WhatsApp Trick: सबकी नजरों के सामने छुपा फीचर! क्या आपने कभी सीधे कैमरे से DP लगाई?

आज के दौर में व्हाट्सऐप हमारी रोजमर्रा की बातचीत का एक अहम हिस्सा बन चुका है। चाहे ऑफिस का कोई जरूरी मैसेज हो, पारिवारिक ग्रुप की गपशप या दोस्तों के साथ मीम्स शेयर करना — व्हाट्सऐप हर पल हमारे साथ रहता है। इस ऐप का सबसे व्यक्तिगत

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Saturday, July 19, 2025

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आज के दौर में व्हाट्सऐप हमारी रोजमर्रा की बातचीत का एक अहम हिस्सा बन चुका है। चाहे ऑफिस का कोई जरूरी मैसेज हो, पारिवारिक ग्रुप की गपशप या दोस्तों के साथ मीम्स शेयर करना — व्हाट्सऐप हर पल हमारे साथ रहता है।

इस ऐप का सबसे व्यक्तिगत और पहचान बताने वाला फीचर है डिस्प्ले पिक्चर यानी DP। अक्सर लोग इसे बार-बार बदलते हैं, अपनी मूड, ट्रैवल डायरी, त्योहार या किसी खास पल को दिखाने के लिए। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि जब आप अपनी डीपी बदलते हैं, तो जो कैमरा का विकल्प सामने आता है, उसका इस्तेमाल कितने लोग करते हैं?


हर कोई देखता है, लेकिन शायद ही कोई इस्तेमाल करता है


जब भी हम व्हाट्सऐप पर प्रोफाइल फोटो बदलने जाते हैं, तो दो विकल्प मिलते हैं — कैमरा और गैलरी। हैरानी की बात यह है कि कैमरा वाला विकल्प सबसे ऊपर होता है, यानी ऐप खुद इस ऑप्शन को प्रमुखता देता है। लेकिन फिर भी ज्यादातर यूजर्स इस विकल्प को नजरअंदाज कर सीधे गैलरी पर क्लिक करते हैं।

आखिर ऐसा क्यों है? वजह सीधी भी है और मनोवैज्ञानिक भी। लोग कैमरे से खींची गई सीधी फोटो को अपनी डीपी के लिए सही नहीं मानते। उन्हें डर होता है कि बिना तैयारी के ली गई फोटो कहीं खराब न आ जाए या सोशल सर्कल में इम्प्रेशन खराब न हो जाए।


कैमरे से ली गई फोटो पर भरोसा नहीं


व्हाट्सऐप का इनबिल्ट कैमरा कई बार फोन के कैमरा ऐप जितना स्मार्ट नहीं होता। उसमें न तो सही तरह का ब्राइटनेस कंट्रोल होता है, न ही फिल्टर या टचअप का कोई विकल्प। ऐसे में अगर कोई यूजर कैमरे से लाइव फोटो खींचता है, तो बहुत संभव है कि लाइटिंग ठीक न बैठे, फ्रेम थोड़ा टेढ़ा हो या एंगल मनमाफिक न हो।

डीपी यानी डिस्प्ले फोटो हमारे डिजिटल पहचान का चेहरा होती है। इसलिए ज्यादातर लोग उस फोटो को चुनना पसंद करते हैं, जो पहले से उनके फोन की गैलरी में मौजूद हो — यानी अच्छी रोशनी में, स्माइल के साथ, पर्फेक्ट एंगल में, और शायद थोड़ी सी एडिटिंग के बाद तैयार की गई।

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गैलरी बन चुकी है भरोसे का अड्डा


यूजर्स को अपने फोन की गैलरी पर कहीं ज्यादा भरोसा होता है, क्योंकि वहां उन्हें अपनी पसंद की कई पुरानी तस्वीरें मिलती हैं। ये तस्वीरें पहले से क्लिक की हुई होती हैं, उन्हें चुनने से पहले यूजर सोच सकता है, कंपेयर कर सकता है और फिर बेस्ट फोटो को डीपी बना सकता है।

इससे न सिर्फ आत्मविश्वास बना रहता है, बल्कि किसी तरह की शर्मिंदगी या “बुरी फोटो” लगाने का डर भी नहीं रहता। यह भी देखा गया है कि लोग त्योहारों पर पारंपरिक कपड़ों में, ट्रैवल के दौरान खूबसूरत लोकेशन पर या सेल्फी स्टिक से पर्फेक्ट एंगल में ली गई फोटोज को ही डीपी बनाते हैं। ऐसे में कैमरे से तुरंत क्लिक की गई फोटो उनकी स्टैंडर्ड के हिसाब से फीकी लगती है।


कैमरा फीचर WhatsApp का सबसे कम इस्तेमाल होने वाला टूल?


टेक विशेषज्ञ मानते हैं कि व्हाट्सऐप का इनबिल्ट कैमरा फीचर सबसे कम इस्तेमाल होने वाले फीचर्स में से एक है। चाहे ऐप के पास बिलियन यूजर्स हों, लेकिन शायद ही कुछ फीसदी लोग ही इसे डीपी लगाने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

ऐसा भी कहा जा सकता है कि व्हाट्सऐप की प्राथमिकता में कैमरा फीचर को जो जगह मिली है, वो उपयोगकर्ता की प्राथमिकताओं से मेल नहीं खाती। यूजर अनुभव के अनुसार, ऐप में फिल्टर, एडिटिंग, कस्टमाइजेशन जैसे फीचर्स की कमी कैमरा विकल्प को सीमित कर देती है।


क्या अब कैमरे से डीपी लगाना बन जाएगा ट्रेंड?


अब सवाल यह है कि क्या कभी व्हाट्सऐप के कैमरा विकल्प को लोग उतना ही पसंद करेंगे जितना गैलरी को? शायद हां, अगर इसमें तकनीकी सुधार किए जाएं। जैसे कि बेहतर फोटो क्वालिटी, एडिटिंग के विकल्प, या लाइटिंग और फोकस कंट्रोल फीचर।

फिलहाल, डीपी के मामले में लोग ‘सेफ गेम’ खेलना ज्यादा पसंद करते हैं। जो फोटो पहले से परखी हुई हो, वही डीपी बने। क्योंकि पहली छवि ही आखिरी छवि बन सकती है — और यही सोचकर व्हाट्सऐप पर कैमरा से फोटो खींचने का विकल्प हर किसी की नजरों के सामने होकर भी सबसे कम चुना जाता है।


अगली बार डीपी बदलें, तो सोचें ज़रा…


अब जब आप अगली बार अपनी डीपी बदलने जाएं, तो एक बार खुद से जरूर पूछिए — क्या आप तैयार हैं बिना एडिटिंग वाली, तुरंत ली गई फोटो को सबके सामने लाने के लिए? शायद जवाब “नहीं” होगा। और यही कारण है कि व्हाट्सऐप का कैमरा फीचर यूज़र्स की नजरों में रहते हुए भी लगभग “अनयूज्ड” पड़ा है।

डिजिटल दौर में जहां हर क्लिक हमारी पहचान बनता है, वहां कैमरे से ली गई एक फोटो और गैलरी से चुनी गई फोटो के बीच फर्क सिर्फ पिक्सल का नहीं होता, बल्कि आत्मविश्वास, छवि और पसंद का भी होता है।