CM की कुर्सी चाहिए! भरतपुर की हुंकार सभा में गरजे हनुमान बेनीवाल, वसुंधरा–कांग्रेस पर तीखा हमला

राजस्थान की सियासत में एक बार फिर गर्मी आ गई है। नागौर सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने भरतपुर में आयोजित जाट समाज की हुंकार सभा में मुख्यमंत्री बनने की मंशा जताते हुए बड़ा बयान दिया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Monday, June 30, 2025

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राजस्थान की सियासत में एक बार फिर गर्मी आ गई है। नागौर सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने भरतपुर में आयोजित जाट समाज की हुंकार सभा में मुख्यमंत्री बनने की मंशा जताते हुए बड़ा बयान दिया।

उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अब उन्हें मंत्री पद की चाह नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री की कुर्सी चाहिए। अपने भाषण में उन्होंने भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों पर करारा हमला बोला और खुद को राजस्थान की राजनीति का मजबूत विकल्प बताया।


“मंत्री नहीं, मुझे चाहिए मुख्यमंत्री की कुर्सी”


हनुमान बेनीवाल ने रविवार को भरतपुर के नेशनल हाईवे के पास आयोजित जाट आरक्षण हुंकार सभा में कहा कि वे कभी भी मंत्री बनने की दौड़ में नहीं रहे। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, “जो मेरा थैला उठाते थे, वो दो-दो बार मंत्री बन गए।

लेकिन मैं अब उस कुर्सी की तलाश में हूं, जिस पर बैठते ही लाखों लोगों का भला होता है — और वह है मुख्यमंत्री की कुर्सी।”उन्होंने आगे कहा कि “मुझे उप मुख्यमंत्री बनना मंजूर नहीं। अगर कोई मेरा भाई मुख्यमंत्री बन जाए, तो मैं बारात में जाने को तैयार हूं

लेकिन दुल्हन यानी उप मुख्यमंत्री नहीं बनूंगा।” इस बयान के जरिए उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि वह किसी गठबंधन में जूनियर पार्टनर की भूमिका में नहीं रहना चाहते।


“वसुंधरा को घर बैठा दिया” — पुरानी रंजिश फिर आई सामने


हनुमान बेनीवाल ने अपने पुराने राजनीतिक संघर्ष को याद करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर भी तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि “2003 में वसुंधरा जी ने मुझे नागौर से टिकट देने की पेशकश की थी, लेकिन मैंने अपने पिता की परंपरागत सीट मूंडवा से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई। जब टिकट नहीं मिला, तो निर्दलीय चुनाव लड़ा और हार गया।

लेकिन घर नहीं बैठा। आज वही वसुंधरा घर बैठी हैं। लड़ते-लड़ते मैंने उन्हें भी घर बैठा दिया। यह बयान राजस्थान भाजपा के उस धड़े के लिए एक सीधा संदेश माना जा रहा है जो वसुंधरा राजे के नेतृत्व को पुनः उभारने की कोशिश कर रहा है। बेनीवाल की यह बात उनके जमीनी संघर्ष और अपने बलबूते पर खड़ा होने की कहानी भी बयान करती है।


“कांग्रेस सिर्फ बयानों की राजनीति कर रही है”


पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा भजनलाल शर्मा सरकार के खिलाफ साजिश की बात कहे जाने पर भी हनुमान बेनीवाल ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि “अगर षड्यंत्र हो रहा है तो गहलोत जी को जरूर पता होगा, क्योंकि पिछली बार वसुंधरा राजे ने ही उनके लिए आठ विधायक दिए थे।

” उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस अब सिर्फ बयानों से राजनीति चला रही है, और भाजपा के कुछ बड़े नेता आज भी कांग्रेस के संपर्क में हैं।उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा-कांग्रेस की यह मिलीभगत ही कारण है कि एसआई भर्ती जैसे संवेदनशील मुद्दों पर कोई ठोस निर्णय नहीं हो पा रहा।


“अगर मांगे नहीं मानीं, तो दिल्ली करेंगे कूच”

हनुमान बेनीवाल ने भरतपुर, धौलपुर और डीग के जाट समाज को आरक्षण देने, एसआई भर्ती रद्द करने और RPSC के पुनर्गठन जैसे मुद्दों को लेकर राज्य सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि RLP इन मुद्दों पर लगातार संघर्ष कर रही है, और अगर सरकार ने मांगे नहीं मानीं, तो एक लाख युवा दिल्ली कूच करेंगे और प्रधानमंत्री आवास का घेराव करेंगे।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय स्तर पर वे इंडिया गठबंधन का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन राजस्थान में उनकी पार्टी स्वतंत्र पहचान के साथ काम करती है। “दिल्ली का रास्ता भरतपुर होकर जाता है,” कहते हुए उन्होंने जाट समुदाय को एकजुट होकर आंदोलन को धार देने की अपील की।


अगर सूरजमल और तेजाजी के वंशज एकजुट हुए तो दिल्ली तक राज हमारा होगा


हनुमान बेनीवाल ने अपने संबोधन के अंत में महाराजा सूरजमल और वीर तेजाजी के जयकारों के साथ सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “अगर उनके वंशज एक हो गए, तो दिल्ली तक राज हमारा होगा।” यह बयान न सिर्फ भावनात्मक अपील थी, बल्कि राजनीतिक रूप से एक बड़े जनसमूह को एकजुट करने का संदेश भी।


मुख्यमंत्री पद की चाहत,


हनुमान बेनीवाल की भरतपुर में दी गई हुंकार न केवल आरक्षण और बेरोजगारी जैसे जनहित के मुद्दों पर केंद्रित रही, बल्कि इसमें स्पष्ट राजनीतिक संदेश भी छिपा था। मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर उनके दावे, भाजपा-कांग्रेस पर कटाक्ष और दिल्ली तक कूच की चेतावनी—सब मिलाकर यह इशारा करते हैं कि बेनीवाल अब केवल क्षेत्रीय नेता नहीं रहना चाहते, बल्कि राजस्थान की सत्ता की दौड़ में निर्णायक भूमिका निभाना चाहते हैं। आगामी चुनावों में यह तेवर और भी असरदार साबित हो सकते हैं।