राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां मोना बुगालिया नामक महिला दो साल तक खुद को सब इंस्पेक्टर बताकर पुलिस अकादमी में प्रशिक्षण लेती रही और किसी को शक तक नहीं हुआ।
राजस्थान पुलिस अकादमी (RPA) जैसी संवेदनशील और अनुशासित जगह पर इस तरह की सेंधमारी ने न केवल सुरक्षा तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया है कि किस तरह से एक जालसाज बिना किसी वैधता के व्यवस्था को चकमा दे सकती है।
सीकर से दबोची गई फर्जी एसआई
मोना बुगालिया को जयपुर के शास्त्री नगर थाना पुलिस ने सीकर से गिरफ्तार किया है। वह वहां एक किराए के मकान में खुद को कोचिंग छात्रा बताकर रह रही थी। पुलिस को काफी समय से उसकी तलाश थी और जैसे ही उसके लोकेशन की गुप्त सूचना मिली, एक विशेष टीम बनाकर कार्रवाई की गई और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
ऐसे रचा गया था धोखाधड़ी का जाल
जानकारी के मुताबिक, मोना ने वर्ष 2021 में सब इंस्पेक्टर की परीक्षा दी थी लेकिन वह चयनित नहीं हो सकी। इसके बावजूद उसने सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैला दी कि वह चयनित हो गई है। इतना ही नहीं, वह सब इंस्पेक्टरों के व्हाट्सएप ग्रुप्स में भी शामिल हो गई और खुद को प्रशिक्षु अधिकारी बताने लगी।
वर्ष 2023 में उसने एक असली एसआई को धमकी दे दी, जिससे मामला संदेहास्पद हो गया। जब इसकी शिकायत राजस्थान पुलिस अकादमी के अधिकारियों तक पहुंची तो मोना के दस्तावेजों और रिकॉर्ड की जांच की गई। इसमें सामने आया कि न तो उसका कोई चयन हुआ था और न ही उसे अकादमी में प्रवेश की अनुमति थी।
आईबी अधिकारी बनकर लोगों को किया गुमराह
मोना ने अपनी पहचान छिपाने के लिए एक और झूठ गढ़ा। उसने अकादमी में प्रशिक्षुओं और अन्य लोगों को बताया कि वह इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) से है और ट्रेनिंग के लिए विशेष अनुमति से आई है। इस झूठ के सहारे उसने अलग-अलग बैचों में प्रशिक्षण लिया और अधिकारियों की नजरों से बची रही।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से भी बना ली पहचान
मोना ने प्रशिक्षण के दौरान कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मेलजोल बढ़ा लिया। वह एडीजी स्तर के अधिकारियों के साथ टेनिस खेलती थी और सामाजिक कार्यक्रमों में भी सक्रिय रहती थी।
यहां तक कि वह राजस्थान के पूर्व डीजीपी एमएल लाठर की बेटी की शादी में भी शामिल हुई, जहां उसने कुछ प्रभावशाली तस्वीरें खिंचवाकर सोशल मीडिया पर शेयर कीं। इन तस्वीरों से उसने अपने झूठ को और मजबूत कर लिया और लोगों को भ्रमित करती रही।
पुलिस अब कर रही है गहन जांच
मोना की गिरफ्तारी के बाद पुलिस अब इस पूरे प्रकरण की गहराई से जांच कर रही है। पुलिस यह जानने की कोशिश में है कि क्या इस फर्जीवाड़े में कोई अन्य अधिकारी या कर्मचारी भी शामिल था। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि दो साल तक एक बिना वैध पहचान वाली महिला पुलिस अकादमी में कैसे प्रशिक्षण लेती रही और किसी को भनक क्यों नहीं लगी?
वहीं, यह मामला अब राजस्थान पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है। आरपीए जैसी प्रतिष्ठित संस्था में किसी बाहरी व्यक्ति का इस तरह घुसपैठ करना न केवल सुरक्षा खामी है बल्कि इससे अन्य प्रशिक्षु अधिकारियों का मनोबल भी प्रभावित हो सकता है।
क्या है आगे की कार्रवाई?
फिलहाल मोना को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और उससे लगातार पूछताछ की जा रही है। पुलिस उसकी सोशल मीडिया गतिविधियों, कॉल डिटेल्स और पिछले दो सालों के हर कदम की पड़ताल कर रही है। यह भी देखा जा रहा है कि उसने किसी प्रकार से संवेदनशील सूचनाओं तक पहुंच बनाई थी या नहीं।
एक गंभीर सीख देने वाला मामला
मोना बुगालिया का यह मामला न केवल फर्जीवाड़े का एक अनोखा उदाहरण है, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि तकनीक, सोशल नेटवर्क और आत्मविश्वास के जरिये कोई व्यक्ति किस हद तक जाकर सिस्टम को गुमराह कर सकता है।
यह घटना पुलिस प्रशासन और प्रशिक्षण संस्थाओं के लिए एक चेतावनी है कि भर्ती प्रक्रिया और सुरक्षा जांच को और सख्त और पारदर्शी बनाना बेहद जरूरी है। अब देखना होगा कि जांच आगे क्या खुलासे करती है और क्या मोना अकेले इस खेल की मास्टरमाइंड थी या उसके पीछे कोई संगठित तंत्र भी सक्रिय था।