राजस्थान के भरतपुर जिले में जाट समाज ने एक बार फिर आरक्षण की मांग को लेकर जोरदार आवाज उठाई है। भरतपुर, धौलपुर और डीग जिले के जाट समाज के प्रतिनिधियों और लोगों ने नेशनल हाईवे पर डहरा मोड़ के पास महापंचायत का आयोजन किया है।
यह रैली जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार के नेतृत्व में हो रही है। सुबह 10 बजे से ही लोग सभास्थल पर पहुंचने लगे और कुछ ही घंटों में भीड़ का आकार 500 से ज्यादा लोगों तक पहुंच गया।
डहरा मोड़ पर जाट समाज की जुटान, हुंकार रैली से बढ़ा सियासी तापमान
भरतपुर-आगरा-जयपुर नेशनल हाईवे के डहरा मोड़ पर आयोजित इस महापंचायत ने क्षेत्र में राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। नेम सिंह फौजदार ने कहा कि यह रैली सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं बल्कि समाज की वर्षों से लंबित मांगों को सरकार के सामने रखने का संकल्प है।
उन्होंने बताया कि यह हुंकार रैली समाज के चार प्रमुख मुद्दों को लेकर बुलाई गई है, जिसमें आरक्षण की बहुप्रतीक्षित मांग सबसे ऊपर है।
महापंचायत में सियासी चेहरों की मौजूदगी, सांसदों की भागीदारी
इस महापंचायत में भरतपुर सांसद संजना जाटव और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के आने की पुष्टि ने रैली को और राजनीतिक धार दे दी है। संजना जाटव पहले ही केंद्र सरकार से जाट आरक्षण की मांग को गंभीरता से लेने की अपील कर चुकी हैं।
वहीं हनुमान बेनीवाल जैसे प्रभावशाली नेता की मौजूदगी से आंदोलन को और जन समर्थन मिलने की संभावना जताई जा रही है।
प्रशासन सतर्क, चप्पे-चप्पे पर नजर
रैली को लेकर भरतपुर जिला प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है। संभागीय आयुक्त डॉ. टीना सोनी, आईजी राहुल प्रकाश, जिला कलेक्टर कमर चौधरी और एसपी मृदुल कच्छावा पूरी स्थिति पर निगरानी बनाए हुए हैं। सभास्थल के आसपास भारी पुलिस जाब्ता तैनात किया गया है ताकि कानून व्यवस्था बनी रहे और किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो।
चार सूत्रीय मांगों के साथ उठी आवाज
जाट समाज की यह रैली केवल आरक्षण की मांग तक सीमित नहीं है। नेम सिंह फौजदार ने बताया कि समाज की चार प्रमुख मांगों को लेकर यह हुंकार रैली बुलाई गई है। पहली मांग है—भरतपुर, धौलपुर और डीग के जाटों को केंद्र और राज्य सरकार की ओबीसी आरक्षण सूची में शामिल किया जाए।
दूसरी मांग है—वर्ष 2015 से 2017 के बीच चयनित लेकिन नियुक्ति से वंचित अभ्यर्थियों को न्यायालय के आदेशानुसार नियुक्ति दी जाए। तीसरी मांग है—राज्य में महाराजा सूरजमल कल्याण बोर्ड का गठन किया जाए जिससे समाज के आर्थिक और शैक्षणिक उत्थान को दिशा मिल सके। चौथी मांग—पूर्व के आंदोलनों के दौरान लगे मुकदमों को वापस लिया जाए।
जाट आरक्षण आंदोलन का बढ़ता दायरा
यह आंदोलन केवल भरतपुर तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रदेश के अन्य हिस्सों तक इसकी गूंज सुनाई दे रही है। नागौर, सीकर, झुंझुनूं और जयपुर जिलों से भी जाट समाज के प्रतिनिधि इसमें शामिल होने की संभावना है। ऐसे में यह रैली आने वाले समय में एक बड़े जनांदोलन का रूप ले सकती है।
सरकार के सामने चुनौती, समाज की एकता बनी ताकत
महापंचायत में उमड़ी भीड़ और समाज की एकजुटता ने सरकार को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है। जाट समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं करती, तो आंदोलन को राज्यव्यापी रूप दिया जाएगा।
सामाजिक न्याय की मांग या चुनावी दबाव?
जाट समाज की यह हुंकार रैली एक बार फिर सामाजिक न्याय की बहस को हवा दे रही है। प्रशासनिक सतर्कता और राजनीतिक हस्तक्षेप के बीच यह देखना अहम होगा कि सरकार इस आंदोलन पर क्या रुख अपनाती है।
क्या यह महापंचायत केवल सामाजिक अधिकारों की मांग है या आने वाले चुनावों में एक नया दबाव समूह तैयार हो रहा है—यह सवाल अभी अनुत्तरित है, लेकिन इतना जरूर है कि जाट समाज ने अपनी उपेक्षा के खिलाफ एकजुट स्वर में हुंकार भर दी है।