एग्री-बिजनेस शुरू करने का सुनहरा मौका: एग्री-क्लीनिक्स योजना से पाएं ₹20 लाख तक सब्सिडी

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2002 में शुरू की गई एग्री-क्लीनिक्स और एग्री-बिजनेस सेंटर्स योजना एक महत्वपूर्ण कल्याणकारी पहल है। इसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देना और प्रशिक्षित कृषि स्नातकों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना है। यह योजना किसानों को तकनीकी

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Sunday, June 22, 2025

एग्री-क्लीनिक्स योजना

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2002 में शुरू की गई एग्री-क्लीनिक्स और एग्री-बिजनेस सेंटर्स योजना एक महत्वपूर्ण कल्याणकारी पहल है। इसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देना और प्रशिक्षित कृषि स्नातकों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना है।

यह योजना किसानों को तकनीकी और व्यावसायिक सेवाएं उपलब्ध कराती है, जिनका लाभ वे भुगतान या निःशुल्क ले सकते हैं। सेवा का स्वरूप एग्री-प्रेन्योर के व्यवसाय मॉडल, स्थानीय आवश्यकताओं और किसानों की आर्थिक क्षमता पर आधारित होता है।

नाबार्ड की भूमिका और वित्तीय सहायता

इस योजना के अंतर्गत नाबार्ड को सब्सिडी के लिए चैनलाइजिंग एजेंसी नियुक्त किया गया है। यह संस्था लाभार्थियों को ऋण मुहैया कराने की प्रक्रिया में सहयोग करती है।

योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण से लेकर ऋण और सब्सिडी तक की व्यवस्था सरकार की ओर से सुनिश्चित की गई है, जिससे इच्छुक युवाओं को स्टार्टअप की शुरुआत में किसी वित्तीय अड़चन का सामना न करना पड़े।

स्टार्टअप प्रशिक्षण और ऋण सुविधा

सरकार अब इस योजना के अंतर्गत कृषि से संबंधित विषयों जैसे बागवानी, वानिकी, डेयरी, मत्स्य पालन, पशुपालन, कुक्कुट पालन और रेशम उत्पादन आदि में स्नातक या समकक्ष डिग्री धारकों को स्टार्टअप प्रशिक्षण प्रदान कर रही है। यह प्रशिक्षण पूर्ण करने वाले युवा कृषि आधारित व्यवसाय की शुरुआत के लिए विशेष स्टार्टअप ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं।

एग्री-क्लीनिक्स की भूमिका

एग्री-क्लीनिक्स किसानों को वैज्ञानिक और तकनीकी सलाह देने के साथ-साथ फसल उत्पादन और पशुपालन की उत्पादकता बढ़ाने का कार्य करते हैं। इन क्लीनिक्स के माध्यम से किसानों को मृदा स्वास्थ्य परीक्षण, उपयुक्त फसल प्रणाली की जानकारी, रोग और कीट नियंत्रण तकनीक, फसल बीमा, पशु चिकित्सा सेवाएं, चारा प्रबंधन, फसल कटाई के बाद की तकनीक और बाजार भाव की जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। इससे किसानों की आय में वृद्धि संभव होती है।

एग्री-बिजनेस सेंटर्स की संरचना

एग्री-बिजनेस सेंटर्स प्रशिक्षित कृषि स्नातकों द्वारा स्थापित ऐसे व्यावसायिक केंद्र होते हैं, जो कृषि उपकरणों की बिक्री, किराये पर उपलब्धता, इनपुट सप्लाई, मशीनरी सेवाएं, फसल प्रसंस्करण और विपणन जैसी सेवाएं प्रदान करते हैं।

इन केंद्रों के माध्यम से कृषि से जुड़े कई अन्य क्षेत्रों में भी रोजगार और आय सृजन को बल मिलता है।

योजना के तहत समर्थित प्रमुख गतिविधियाँ

योजना के अंतर्गत कई गतिविधियों को समर्थन दिया जाता है, जिनमें कृषि परामर्श सेवाएं, मृदा और जल परीक्षण प्रयोगशालाएं, कीट नियंत्रण और निगरानी प्रणाली, कृषि यंत्रों की मरम्मत और किराये की सेवाएं, बीज प्रसंस्करण इकाइयाँ, प्लांट टिशू कल्चर प्रयोगशालाएं, जैविक खाद और जैव कीटनाशक निर्माण, मधुमक्खी पालन और शहद प्रसंस्करण, पशु चिकित्सा सेवाएं, वीर्य बैंक की स्थापना, कृषि सूचना केंद्र, पशु आहार प्रसंस्करण इकाइयाँ, खेत स्तर से बाजार तक कूल चैन की व्यवस्था, कृषि उत्पादों की खुदरा बिक्री केंद्र और ग्रामीण क्षेत्र में कृषि से जुड़ी विपणन डीलरशिप की स्थापना शामिल है।

पात्रता के मापदंड

इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक की आयु 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए। आवेदक भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कृषि विश्वविद्यालयों से कृषि या उससे जुड़े विषयों में स्नातक हो।

डिप्लोमा धारक या जैविक विज्ञान के स्नातक, जिनके पास कृषि में स्नातकोत्तर हो, वे भी पात्र माने जाते हैं। इसके अतिरिक्त, उन पाठ्यक्रमों को भी पात्रता में शामिल किया गया है, जिनमें 60 प्रतिशत से अधिक पाठ्यक्रम कृषि या सम्बद्ध विषयों से संबंधित हो।

अपात्रता की स्थिति

पेंशन प्राप्त सेवानिवृत्त कर्मचारी इस योजना में सब्सिडी के पात्र नहीं होते हैं। हालांकि वे प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वयं के निवेश से कृषि आधारित व्यवसाय शुरू कर सकते हैं।

ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया

आवेदन करने के लिए उम्मीदवार को आधिकारिक पोर्टल पर जाकर सभी आवश्यक विवरण भरने होते हैं। आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने के बाद आवेदन पत्र को सबमिट करना होता है। इसके पश्चात उम्मीदवार पोर्टल पर जाकर अपने आवेदन की स्थिति भी देख सकता है।

प्रमुख दस्तावेजों की सूची

आवेदन के लिए आधार संख्या, ईमेल आईडी, शैक्षिक योग्यता से संबंधित प्रमाण पत्र, बैंक खाता विवरण और हालिया फोटो की आवश्यकता होती है।

यदि आधार संख्या उपलब्ध नहीं है, तो उम्मीदवार अन्य वैकल्पिक दस्तावेज जैसे आधार पंजीकरण स्लिप, मतदाता पहचान पत्र, पैन कार्ड, पासपोर्ट, राशन कार्ड, मनरेगा कार्ड, किसान पासबुक या ड्राइविंग लाइसेंस आदि में से कोई एक प्रस्तुत कर सकता है।

सशक्त बनाती है स्कीम

एग्री-क्लीनिक्स और एग्री-बिजनेस सेंटर्स योजना न केवल कृषि क्षेत्र में सेवाओं का विस्तार करती है, बल्कि कृषि स्नातकों को सशक्त बनाकर आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को भी मजबूती प्रदान करती है। यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाने और किसानों की आय में वृद्धि लाने की दिशा में एक प्रभावशाली प्रयास है।