राजस्थान के टोंक जिले के देवली उपखंड के राजमहल गांव में बजरी माफियाओं के खिलाफ जनाक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा। बुधवार रात बजरी से भरे ट्रैक्टर की टक्कर से 26 वर्षीय युवक पप्पू गुर्जर की मौत के बाद ग्रामीणों ने गुरुवार को शव रखकर उग्र प्रदर्शन किया था।
शुक्रवार को भी यह प्रदर्शन जारी रहा और स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। मृतक के परिजन और गांववासी बजरी माफिया पर सख्त कार्रवाई की मांग के साथ साथ पीड़ित परिवार को सरकारी नौकरी और आर्थिक मुआवजा देने पर अड़े हुए हैं।
बजरी माफिया के ट्रैक्टर से युवक की मौत, गांव में आक्रोश की लहर
पूरा मामला 2 जुलाई की रात का है जब देवली क्षेत्र के राजमहल गांव में ईश्वर मीणा नामक व्यक्ति के बजरी लदे ट्रैक्टर ने पप्पू गुर्जर को कुचल दिया। यह घटना उस वक्त हुई जब पप्पू रास्ते से गुजर रहा था। आरोप है कि यह ट्रैक्टर बजरी के अवैध खनन में लिप्त था।
घटना के बाद से ग्रामीणों में भारी आक्रोश फैल गया और उन्होंने मृतक का शव सड़क पर रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया।
पुलिस से झड़प, महिलाएं भड़कीं
घटना के बाद मौके पर पहुंचे दूनी थाना पुलिस के जवानों को गांव की महिलाओं ने विरोध स्वरूप खदेड़ दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस प्रशासन अब तक बजरी माफियाओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सका है, और यही कारण है कि ऐसे लोगों का हौसला बढ़ता जा रहा है।
महिलाओं ने पुलिस जवानों से हाथापाई भी की और विरोध दर्ज कराया। इसके बाद राजमहल गांव और आसपास के इलाकों में तनाव की स्थिति बनी हुई है।
सरकारी नौकरी और मुआवजे की मांग
मृतक पप्पू गुर्जर के परिजन और ग्रामीणों की मांग है कि परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए और उचित आर्थिक सहायता दी जाए। उनका कहना है कि पप्पू परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य था और उसकी मौत के बाद पूरा परिवार संकट में आ गया है।
प्रशासन की ओर से मौके पर एसडीओ मनोज कुमार मीणा, देवली डिप्टी रामसिंह, देवली थाना प्रभारी दौलतराम और दूनी थाना प्रभारी सहित चार थानों की पुलिस टीम तैनात की गई है। अधिकारियों ने ग्रामीणों को शांत करने का प्रयास किया, लेकिन परिजन अपनी मांगों पर अड़े हैं और शव को तब तक नहीं हटाने की चेतावनी दी है जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं।
विधायक भी मौके पर पहुंचे, नहीं बनी सहमति
घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए स्थानीय विधायक राजेन्द्र गुर्जर भी शुक्रवार सुबह गांव पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवार और ग्रामीणों से बातचीत कर स्थिति को शांत करने की कोशिश की। विधायक ने प्रशासन से बात कर परिजनों को संवेदनशीलता के साथ राहत देने का आश्वासन भी दिया। हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक समझौता नहीं हो पाया है।
ग्रामीणों का आरोप है कि बजरी माफिया खुलेआम अवैध खनन कर रहे हैं और पुलिस मौन बनी हुई है। ट्रैक्टर, डंपर और जेसीबी मशीनों के जरिए रात्रि में बजरी की ढुलाई की जाती है और विरोध करने वालों को धमकाया जाता है। पप्पू गुर्जर की मौत को ग्रामीण इसी माफिया तंत्र की एक कड़ी मान रहे हैं।
प्रशासन के रवैए से नाराज़ ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन केवल कागजी कार्रवाई कर रहा है, जबकि जमीनी स्तर पर कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया। यही कारण है कि बजरी माफिया का आतंक ग्रामीण इलाकों में दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि मांगें नहीं मानी गईं, तो प्रदर्शन को और बड़ा रूप दिया जाएगा।
न्याय की उम्मीद में डटे हैं परिजन
तीसरे दिन में प्रवेश कर चुके इस प्रदर्शन में अब तक पोस्टमार्टम नहीं हो सका है। प्रशासन लगातार कोशिश कर रहा है कि परिजनों को राजी कर पोस्टमार्टम कराया जाए, लेकिन ग्रामीणों ने साफ कह दिया है कि जब तक लिखित रूप में सरकारी नौकरी और मुआवजे का आश्वासन नहीं दिया जाता, तब तक शव नहीं उठाया जाएगा।
क्या होगा अगला कदम?
हालात को देखते हुए प्रशासन अब दोहरे दबाव में है—एक ओर परिजनों की मांगें हैं, तो दूसरी ओर प्रशासनिक व्यवस्था बनाए रखने की चुनौती। अगर जल्द ही समाधान नहीं निकला, तो यह प्रदर्शन राजनीतिक रंग भी ले सकता है।
सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर बजरी माफियाओं पर इतने वर्षों से सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हुई और कब तक आम लोग इसकी चपेट में आते रहेंगे। फिलहाल, राजमहल गांव न्याय की राह तक रहा है और उम्मीद कर रहा है कि प्रशासन इस बार केवल आश्वासन नहीं, ठोस कदम उठाएगा।