गहलोत ने मांगी माफी, लेकिन शेखावत टस से मस नहीं – बोले ‘इज्जत का सौदा नहीं होगा

राजस्थान की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ दिए गए विवादित बयान को लेकर दर्ज मानहानि केस की वापसी की संभावना को खुद शेखावत ने सिरे से खारिज कर दिया है। शेखावत ने स्पष्ट

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Sunday, July 6, 2025

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राजस्थान की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ दिए गए विवादित बयान को लेकर दर्ज मानहानि केस की वापसी की संभावना को खुद शेखावत ने सिरे से खारिज कर दिया है।

शेखावत ने स्पष्ट कहा कि वे उस क्षण को जीवन भर नहीं भूल सकते जब गहलोत ने उनकी दिवंगत माता को लेकर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी की थी। ऐसे में कोई भी माफी, वह भी मीडिया के जरिए, उन्हें स्वीकार्य नहीं है।


गहलोत की टिप्पणी आज भी है ‘घाव’


साल 2022 में मुख्यमंत्री रहते हुए अशोक गहलोत ने गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार से जुड़े गंभीर आरोप लगाए थे। साथ ही जोधपुर में सर्किट हाउस के बाहर मीडिया से बातचीत करते हुए उनकी मां को लेकर की गई अमर्यादित टिप्पणी ने विवाद को और भी गंभीर बना दिया था।

इसके जवाब में शेखावत ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था, जो अभी भी अदालत में लंबित है। अब जब गहलोत ने संकेत दिए हैं कि वे इस मामले में क्षमा चाहते हैं, और केस वापसी की ओर संकेत दिया है, तब शेखावत ने साफ कर दिया है कि वे न तो माफ करेंगे और न ही मुकदमा वापस लेंगे।


“मीडिया के जरिए क्षमा मांगना सही तरीका नहीं”


शेखावत ने गहलोत की माफी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर किसी को सच्चा पछतावा होता है, तो वह सामने आकर क्षमा मांगता है, न कि मीडिया के जरिए। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं है, बल्कि उनके आत्मसम्मान और मां के सम्मान की बात है। ऐसी स्थिति में कोई भी ‘राजनीतिक माफी’ उन्हें स्वीकार नहीं।


आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर तीखा हमला


जोधपुर प्रवास के दौरान सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत करते हुए शेखावत ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आज जब कांग्रेस आपातकाल की आलोचना करती है और संविधान की रक्षा की बात करती है, तब यह सबसे बड़ा राजनीतिक दोहरापन है।

शेखावत ने याद दिलाया कि खुद गहलोत की सरकार ने सत्ता में रहते हुए संवैधानिक संस्थाओं और प्रेस की स्वतंत्रता का गला घोंटने में कोई कसर नहीं छोड़ी।


“भारत का लोकतंत्र वैदिक युग से चला आ रहा है”


अपने बयान में शेखावत ने कहा कि भारत केवल विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र नहीं है, बल्कि यह वैदिक युग से चला आ रहा एक प्राचीन गणराज्य भी है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम की चर्चा करते हुए कहा कि करोड़ों लोगों की कुर्बानियों से देश को आजादी मिली और उसी लोकतंत्र को जबरदस्ती कुचलना कभी माफ नहीं किया जा सकता।


“आपातकाल की पीड़ा नहीं भूली जा सकती”


शेखावत ने गहलोत के उस बयान पर भी पलटवार किया जिसमें उन्होंने आपातकाल को ‘गलती’ बताया था। उन्होंने कहा कि क्या वे लोग जिन्होंने जबरन नसबंदी, जेल की यातनाएं और अपने अधिकारों का हनन सहा, वे कभी उस पीड़ा को भूल सकते हैं?

उन्होंने कहा कि आपातकाल देश के लोकतंत्र के खिलाफ एक अपराध था और कांग्रेस आज उसी इतिहास से भागने की कोशिश कर रही है।


राजनीति में शुचिता और माफी का महत्व


इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ हो गया है कि व्यक्तिगत टिप्पणी और सार्वजनिक छवि के खिलाफ अपमानजनक बयानों को लेकर अब राजनीति में भी जवाबदेही तय की जा रही है। शेखावत का यह स्पष्ट रुख कि वे मां के सम्मान से कोई समझौता नहीं करेंगे, न केवल एक राजनीतिक संदेश है बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण संकेत देता है।

इस मामले में अब सभी की निगाहें अदालत की अगली सुनवाई पर हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या गहलोत कोई कानूनी पहल करते हैं या यह मामला सियासी बहस का नया केंद्र बनता है।