भी बढ़त
राज्य में सिर्फ अल्पकालीन नहीं, बल्कि दीर्घकालीन और मध्यकालीन ऋण वितरण में भी प्रगति हुई है। सहकारी बैंकों ने 805 करोड़ रुपये से अधिक के मध्यकालीन और 232 करोड़ रुपये के दीर्घकालीन ऋण वितरित किए हैं। ये ऋण खासतौर से खेती के बुनियादी ढांचे, उपकरणों की खरीद और भूमि सुधार जैसी गतिविधियों के लिए उपयोग में लाए जा रहे हैं।
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ग्राम स्तर तक सहकारिता ढांचे का विस्तार
राज्य सरकार ने ग्रामीण स्तर पर सहकारिता ढांचे को मजबूत करने के लिए बड़ी पहल की है। जून 2025 तक राज्य में 216 नये पैक्स, 97 लैम्प्स और 313 ग्राम सेवा सहकारी समितियों का गठन हो चुका है।
साथ ही आगामी दो वर्षों में शेष सभी ग्राम पंचायतों में सहकारी समितियों के गठन का बजट में प्रावधान किया गया है। समिति गठन की प्रक्रियाएं भी सरल की गई हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण इससे जुड़ सकें।
कस्टम हायरिंग सेंटर्स और गोदाम निर्माण पर जोर
किसानों को खेती के लिए आवश्यक मशीनरी उपलब्ध कराने के लिए 412 कस्टम हायरिंग सेंटर्स की स्थापना की गई है। इसके अलावा ग्राम सेवा सहकारी समितियों में 212 नये गोदामों का निर्माण भी किया गया है, जिस पर 28 करोड़ रुपये की राशि व्यय की गई है। यह भंडारण क्षमता को बढ़ावा देने की दिशा में प्रभावी कदम है।
मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से सीधा लाभ
पीएम किसान सम्मान निधि योजना के साथ समन्वय करते हुए राज्य सरकार ने ‘मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना’ शुरू की है। वर्ष 2024-25 में इसके तहत पीएम-किसान लाभार्थियों को अतिरिक्त 2000 रुपये सालाना देने का प्रावधान किया गया।
पहली किश्त में 65 लाख किसानों को 653 करोड़ रुपये DBT के माध्यम से भेजे गए। दूसरी और तीसरी किश्त में 70.21 लाख किसानों को कुल 702.18 करोड़ रुपये की सहायता दी गई। वर्ष 2025-26 के बजट में यह राशि बढ़ाकर 3000 रुपये कर दी गई है।
पशुपालकों के लिए गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना
राज्य सरकार ने दुग्ध उत्पादन व पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए ‘राजस्थान सहकारी गोपाल क्रेडिट कार्ड ऋण योजना’ लागू की है। इसके तहत गोपालक परिवारों को 1 लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त ऋण दिया जा रहा है, जिससे वे शेड, खेली निर्माण और दुग्ध उपकरणों की खरीद जैसे कार्य कर सकें।
ऋणियों को बड़ी राहत: अवधिपार ब्याज माफी योजना
सहकारी भूमि विकास बैंकों के ऋणी किसानों व लघु उद्यमियों के लिए राज्य सरकार ने 200 करोड़ रुपये की ‘मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत एकमुश्त समझौता योजना’ 2025-26 में लागू की है।
योजना के अंतर्गत मूलधन जमा करने पर समस्त ब्याज और वसूली खर्च को माफ कर दिया गया है। अब तक 4,882 ऋणियों को 81 करोड़ रुपये से अधिक की राहत दी जा चुकी है, जबकि 2,544 ऋणियों से 13.83 करोड़ रुपये की आंशिक वसूली की गई है।
अन्त्योदय की भावना को साकार करती सहकार नीति
राजस्थान सरकार की सहकार नीतियां महज योजनाएं नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक उत्थान की ठोस योजनाएं हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार ने सहकारिता को ग्रामीण समृद्धि का आधार बना दिया है। यह पहल ‘अंत्योदय’ के उस लक्ष्य को साकार कर रही है, जिसमें अंतिम व्यक्ति तक विकास की रोशनी पहुंचे।