परीक्षा सेंटर पर गिरफ्तार: राजस्थान यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष निर्मल चौधरी का कौन सा 2022 का केस बना विवाद की आग

राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और एनएसयूआई के चुनाव प्रभारी निर्मल चौधरी इन दिनों विवादों के चलते चर्चा में बने हुए हैं। एक ओर जहां वे 2022 के एक मामले में गिरफ्तार हुए, वहीं पुलिस हिरासत में उनके साथ कथित मारपीट और धमकियों ने राजनीतिक जुबानी

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Tuesday, June 24, 2025

निर्मल चौधरी


राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और एनएसयूआई के चुनाव प्रभारी निर्मल चौधरी इन दिनों विवादों के चलते चर्चा में बने हुए हैं। एक ओर जहां वे 2022 के एक मामले में गिरफ्तार हुए, वहीं पुलिस हिरासत में उनके साथ कथित मारपीट और धमकियों ने राजनीतिक जुबानी जंग को तेज कर दिया है।

आइए, जानते हैं कौन हैं ये छात्रनेता और किन-किन विवादों में उनका नाम आया है।


निर्मल कौन हैं : साधारण परिवार से छात्र राजनीति की ऊंचाई तक


नागौर जिले के धामणिया गाँव में जन्मे निर्मल चौधरी एक सरकारी शिक्षक के बेटे हैं। राजस्थान विश्वविद्यालय से एमए दर्शन शास्त्र के छात्र, उन्होंने 2022 में एनएसयूआई, एबीवीपी और अन्य उम्मीदवारों को भारी मतों से हराकर निर्दलीय छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव जीता, बाद में 2024 में उन्होंने एनएसयूआई को जॉइन किया और वहां राष्ट्रीय स्तर की जिम्मेदारी भी संभाली।


2023 की थप्पड़ कांड: मंच पर उभरा विवाद


उनका नाम 2023 में एक ‘थप्पड़ कांड’ में भी आया था। महारानी कॉलेज के एक समारोह में उन्होंने मंच पर मौजूद महासचिव पर थप्पड़ जड़ दिया था, जो कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की उपस्थिति में हुआ था। इस घटना ने छात्र राजनीति में फिर से उनकी पहचान बनाई।


2022 के विरोध प्रदर्शन में एफआईआर के आरोप


गांधी नगर थाना में अगस्त 2022 में एक प्रदर्शन के दौरान पुलिस व सरकारी संपत्ति पर कथित रूप से हमला करने के आरोपों में निर्मल पर एक एफआईआर दर्ज हुई थी। पुलिस के अनुसार इस प्रदर्शन में उन्होंने डीएसपी मुकेश चौधरी सहित अन्य अधिकारियों के साथ हाथापाई और तोड़फोड़ की थी


परीक्षा केंद्र पर गिरफ्तारी: आर-पार का नजारा


21 जून 2025 को परीक्षा देने पहुंचे जब निर्मल पर पुलिस ने बिजली की तरह कार्रवाई की। परीक्षा केंद्र से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया के साथ भी मामला गरमा गया। हालांकि बाद में पुलिस ने स्पष्ट किया कि पूनिया स्वयं पुलिस वाहन में बैठे थे, गिरफ्तारी नहीं हुई थी।


पुलिस हिरासत में कथित जुल्म: कपड़े उतारकर पीटा, परिवार पर धमकियां


गिरफ्तारी के बाद निर्मल ने हिरासत में गंभीर आरोप लगाए: कहा कि उन्हें कमरे में ले जाकर कपड़े उतारकर मारपीट की गई, उनकी माँ और बहनों को गालियाँ दी गयीं, और झूठे मुकदमे दर्ज करने की धमकी दी गई। उन्होंने इसे सत्ता का अत्याचार बताया और न्याय की मांग की।


राजनीतिक समर्थन और कांग्रेस की तीखी प्रतिक्रिया


निर्मल की गिरफ्तारी पर कांग्रेस नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी। अशोक गहलोत, सचिन पायलट, टिकटकारम जूली और गोविंद डोटासरा समेत कई नेता राज्य सरकार पर हमला बोले, इसे लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन कहा और तुरंत रिहाई की मांग की।

गहलोत ने लिखा कि छात्र-नेता को परीक्षा प्रदान करते समय हिरासत में करना «अन्यायपूर्ण और लोकतंत्र के खिलाफ» था। पायलट ने इसे राज्य की ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ करार दिया।


जमानत और आगे की रणनीति


22 जून को न्यायालय ने निर्मल को जमानत दे दी। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके साथ “आतंकवादियों जैसा व्यवहार” किया। इसके बाद NSUI नेता और समर्थक मिलकर सियासी और कानूनी रास्तों से आंदोलन और जांच की मांग कर रहे हैं।


सियासी चेतावनी और छात्र आंदोलन की ऊर्जा


अब यह मामला सिर्फ छात्र राजनीति या पुलिस कार्रवाई का नहीं रह गया है, बल्कि यह एक राजनीतिक जंग बन चुका है। कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि अगर निर्मल को तुरंत रिहा नहीं किया गया तो बड़े आंदोलन करेंगे। छात्र जगत में भी विरोध-प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं, क्योंकि कई लोग इसे विश्वविद्यालय की स्वायत्तता और छात्र अधिकारों का उल्लंघन मान रहे हैं।


संघर्ष की राह पर निर्मल


निर्मल चौधरी की कहानी छात्र राजनीति की चमक और जटिलताओं का जीता-जागता उदाहरण है। निर्दलीय चुनाव जीतने से लेकर थप्पड़ कांड, फिर प्रदर्शनकारी नेता के रूप में एफआईआर और अब गिरफ़्तारी-मारपीट-अदालत तक उनका संघर्ष एक युवा-प्रतिनिधि की पहचान को दर्शाता है। विकास, सियासत और लोकतंत्र के बीच निर्मल का आंदोलन अब पूरे राज्य में चिन्हित हो चुका है। समय बताएगा कि क्या इस अभियान से विश्वविद्यालयों में छात्र क्षमता के नए आयाम खुलते हैं, या यह सिर्फ एक नया राजनीतिक मोर्चा बनकर रह जाता है।