राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने बुधवार सुबह जोधपुर सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत करते हुए भारतीय जनता पार्टी के अंदर चल रही खींचतान पर बड़ा दावा किया।
गहलोत ने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को हटाने की साजिश अब खुले तौर पर शुरू हो चुकी है और यह षड्यंत्र न केवल राजस्थान में, बल्कि दिल्ली स्तर तक सक्रिय रूप से रचा जा रहा है।
गहलोत का आरोप: “अपने ही कर रहे हैं साजिश”
गहलोत का यह बयान उस समय आया है जब भाजपा की अंदरूनी राजनीति को लेकर पहले से ही कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के खिलाफ जो साजिश रची जा रही है, वह किसी और ने नहीं, बल्कि खुद भाजपा के ही नेता रच रहे हैं।
दिल्ली और राजस्थान के कुछ नेता मिलकर मुख्यमंत्री को हटाने की योजना पर काम कर रहे हैं और यह पूरा प्लान अब तैयार हो चुका है। गहलोत ने यह भी कहा कि उन्होंने कई बार मुख्यमंत्री को इस साजिश के बारे में आगाह करने की कोशिश की, लेकिन भजनलाल शर्मा उनकी बातों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
“युवा नेतृत्व को समय देना चाहिए”
गहलोत ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि वे राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी होने के बावजूद एक नए, युवा और पहली बार विधायक बने नेता को मुख्यमंत्री बनाए जाने के फैसले का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि भजनलाल शर्मा को चार्ज मिला है, यह भाजपा का एक साहसिक कदम था और ऐसा निर्णय बार-बार नहीं लिया जाता।
उनका यह भी कहना है कि बार-बार मुख्यमंत्री बदलने से सरकार की स्थिरता पर नकारात्मक असर पड़ता है और इससे आम जनता का विश्वास भी डगमगाता है।
भाजपा पर तीखा हमला: “हिंदू-मुस्लिम के नाम पर राजनीति बंद हो
अपनी प्रेस वार्ता के दौरान गहलोत ने भाजपा पर सीधा हमला करते हुए कहा कि पार्टी समाज को बांटने का काम कर रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कोई व्यक्ति अगर पश्चिम बंगाल का निवासी है और मुसलमान जाति से है, तो उसे सीधे बांग्लादेशी कह दिया जाता है।
ऐसे बयानों से जनता के बीच नफरत फैलती है और साम्प्रदायिक हिंसा की संभावना बढ़ती है। गहलोत ने आरोप लगाया कि भाजपा बार-बार हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा उठाकर जनता को भड़काने का प्रयास करती है, जबकि कांग्रेस ने कभी भी ऐसी राजनीति का समर्थन नहीं किया।
“आपातकाल पर बार-बार चर्चा बेवजह”
आपातकाल के मुद्दे पर भाजपा द्वारा बार-बार टिप्पणी करने पर गहलोत ने कहा कि यह विषय अब इतिहास बन चुका है और उस समय की परिस्थितियों को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जो निर्णय लिया था, वह परिस्थिति जन्य था।
कांग्रेस ने बाद में यह स्वीकार किया कि आपातकाल लागू करना गलत निर्णय था और पार्टी ने इसका खामियाजा भी भुगता। ऐसे में बार-बार उस कालखंड की चर्चा कर भाजपा केवल ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है।
राजस्थान की राजनीति में बढ़ती सरगर्मी
गहलोत के इन बयानों ने साफ कर दिया है कि राजस्थान की राजनीति में सतह के नीचे काफी कुछ चल रहा है। भाजपा सरकार के भीतर संभावित असंतोष और नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को लेकर अब सार्वजनिक बयानबाज़ी शुरू हो चुकी है।
यह भी स्पष्ट होता जा रहा है कि गहलोत विपक्ष की भूमिका में रहकर न केवल भाजपा के अंदरूनी विरोधाभासों पर नजर रखे हुए हैं, बल्कि वे नए मुख्यमंत्री को चेतावनी देकर राजनीतिक नैतिकता का संदेश भी देना चाहते हैं।
जादूगर का दांव या भाजपा की कलह!
राजस्थान की सियासत एक बार फिर करवट लेती नजर आ रही है। अशोक गहलोत का बयान यह दर्शाता है कि भाजपा के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा और सत्ता के शीर्ष पर बैठे नेताओं को लेकर ही भीतरघात की आशंका जताई जा रही है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इन साजिशों को रोक पाने में सफल होते हैं या एक और नेतृत्व परिवर्तन की पटकथा लिखी जा रही है। राजनीति में क्या कभी स्थायित्व संभव है? शायद नहीं — और राजस्थान इसका जीवंत उदाहरण बनता जा रहा है।