सौरमंडल में घुसा रहस्‍यमय धूमकेतु A11pl3Z! इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट पर NASA और ESA का चौंकाने वाला खुलासा

आकाश में एक बार फिर से अनजानी दिशा से आया एक रहस्यमय अंतरिक्षीय पिंड खगोल वैज्ञानिकों के लिए जिज्ञासा का विषय बन गया है। इस बार यह कोई सामान्य धूमकेतु नहीं, बल्कि एक दुर्लभ इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट है, जिसे A11pl3Z नाम दिया गया है। यह अब तक का

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Thursday, July 3, 2025

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आकाश में एक बार फिर से अनजानी दिशा से आया एक रहस्यमय अंतरिक्षीय पिंड खगोल वैज्ञानिकों के लिए जिज्ञासा का विषय बन गया है। इस बार यह कोई सामान्य धूमकेतु नहीं, बल्कि एक दुर्लभ इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट है, जिसे A11pl3Z नाम दिया गया है।

यह अब तक का केवल तीसरा ऐसा पिंड है, जो हमारे सौरमंडल के बाहर से आया है और कुछ समय के लिए हमारे बीच रहकर वापस अपने मार्ग की ओर लौट जाएगा। नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) की इस खोज ने वैश्विक खगोल विज्ञान जगत में उत्सुकता बढ़ा दी है।


नासा की ATLAS प्रणाली ने सबसे पहले देखी हलचल


इस अद्भुत खगोलीय घटना की शुरुआत उस समय हुई जब नासा के एस्टेरॉयड टेरेस्ट्रियल-इम्पैक्ट लास्ट अलर्ट सिस्टम (ATLAS) ने A11pl3Z को पहली बार देखा। यह प्रणाली खतरनाक क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं पर नजर रखने के लिए बनाई गई है, जो धरती की ओर बढ़ सकते हैं।

हालांकि, इस बार जो देखा गया, वह कोई आम सौरमंडलीय पिंड नहीं था। इसकी रफ्तार और प्रक्षेप पथ ने वैज्ञानिकों को चौंका दिया। तभी से दुनिया भर के पेशेवर और शौकिया खगोलविद इस ऑब्जेक्ट पर नजर बनाए हुए हैं।


A11pl3Z की अजीबोगरीब कक्षा और इंटरस्टेलर संकेत


ESA के खगोलविदों ने गहराई से विश्लेषण करके बताया है कि A11pl3Z की कक्षा पूर्णतः हाइपरबोलिक है। इसकी विलक्षणता (eccentricity) 6 से 11.6 के बीच मापी गई है, जो सामान्य सौरमंडलीय पिंडों की तुलना में काफी अधिक है।

सौरमंडल के किसी भी पिंड की विलक्षणता यदि 1 से अधिक हो तो वह हाइपरबोलिक मानी जाती है। इसका अर्थ है कि यह ऑब्जेक्ट सूर्य के गुरुत्वाकर्षण से बंधा नहीं है, बल्कि सिर्फ उसकी ओर से गुजर रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि A11pl3Z किसी अन्य सौर प्रणाली से आया है, और यह हमारे लिए दुर्लभ वैज्ञानिक अवसर लेकर आया है।


सौरमंडल में A11pl3Z की स्थिति और अगले कदम


नासा की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, A11pl3Z इस समय बृहस्पति की कक्षा के अंदर स्थित है और धीरे-धीरे सूर्य की ओर बढ़ रहा है। अनुमान है कि यह अक्तूबर 2025 में सूर्य के सबसे करीब पहुंचेगा, जब इसकी दूरी लगभग 1.35 खगोलीय इकाइयों यानी लगभग 20 करोड़ किलोमीटर होगी।

यह दूरी मंगल ग्रह की कक्षा के नजदीक है, जिससे यह पृथ्वी के लिए पूरी तरह निर्मोही और खतरे से मुक्त बना रहेगा।


धरती से अध्ययन का मिलेगा दुर्लभ अवसर


वैज्ञानिकों के अनुसार, यह इंटरस्टेलर पिंड धरती से दूर तो रहेगा, लेकिन इतना पास से गुजरेगा कि खगोलविद इस पर मूलभूत संरचना, रासायनिक तत्वों और गतिशीलता से जुड़ी अहम जानकारी जुटा सकेंगे।

इससे पहले केवल दो इंटरस्टेलर पिंडों—ʻOumuamua (2017) और 2I/Borisov (2019)—का ही अवलोकन किया गया है। लेकिन A11pl3Z का प्रक्षेपपथ इन दोनों से भी अधिक विलक्षण और विश्लेषण योग्य बताया जा रहा है।


इंटरस्टेलर पिंड क्यों हैं इतने खास?


इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट्स उन खगोलीय पिंडों को कहा जाता है, जो किसी अन्य तारा प्रणाली से निकलकर सौरमंडल में प्रवेश करते हैं। इन पर किसी तारे का स्थायी गुरुत्वीय प्रभाव नहीं होता, और ये सीधे पथ पर चलते हुए किसी सौर प्रणाली से गुजर जाते हैं।

इन्हें देखना इसलिए अहम होता है क्योंकि ये अन्य तारकीय प्रणालियों की रचना, इतिहास और तत्वों की जानकारी का सीधा स्रोत होते हैं।


वैज्ञानिक समुदाय में बढ़ी उत्सुकता


ESA ने इस पिंड पर अध्ययन के लिए अपने वैश्विक दूरबीन नेटवर्क को सक्रिय कर दिया है। विभिन्न वेवलेंथ्स में इसकी संरचना को समझने की कोशिश की जा रही है। आने वाले कुछ महीने खगोलविज्ञान के लिए बेहद रोमांचक हो सकते हैं, क्योंकि A11pl3Z हमें ब्रह्मांड के किसी अनजाने कोने की कहानी सुनाने आ रहा है।


ब्रह्मांड को जानने की उत्सुकता


A11pl3Z सिर्फ एक धूमकेतु नहीं, बल्कि गैलेक्सी के किसी कोने से आया संदेशवाहक है, जो थोड़े समय के लिए हमारे बीच रहकर वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड के रहस्यों की एक नई परत खोलने का मौका दे रहा है। ऐसे दुर्लभ इंटरस्टेलर आगंतुक न केवल खगोल विज्ञान की दुनिया को समृद्ध करते हैं, बल्कि इंसान की ब्रह्मांड को जानने की उत्सुकता को भी नई दिशा देते हैं।