नरेश मीणा की रिहाई की जंग तेज़: जयपुर में बड़ा आंदोलन, किरोड़ी और बेनीवाल भी साथ!

राजस्थान के टोंक जिले में हुए चर्चित थप्पड़ कांड के मुख्य आरोपी नरेश मीणा की रिहाई को लेकर एक बार फिर सियासी और सामाजिक हलचल तेज हो गई है। करीब आठ महीने से जेल में बंद नरेश मीणा को लेकर अब उनके समर्थकों ने राजधानी जयपुर में

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Thursday, July 10, 2025

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राजस्थान के टोंक जिले में हुए चर्चित थप्पड़ कांड के मुख्य आरोपी नरेश मीणा की रिहाई को लेकर एक बार फिर सियासी और सामाजिक हलचल तेज हो गई है। करीब आठ महीने से जेल में बंद नरेश मीणा को लेकर अब उनके समर्थकों ने राजधानी जयपुर में बड़ा आंदोलन छेड़ने की तैयारी कर ली है।

इस आंदोलन की कमान नरेश के समर्थकों ने संभाल ली है, जो 20 जुलाई से विधानसभा घेराव के साथ शुरू होगा। इससे पहले 11 जुलाई को जयपुर में आंदोलन की रूपरेखा को लेकर अहम बैठक आयोजित की जाएगी।


विधानसभा के घेराव की चेतावनी


जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नरेश मीणा के प्रमुख समर्थक मनोज मीणा ने घोषणा की कि 11 जुलाई को आंदोलन को लेकर रणनीतिक बैठक बुलाई गई है, जिसमें प्रदेशभर से समर्थक जुटेंगे। इसके बाद 20 जुलाई को जयपुर में बड़े स्तर पर आंदोलन की शुरुआत की जाएगी, जिसमें विधानसभा घेराव भी शामिल होगा।

मनोज मीणा ने साफ शब्दों में चेतावनी दी कि यदि राज्य सरकार ने जल्द कोई निर्णय नहीं लिया तो आंदोलन और भी उग्र हो सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने वादा किया था कि एक महीने के भीतर रिहाई कर दी जाएगी, लेकिन चार महीने बीतने के बाद भी कोई पहल नहीं हुई।


मुख्यमंत्री पर वादाखिलाफी का आरोप


मनोज मीणा ने प्रेस वार्ता के दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने खुद नरेश मीणा के पिता से मुलाकात कर यह आश्वासन दिया था कि एक महीने में रिहाई की प्रक्रिया पूरी कर दी जाएगी, लेकिन वादा केवल दिखावा साबित हुआ।

समर्थकों का कहना है कि नरेश मीणा को राजनीतिक द्वेष के चलते जेल में रखा गया है, जबकि उन्हें जमानत पर रिहा किया जा सकता था। यह मामला अब राजनीतिक गरमाहट पकड़ चुका है और सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई जा रही है।


हनुमान बेनीवाल और प्रहलाद गुंजल का समर्थन


इस पूरे आंदोलन को विपक्षी दलों का भी समर्थन मिल रहा है। नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने नरेश मीणा के समर्थन में खुलकर आने की बात कही है।

साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रहलाद गुंजल ने भी आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा की है। माना जा रहा है कि यह आंदोलन अब केवल नरेश मीणा की रिहाई तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह सत्ता और विपक्ष के बीच शक्ति प्रदर्शन का मैदान बन सकता है।


सरकार के मंत्री किरोड़ी मीणा भी साथ आने को तैयार?


सबसे दिलचस्प बात यह है कि सरकार के भीतर से भी इस आंदोलन को समर्थन मिल सकता है। मनोज मीणा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि राज्य सरकार में मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा भी नरेश मीणा के समर्थन में हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि किरोड़ी लाल ने पहले भी परिवार की मदद की है और अब भी वे सरकार में रहते हुए पूरा सहयोग करेंगे। हालांकि, मंत्री किरोड़ी मीणा की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई है कि वे बैकडोर से आंदोलन को समर्थन दे सकते हैं।


कैसे शुरू हुआ था मामला?


पूरा मामला पिछले साल 13 नवंबर को हुए उपचुनाव के दौरान टोंक जिले की देवली-उनियारा विधानसभा सीट का है। उस दौरान नरेश मीणा ने ड्यूटी पर तैनात मालपुरा के एसडीएम अमित चौधरी को कथित रूप से थप्पड़ मार दिया था।

यह घटना कैमरे में कैद हो गई थी और वायरल होने के बाद तत्काल कार्रवाई करते हुए नरेश मीणा को गिरफ्तार कर लिया गया था। तब से वह जेल में बंद हैं और विभिन्न धाराओं में उन पर केस चल रहा है।


आंदोलन से राजनीतिक तापमान बढ़ा


नरेश मीणा की रिहाई को लेकर जो आंदोलन खड़ा हो रहा है, वह आने वाले दिनों में राजस्थान की राजनीति को और गर्मा सकता है। यह मुद्दा आदिवासी और ग्रामीण समुदाय में गहरी पकड़ रखने वाले नेताओं के बीच सहानुभूति का केंद्र बन रहा है।

राज्य सरकार के लिए यह स्थिति असहज हो सकती है, क्योंकि जहां एक ओर वह कानून व्यवस्था का पालन कराने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर अपने ही समर्थक वर्ग की नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती है।


सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन का रूप


नरेश मीणा की रिहाई का मुद्दा अब सिर्फ एक व्यक्ति की जमानत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन का रूप ले चुका है। समर्थकों ने जयपुर में शक्ति प्रदर्शन की पूरी तैयारी कर ली है, वहीं विपक्ष और सत्ता के भीतर से भी समर्थन के संकेत मिल रहे हैं।

ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार इस मुद्दे से कैसे निपटती है क्या वादे निभाए जाते हैं या आंदोलन को दबाने के लिए सख्ती बरती जाती है। जो भी हो, 20 जुलाई से जयपुर की सड़कों पर राजनीतिक उबाल तय है।

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