71 की उम्र में पास की CA की सबसे कठिन परीक्षा, रिटायर्ड मैनेजर ताराचंद ने रचा इतिहास!

कई लोग रिटायरमेंट के बाद आराम की जिंदगी बिताते हैं, लेकिन जयपुर के 71 वर्षीय रिटायर्ड बैंक मैनेजर ताराचंद अग्रवाल ने इस सोच को बदलकर रख दिया। उन्होंने ऐसा मुकाम हासिल किया है जिसे सुनकर युवा भी चौंक जाएं। देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक

EDITED BY: Kamlesh Sharma

UPDATED: Sunday, July 13, 2025

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कई लोग रिटायरमेंट के बाद आराम की जिंदगी बिताते हैं, लेकिन जयपुर के 71 वर्षीय रिटायर्ड बैंक मैनेजर ताराचंद अग्रवाल ने इस सोच को बदलकर रख दिया। उन्होंने ऐसा मुकाम हासिल किया है जिसे सुनकर युवा भी चौंक जाएं।

देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाने वाली चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की परीक्षा को पार कर ताराचंद ने यह साबित कर दिया कि अगर जज़्बा हो, तो कोई भी सपना उम्र का मोहताज नहीं होता। उनकी यह उपलब्धि न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह दर्शाती है कि जीवन की हर उम्र में लक्ष्य तय करके मेहनत की जाए तो सफलता अवश्य मिलती है।


पत्नी की मृत्यु के बाद अकेलेपन को बनाया ताकत


ताराचंद अग्रवाल मूलतः राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के संगरिया कस्बे से ताल्लुक रखते हैं। वे आठ भाई-बहनों में चौथे नंबर पर हैं। वर्ष 1976 में उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (अब एसबीआई) में क्लर्क के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और लगातार मेहनत करते हुए 2014 में असिस्टेंट जनरल मैनेजर के पद से रिटायर हुए।

लेकिन 2020 में उनकी जिंदगी में एक बड़ा खालीपन आ गया, जब उनकी पत्नी का निधन हो गया। मानसिक रूप से टूट चुके ताराचंद को जीवन में फिर से उद्देश्य देने के लिए उनके बच्चों ने उन्हें पढ़ाई का सुझाव दिया।

शुरुआत भगवद गीता से हुई, जहां से उन्हें आध्यात्मिक शांति और मानसिक संबल मिला। जब उन्होंने पीएचडी करने की बात की, तो उनके बेटों ने उन्हें सीए की परीक्षा देने की सलाह दी — एक ऐसी चुनौती जिसे युवा भी सोचकर घबराते हैं।


तीन साल में पास की सीए परीक्षा, नहीं लिया कोचिंग का सहारा


ताराचंद अग्रवाल ने जुलाई 2021 में सीए का रजिस्ट्रेशन कराया। इसके बाद उन्होंने मई 2022 में फाउंडेशन लेवल, जनवरी 2023 में इंटरमीडिएट और जुलाई 2024 में फाइनल लेवल की परीक्षा पास कर ली।

हालांकि यह सफर आसान नहीं था। पहले प्रयास में उन्हें असफलता का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वे कहते हैं कि असफलता ने उन्हें और मजबूत बना दिया। उन्होंने किसी कोचिंग संस्थान की मदद नहीं ली। सिर्फ किताबें, यूट्यूब वीडियो और आत्मबल के सहारे यह मंजिल तय की।

दिन में 10 घंटे तक पढ़ाई की। कभी-कभी कंधे के दर्द के कारण भी संघर्ष करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी रुकने का नाम नहीं लिया। वे घर में या बेटे की दुकान पर पढ़ाई करते थे ताकि अकेलेपन से बचे रहें।

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परिवार ने दिया साथ, गीता से मिला आत्मबल


ताराचंद के बेटे ललित दिल्ली में स्वयं चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं, जबकि छोटे बेटे अमित टैक्स प्रैक्टिस में हैं। दोनों ने अपने पिता को हर मोड़ पर प्रोत्साहित किया, गाइड किया और हर मुश्किल में साथ खड़े रहे।

लेकिन सबसे बड़ी ताकत उन्हें भगवद गीता से मिली। उन्होंने गीता में पढ़ा – “जो भी काम करो, पूरे संकल्प के साथ करो” – और इसी विचार को अपने जीवन का मूलमंत्र बना लिया।


नई पीढ़ी के लिए एक जीती-जागती प्रेरणा


ताराचंद अग्रवाल की यह उपलब्धि सिर्फ एक डिग्री पाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सोच को बदलने वाली कहानी है। यह कहानी उन सभी लोगों को प्रेरणा देती है जो यह मान लेते हैं कि एक उम्र के बाद कुछ नया सीखना या करना संभव नहीं है।

उन्होंने यह दिखा दिया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती और असली ऊर्जा इंसान के भीतर से आती है, न कि उम्र के आंकड़ों से। उनका सफर बताता है कि यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और प्रयास निरंतर हो, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती।

उन्होंने यह भी साबित कर दिया कि तकनीक के इस युग में संसाधनों की कमी कोई बाधा नहीं है। बिना किसी संस्थान या क्लासरूम के, सिर्फ आत्मविश्वास और अनुशासन से कोई भी बड़ी से बड़ी परीक्षा पास की जा सकती है।


आत्मबल और धैर्य की मिसाल


ताराचंद अग्रवाल की कहानी न सिर्फ राजस्थान बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। यह उस आत्मबल और धैर्य की मिसाल है जो इंसान को किसी भी मोड़ पर फिर से खड़ा कर सकता है। 71 साल की उम्र में सीए बनना केवल डिग्री हासिल करना नहीं, बल्कि यह साबित करना है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो उम्र सिर्फ एक संख्या रह जाती है।

उनका जीवन यह संदेश देता है – हार मानना कभी विकल्प नहीं होता, चाहे जीवन का कौनसा भी पड़ाव क्यों न हो।