राजधानी जयपुर में एक पेट्रोल पंप पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसने डिजिटल भुगतान के बढ़ते चलन के बीच उसके खतरनाक पहलुओं की भी पोल खोल दी है।
पेट्रोल-डीजल बेचने वाले पांच कर्मचारियों ने न केवल मालिक को लाखों का चूना लगाया, बल्कि क्यूआर कोड जैसी सुरक्षित मानी जाने वाली तकनीक को भी ठगी का ज़रिया बना दिया। इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब पेट्रोल पंप का बैंक खाता सीज हो गया और लेन-देन की तस्दीक शुरू हुई।
कर्मचारियों ने चालाकी से बदले QR कोड
यह मामला जयपुर के प्रतापनगर क्षेत्र स्थित एक पेट्रोल पंप का है, जहां लंबे समय से कार्यरत पांच सेल्समैन ने मिलकर डिजिटल पेमेंट में बड़ा घोटाला किया। पेट्रोल पंप पर डिजिटल लेनदेन के लिए अधिकृत क्यूआर कोड लगाए गए थे, जिनके माध्यम से ग्राहक पेट्रोल-डीजल के बदले भुगतान करते थे।
लेकिन इन कर्मचारियों ने बड़ी चतुराई से अपने स्वयं के क्यूआर कोड वहां लगा दिए, जिससे ग्राहक भले ही भुगतान पंप के नाम से समझकर करते रहे, लेकिन पैसा सीधे सेल्समैन के निजी खातों में जाता रहा।
नकद भुगतान में भी हुआ गड़बड़झाला
इतना ही नहीं, आरोपितों ने नकद भुगतान में भी हेराफेरी की। जब ग्राहक कैश में पेट्रोल-डीजल के लिए भुगतान करते, तो कर्मचारी उसे रजिस्टर में कम दर्शाते और बाकी की रकम को डिजिटल मोड में खुद के खाते में ट्रांसफर करवा लेते। इस तरह उन्होंने धीरे-धीरे करके पूरे 16.55 लाख रुपए का गबन कर लिया, जिसका किसी को महीनों तक पता ही नहीं चला।
यह भी पढ़ें –
खाता सीज होते ही खुला घोटाले का राज
यह फर्जीवाड़ा तब सामने आया जब पेट्रोल पंप का मुख्य बैंक खाता तकनीकी कारणों से सीज कर दिया गया और लेन-देन की जांच शुरू हुई। जांच में सामने आया कि वास्तविक बिक्री की तुलना में बैंक खाते में बहुत कम राशि जमा हुई है।
इससे संदेह गहराया और जब हिसाब-किताब की तस्दीक की गई, तो पता चला कि कर्मचारियों ने जानबूझकर पंप के असली क्यूआर कोड की जगह अपने पर्सनल क्यूआर कोड इस्तेमाल करवाए थे।
एफआईआर दर्ज, जांच जारी
पेट्रोल पंप के प्रतिनिधि सुशील कुमार ने शिवदासपुरा थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर पांचों आरोपितों को हिरासत में ले लिया है। प्रारंभिक पूछताछ में आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है और बताया है कि यह काम वे काफी समय से कर रहे थे।
पुलिस अब यह भी पता लगा रही है कि क्या इसमें किसी बाहरी व्यक्ति या तकनीकी जानकार की भी मदद ली गई थी।
बढ़ते डिजिटल पेमेंट के साथ बढ़ रही धोखाधड़ी
डिजिटल इंडिया की बढ़ती रफ्तार के साथ-साथ डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों में भी तेजी से इज़ाफा हुआ है। क्यूआर कोड के माध्यम से भुगतान को सबसे सरल और सुरक्षित तरीका माना जाता है, लेकिन यह मामला बताता है कि ज़रा-सी असावधानी कैसे बड़े नुकसान का कारण बन सकती है।
ऐसे करें सुरक्षा सुनिश्चित
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों से बचने के लिए पेट्रोल पंप, रेस्टोरेंट, शोरूम, आदि जैसे प्रतिष्ठानों को अपने बैंक खातों की नियमित तस्दीक करनी चाहिए। साथ ही कर्मचारियों की भूमिका और भुगतान प्रक्रियाओं की समय-समय पर ऑडिट और जांच होनी चाहिए।
डिजिटल क्यूआर कोड सिस्टम को स्थायी रूप से किसी एक स्थान पर चस्पा करना चाहिए, ताकि उसमें फेरबदल न किया जा सके।
ग्राहकों के लिए भी सबक
इस घटना से ग्राहकों को भी सतर्क रहने की ज़रूरत है। पेट्रोल पंप जैसे स्थानों पर भुगतान करते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिस क्यूआर कोड से भुगतान किया जा रहा है, वह अधिकृत हो और पंप की ओर से जारी किया गया हो। संदेह होने पर कैश मेमो या भुगतान रसीद की मांग करनी चाहिए।
तकनीक की सुविधा
जयपुर के इस मामले ने यह साबित कर दिया है कि तकनीक की सुविधा जहां एक ओर जीवन को आसान बना रही है, वहीं दूसरी ओर, थोड़ी-सी लापरवाही गंभीर नुकसान का कारण बन सकती है।
यह घटना सभी व्यवसायियों के लिए एक चेतावनी है कि अपने प्रतिष्ठान की डिजिटल सुरक्षा को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। अब पुलिस इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है और उम्मीद है कि जल्द ही और भी खुलासे सामने आएंगे।