बिना सहारे के बच्चों को अब मिलेगा 4000 का सहारा – क्या आप जानते हैं इस योजना के बारे में?

राज्य सरकार की ओर से संकट में घिरे उन बच्चों के लिए एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण योजना शुरू की गई है, जिनके माता-पिता में से एक या दोनों का निधन 1 मार्च 2020 के बाद हो गया हो। मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना के तहत ऐसे परिवारों को

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Monday, July 7, 2025

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राज्य सरकार की ओर से संकट में घिरे उन बच्चों के लिए एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण योजना शुरू की गई है, जिनके माता-पिता में से एक या दोनों का निधन 1 मार्च 2020 के बाद हो गया हो।

मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना के तहत ऐसे परिवारों को राहत देने और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में मदद करने का प्रयास किया जा रहा है। योजना का उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा अकेलेपन, अभाव या असुरक्षा का शिकार न हो और उसे शिक्षा, पोषण और आवश्यक संसाधनों की प्राप्ति में कोई बाधा न हो।


बिना माता-पिता के बच्चों के लिए सरकार बनी सहारा


इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार ऐसे बच्चों की देखभाल और परवरिश के लिए आर्थिक सहयोग प्रदान कर रही है जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम है और जिनके माता-पिता में से एक या दोनों का देहांत कोविड महामारी के दौरान या उसके बाद 1 मार्च 2020 के बाद हुआ है।

योजना के तहत अधिकतम दो बच्चों को इस सुविधा का लाभ मिल सकता है, जिसमें प्रत्येक बच्चे को ₹4000 प्रति माह की आर्थिक सहायता दी जाएगी। यह सहायता न केवल बच्चों की शिक्षा और दैनिक जरूरतों के लिए सहायक सिद्ध होगी, बल्कि यह परिवारों के लिए सामाजिक और भावनात्मक संबल का कार्य भी करेगी।

ऐसे में जरूरतमंद परिवारों तक इस योजना की जानकारी पहुंचाना और उन्हें लाभ दिलवाना समाज का नैतिक कर्तव्य बन जाता है।


आवेदन की प्रक्रिया सरल, लेकिन सतर्कता जरूरी


इस योजना का लाभ उठाने के लिए संबंधित परिवारों को निर्धारित दस्तावेज़ों के साथ आवेदन फॉर्म भरकर अपने जिले के जिला बाल संरक्षण इकाई कार्यालय या जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय में जमा कराना होगा। इन कार्यालयों में ‘चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC)’ की देखरेख में यह प्रक्रिया पूरी की जाती है।

आवेदन करते समय मां और बच्चे का साथ में उपस्थित होना अनिवार्य होता है। फील्ड वर्कर की सहायता से यह फॉर्म जमा कराया जा सकता है, जो कि योजना के प्रति सरकार की संवेदनशीलता और तत्परता को दर्शाता है।


आवश्यक दस्तावेज़ों की तैयारी पहले से करें


इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ प्रमुख दस्तावेजों की जरूरत होती है। इनमें मां और बच्चे का संयुक्त बैंक खाता, राशन कार्ड, दोनों के आधार कार्ड, बच्चे का स्कूल आईडी कार्ड या प्रधानाचार्य द्वारा दिया गया प्रमाण पत्र, पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र और परिवार की वार्षिक आय प्रमाण पत्र (₹72,000 – ₹75,000 के भीतर) शामिल हैं।

इन दस्तावेजों के साथ पूरा आवेदन फॉर्म भरकर संबंधित कार्यालय में जमा कराना होता है। एक बार दस्तावेज़ सत्यापित हो जाने के बाद पात्र बच्चों को हर माह ₹4000 की राशि सीधे उनके संयुक्त बैंक खाते में स्थानांतरित की जाती है।


विद्यालयों और समाज की जिम्मेदारी: अधिकतम लाभार्थियों तक पहुंचे योजना


इस योजना की व्यापक जानकारी आमजन तक पहुंचाना अत्यंत आवश्यक है। विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों को योजना की सूचना तत्काल दी जानी चाहिए ताकि यदि कोई पात्र हो, तो वह इस योजना से लाभान्वित हो सके।

कई बार जानकारी के अभाव में पात्र परिवार वंचित रह जाते हैं। ऐसे में स्कूल प्रशासन, पंचायत प्रतिनिधि, समाजसेवी संस्थाएं और स्थानीय नागरिकों की यह सामाजिक जिम्मेदारी बनती है कि वे इस योजना का प्रचार करें।

इस पहल को जन-जन तक पहुंचाने के लिए यह भी आवश्यक है कि प्रत्येक नागरिक कम से कम 10 अन्य लोगों तक यह जानकारी साझा करे। इससे उन बच्चों को भी सहायता मिल सकेगी जो आज तक किसी सहारे की प्रतीक्षा में हैं।


संवेदनशील शासन का उदाहरण है यह योजना


मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना राज्य सरकार की एक अत्यंत मानवीय और दूरदर्शी पहल है, जो अनाथ हुए या असमर्थ बच्चों को आत्मनिर्भरता और गरिमा के साथ जीवन जीने का अवसर प्रदान करती है।

संकट में घिरे बच्चों को केवल आर्थिक सहायता ही नहीं, बल्कि सामाजिक सुरक्षा का अनुभव भी इस योजना के माध्यम से मिल रहा है। यदि समाज के हर वर्ग से इस योजना में सहयोग और जागरूकता का प्रयास किया जाए, तो निश्चित ही यह कई मासूमों की जिंदगी में उजाला भर सकती है।

यह सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि उन बच्चों के लिए आशा की किरण है, जिन्होंने बहुत कम उम्र में अपना सबसे बड़ा सहारा खो दिया है।

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