उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में दो कथावाचकों के साथ जो कुछ हुआ, उसने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। 21 जून की रात सदरपुर गांव में कथा का समापन करने के बाद कथावाचक मुकुट सिंह और संत सिंह यादव जब भोज पर आमंत्रित हुए, तो उन्हें अपनी जाति का जवाब देना भारी पड़ गया।
कथावाचकों ने जब बताया कि वे यादव समाज से हैं, तो वहां मौजूद कुछ लोगों का व्यवहार हिंसक हो गया। कथावाचकों का आरोप है कि उन्हें बंधक बनाकर रातभर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। एक की चोटी काट दी गई, दूसरे का सिर मुंडवा दिया गया।
सिर्फ इतना ही नहीं, कथावाचकों को ब्राह्मणों के जूतों पर नाक रगड़ने को मजबूर किया गया और शुद्धिकरण के नाम पर उनके ऊपर पेशाब छिड़का गया।
कथावाचकों ने बताई आपबीती
मीडिया से बातचीत के दौरान कथावाचकों की आंखों में दर्द और आवाज में डर साफ झलक रहा था। मुकुट सिंह ने कहा कि उन्हें सुबह तक बंधक बनाए रखा गया और कथा में मिले पैसों में से जबरन ₹30,000 छीन लिए गए।
घटना का वीडियो वायरल होने के बाद यह मामला राष्ट्रीय चर्चा का विषय बन गया है। कथावाचकों का कहना है कि इतना कुछ सहने के बाद उन्हें अब जीवन व्यर्थ लगने लगा है। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि, “मार ही डालते तो अच्छा होता, जीने लायक नहीं छोड़ा।”
‘नाक रगड़वाई, शरीर जलाया गया’ – संत सिंह यादव
दूसरे कथावाचक संत सिंह यादव की पीड़ा भी कुछ कम नहीं रही। उन्होंने रोते हुए बताया कि कैसे उनकी माला छीन ली गई, उनके सिर का मुंडन किया गया और बीड़ी से उनके शरीर को जलाने की कोशिश की गई।
संत सिंह ने हाथ जोड़कर कहा कि जाति पूछकर अपमानित करने वालों ने उनका आत्मसम्मान छीन लिया है। अब वो कहीं भी कथा करने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिस सम्मान से वे कथा सुनाते थे, अब वही उन्हें बोझ लगने लगा है।
आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने की मांग
कथावाचकों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि जैसे कुछ अन्य मामलों में आरोपियों के घर पर बुलडोजर चलाया गया, वैसा ही सख्त कदम इस मामले में भी उठाया जाए।
उनका कहना है कि यदि ऐसा ही अपमान किसी ब्राह्मण कथावाचक के साथ होता, तो अब तक प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया होता। उनका यह भी आरोप है कि जब तक सभी आरोपी गिरफ्तार नहीं होते, उन्हें संतोष नहीं मिलेगा।
फर्जी नाम का आरोप खारिज
मुकुट सिंह यादव ने उन आरोपों को भी नकारा, जिनमें कहा जा रहा था कि उन्होंने अपने आधार कार्ड में अग्निहोत्री नाम जोड़ा हुआ है। NDTV को आधार कार्ड दिखाते हुए उन्होंने कहा कि उनका नाम केवल मुकुट सिंह ही है और किसी प्रकार की जाति छिपाने की कोशिश उन्होंने नहीं की है।
अखिलेश ने की मदद, सरकार पर साधा निशाना
इस घटना ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कथावाचकों से मुलाकात कर उन्हें शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया और ₹51,000 की आर्थिक सहायता दी।
अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर भगवद् कथा सब सुन सकते हैं, तो कोई उसे बोल क्यों नहीं सकता? उन्होंने सवाल किया कि क्या अब धार्मिक कार्यों पर भी जाति का ठप्पा लगाना जरूरी हो गया है? उनका आरोप था कि सरकार में बैठे लोग इस तरह के अन्याय को संरक्षण दे रहे हैं।
पुलिस कार्रवाई तेज, वीडियो से हो रही पहचान
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद इटावा पुलिस हरकत में आई और बकेवर थाना क्षेत्र में मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस ने अब तक चार नामजद और पचास अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि बाकी की पहचान वीडियो और चश्मदीदों की मदद से की जा रही है। स्थानीय नेताओं ने एसएसपी से मिलकर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
न्याय की आस में कथावाचक, समाज में रोष
इटावा की यह घटना सिर्फ दो कथावाचकों पर अत्याचार नहीं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने पर सवाल है। धार्मिक ग्रंथों को जाति के चश्मे से देखना न केवल गलत है, बल्कि यह हमारे समावेशी समाज की भावना के खिलाफ भी है।
पीड़ित कथावाचकों को अब उम्मीद है कि सरकार उनकी व्यथा को गंभीरता से लेगी और दोषियों को सख्त सज़ा दिलाएगी। वे कहते हैं कि जो हुआ, उसे कोई और न सहे। इसलिए बुलडोजर न्याय की प्रतीक्षा में हैं — और साथ ही, समाज की अंतरात्मा की भी।